शिमला: मंडी जिला के सरकाघाट में 19 साल के लड़के को नशे ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था. नशे के आदी इस किशोर की दोस्ती भी नशेड़ियों के साथ ही थी. नशे की ओवरडोज से किशोर की मौत हो गई. साथियों ने डर के मारे उसकी लाश को बोरी में डालकर दफना दिया. पुलिस की जांच से ये चिंताजनक खुलासा हुआ. इस तरह नशे ने एक युवक की जान ले ली और बाकी दोस्तों को एक तरह से हत्यारा बना दिया.
नए साल के बिल्कुल शुरुआती दिन थे. सोलन के परवाणू में पच्चीस साल के युवा की लाश मिली. युवक की पहचान कसौली के रहने वाले के तौर पर हुई. तीन जनवरी 2022 को उसकी लाश परवाणू में गाड़ी में मिली. लाश के पास नशे का सामान व नशे में यूज होने वाली सिरिंज मिली. इसी तरह छह फरवरी को कांगड़ा जिला के बैजनाथ में 28 साल के युवक आशीष की जान भी नशे की लत के कारण गई. अभी ऊना के एक युवक को नशे की लत छुड़ाने के लिए नशा निवारण केंद्र में लाया गया था. उसकी वहां संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई.
ये ऐसे मामले हैं जो सामने आए, लेकिन पठानकोट के के समीप के गांवों में नशे के कारण पिछले कुछ समय में आठ युवाओं की मौत हो गई है. नशे की बुराई के खिलाफ अभियान चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता जीयानंद शर्मा का कहना है कि इसी साल 11 युवाओं की मौत नशे के कारण (consumption of drugs in Himachal) हो चुकी है. पांच महीने में 30 से अधिक युवा नशे के सामान के साथ पकड़े जा चुके हैं.
नशे के कारण पंजाब की धरती के युवा बर्बादी की दिशा में बढ़ रहे हैं. पंजाब हिमाचल के पड़ोसी राज्य है और यहां भी युवा नशे की लत में पड़कर धीमी मौत चुन रहे हैं. अभी मंडी के सरकाघाट में जिस तरह से एक युवक की नशे की ओवरडोज में जान चली गयी, उस ने प्रदेश में सभी को चिंता में डाल दिया है. चिंताजनक पहलू ये है कि 19 साल के लड़के के अन्य दोस्त भी नशा करते थे और उन्होंने नशे से मरे अपने साथी को जमीन में दफना दिया. इस से पता चलता है कि नशे के कारण युवाओं की सोचने समझने को क्षमता भी नष्ट हो चली है.
पंजाब में सौ दिन में 59 युवाओं की जान नशे के कारण चली गयी. हिमाचल में भी हालत चिंताजनक हैं. दुख और पीड़ा की बात है कि स्कूली नशे भी इसकी चपेट में आ चुके हैं. कुछ समय पहले राज्य पुलिस को एक गुमनाम खत मिला था. वो किसी अभिभावक ने लिखा था और उसके जिक्र किया गया था कि कैसे घर के घर नशे के कारण बर्बाद हो रहे हैं. बिलासपुर जिले में हाल ही में एक मां ने कहा कि वो मजबूरी में खुद अपने बेटे को नशे का सामान देती है, क्योंकि बिना नशे के उसकी हालत खराब हो जाती है. आईजीएमसी अस्पताल के मनोचिकित्सक विभाग के विशेषज्ञ दिनेश शर्मा (Specialist in Psychiatric Department of IGMC Hospital) के अनुसार हर रोज पांच से सात अभिभावक व युवा ऐसे आते हैं, जो नशे की लत से परेशान हैं और उनके बच्चों का जीवन बर्बाद हो रहा है.
जब हाईकोर्ट को लेना पड़ा था संज्ञान: वर्ष 2018 में हिमाचल में एक हैरतनाक घटना हुई. सोलन जिला के नौणी स्थित डॉ. वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री के कैंपस (YS Parmar University of Horticulture and Forestry) में स्थित एक स्कूल के छात्रों द्वारा ड्रग्स लिए जाने की खबर पर हाईकोर्ट ने तब कड़ा संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश सोलन को आदेश जारी किए थे कि वो स्कूल का निरीक्षण करें.
उस समय हाईकोर्ट में रित्विक गौर व आशी गौर की तरफ से स्कूल में नशे के सेवन की खबर पर याचिका दाखिल की गई थी. स्कूल में नर्सरी से 12वीं तक छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि विद्यालय में छात्र और छात्राएं तंबाकू व शराब का सेवन करते हुए देखे जा सकते हैं. यही नहीं वह लोग भांग और हशीश जैसी ड्रग्स का नशा करते हैं. स्कूल में पढ़ने वाले इस तरह के नशेड़ी बच्चे अन्य बच्चों को यातनाएं देते हैं.
हिमाचल में युवा करते हैं चिट्टे का सेवन: हिमाचल में युवा नशे के लिए चिट्टे का प्रयोग कर रहे हैं. इस पर विधानसभा में भी चिंता जताई जा चुकी है. प्रदेश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां चिट्टे की बरामदगी न हो. खासकर, सीमांत जिलों कांगड़ा, ऊना व उसके साथ लगते इलाकों में चिट्टे का प्रकोप अधिक है. पुलिस के अनुसार हिमाचल में विदेश से भी नशा तस्करी होती है. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में तैयार किए गए नशीले पदार्थ भारत स्मगल किए जाते हैं.
यहां से हो रही भारत में सप्लाई: भारत में हेरोइन का नशा इन्हीं तीन देशों से आ रहा है. चिट्टा भी हेरोइन का ही रूप है. वहां से यह क्रॉस बॉर्डर स्मगलिंग के जरिए दुबई, नेपाल के रास्ते भारत पहुंचता है. हिमाचल में भी काफी मात्रा में हेरोइन और चिट्टा पकड़ा जा रहा है. चिट्टे के कारण कई युवाओं की जान जा चुकी है. राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में तीन युवाओं की मौत चिट्टे के सेवन से हुई है. ये मामले पुलिस में भी दर्ज नहीं किए गए, क्योंकि अभिभावक ऐसा नहीं चाहते थे.
साल दर साल बढ़ रहे मामले: एनडीपीएस एक्ट के तहत वर्ष 2014 में 644 मामले सामने आए थे. वहीं, 2015 में ये आंकड़ा थोड़ा कम हुआ. उस साल 622 मामले आए. फिर 2016 में उछाल आया और पुलिस ने 929 मामले दर्ज किए. वर्ष 2017 में ये आंकड़ा 1010 हो गया और 2018 में 1342 मामलों तक पहुंच गया. वर्ष 2019 में ये आंकड़ा 1400 से अधिक हो गया था. वर्ष 2020 में ये मामले 1377 थे. फिर ये बढ़कर 1392 हुए और इस साल अब तक सात सौ से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
हाईकोर्ट ने जताई थी चिंता, उड़ता पंजाब बन जाएगा हिमाचल: छह साल पहले की बात है. हिमाचल हाईकोर्ट ने नशे के खिलाफ एक के बाद एक कई बड़े फैसले दिए थे. यही नहीं, तब 2016 में जुलाई महीने में हाईकोर्ट ने छह मामलों में चरस तस्करों को लेकर निचली अदालतों के फैसले पलटे थे. कुछ मामलों में हाईकोर्ट ने 15 से लेकर 25 साल कैद की सजा सुनाई थी. यही नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार से स्थानीय निकाय चुनाव के नियमों को बदलने और चरस तस्करी में शामिल लोगों के रिश्तेदारों तक के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की व्यवस्था करने को कहा था. हाईकोर्ट ने चिंता जताई थी कि यही हाल रहा तो प्रदेश उड़ता पंजाब बन जाएगा.
युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति खतरनाक: नशे जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरूक करती आ रही हिमाचल ज्ञान-विज्ञान संस्था के पदाधिकारी जीयानंद शर्मा का कहना है कि युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति खतरनाक है. जीयानंद शर्मा का मानना है कि इस बुराई से अकेले पुलिस या प्रशासन नहीं लड़ सकता. इसके लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा. सबसे बड़ी भूमिका परिवार की है. यदि परिवार में बड़े लोगों को ये लगता है कि घर का नौजवान विचित्र व्यवहार कर रहा है और उसकी संगत गलत लोगों की है तो तुरंत सचेत हो जाना चाहिए.
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