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E Assembly OF HIMACHAL: हर साल कटने से बच रहे 6096 पेड़, प्रदेश को अब तक हो चुका 105 करोड़ का लाभ

हिमाचल प्रदेश विधानसभा को अगस्त 2014 में देश की पहली ई-विधान सभा बनने का (e assembly of Himachal) गौरव हासिल हुआ था. पेपरलेस प्रणाली से हर साल छह हजार से अधिक पेड़ कटने से बचते हैं और सालाना 15 करोड़ रुपए की बचत होती है. विधानसभा की सारी कार्यवाही अब मोबाइल ऐप पर ही उपलब्ध करवा दी जाती है. विधानसभा में पेश होने वाले विधेयक व अन्य दस्तावेज सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही मोबाइल ऐप पर (HIMACHAL PAPERLESS ASSEMBLY) उपलब्ध होते हैं.

E VIDHAN SABHA OF HIMACHAL
हिमाचल की ई विधानसभा
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Published : Jan 6, 2022, 6:19 PM IST

Updated : Jan 6, 2022, 8:43 PM IST

शिमला: ई-विधानसभा से हिमाचल विधानसभा में (e assembly of Himachal) पेपरलेस कार्यवाही होती है और इससे सालाना 6096 पेड़ कटने से बच रहे हैं और 15 करोड़ रुपए के कागज की बचत हो रही है. पेपरलेस कार्यवाही शुरू करने वाली हिमाचल विधानसभा देश की पहली विधानसभा (HIMACHAL PAPERLESS ASSEMBLY) है. पिछले एक साल से हिमाचल की विधानसभा में किसी भी तरह का पेपर वर्क नहीं हो रहा है. पूरा काम ई-विधान परियोजना के तहत पेपरलेस है.

सदन में अब न तो सवालों के लिखित जवाब कागज पर अंकित होते हैं और न ही सदन के पटल पर रखे जाने वाले बिल और अन्य दस्तावेज कागजों के रूप में होते हैं. इससे न केवल (first Digital Assembly in Himachal) हर साल हजारों पेड़ कटने से बच रहे हैं, बल्कि सरकारी खजाने को भी सालाना कम से कम पंद्रह करोड़ रुपए का लाभ हो रहा है. पेड़ों के कुल्हाड़ी से कत्ल से बचाव की शुरुआत तब हुई, जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी. कपिल सिब्बल यूपीए सरकार में सूचना व तकनीकी मंत्री थे. हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष बृजबिहारी लाल बुटेल कपिल सिब्बल से मिले और उनसे आग्रह किया कि हिमाचल के लिए ई-विधान प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जाए.

assembly of Himachal
हिमाचल विधानसभा.

बुटेल ने केंद्र को विश्वास दिलाया कि एक साल के भीतर ही इस प्रोजेक्ट को सफलता से पूरा कर लिया जाएगा. तत्कालीन यूपीए सरकार ने 8.12 करोड़ रुपए मंजूर किए और साल भर में ही हिमाचल में ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत विधानसभा को हाईटैक कर दिया गया और फिर वर्ष 2014 में 5 अगस्त को हिमाचल विधानसभा को टोटली हाईटेक (E VIDHAN SABHA OF HIMACHAL) घोषित कर दिया गया. तब विधानसभा का मानसून सत्र पहली बार पेपरलैस वर्क का (HIMACHAL PAPERLESS ASSEMBLY) गवाह बना. मुख्यमंत्री, मंत्रियों व विधायकों के सामने टच स्क्रीन लगी थी उसी पर सवालों के जवाब पढ़े गए, सारे के सारे बिल ऑनलाइन देखे गए.

ये भी पढ़ें : Jairam Thakur Birthday: जन्मदिवस पर सीएम जयराम ने प्रदेशवासियों को दी करोड़ों की सौगातें, ओक ओवर में मुख्यमंत्री ने डाली नाटी

देश की अन्य विधानसभाएं भी हिमाचल की तर्ज पर हाईटैक होना चाहती हैं. हिमाचल ने अन्य विधानसभाओं को इस बारे में तकनीकी जानकारी साझा करने की पेशकश की है. विधानसभा अध्यक्ष बृजबिहारी लाल बुटेल का कहना है कि हिमाचल विधानसभा ने देश के सामने मिसाल पेश की है. उन्होंने कहा कि हर साल कागज के लिए हजारों पेड़ कटते हैं इससे हरियाली कम होती है. पेपरलेस वर्क नए जमाने का चलन है. हिमाचल विधानसभा के सभी सदस्य नई तकनीक से परिचित हो (first Digital Assembly in Himachal) गए हैं. उन्होंने टच स्क्रीन सिस्टम से तालमेल बिठा लिया है. सदन में कई उम्रदराज नेता भी हैं.

हिमाचल विधानसभा में विधायकों व मंत्रियों को डोंगल उपलब्ध करवाए गए हैं. विधायकों के आवास वाई-फाई सुविधा से युक्त कर दिए गए हैं. विधानसभा की सारी कार्यवाही अब मोबाइल ऐप पर ही उपलब्ध करवा दी जाती है. विधानसभा में पेश होने वाले विधेयक व अन्य दस्तावेज सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही मोबाइल ऐप पर उपलब्ध होते हैं. यही नहीं अन्य राज्य की विधानसभा में भी इस प्रणाली को लागू किया (E VIDHAN SABHA OF HIMACHAL) जा रहा है. मणिपुर व पूर्वोत्तर राज्यों की विधानसभाओं के अधिकारी हिमाचल विधानसभा को विजिट कर ई-विधान प्रोजेक्ट की बारीकियां सीख रहे हैं. वे भी अपने यहां पेपरलेस (Advantage of E assembly) विधानसभाएं सुचारू करना चाहते हैं.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कर चुके हैं तारीफ: बता दें कि भारत की पहली ई-विधानसभा की तारफी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी कर चुके हैं. भारत की पहली ई-विधानसभा वाले राज्य हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से प्रदेश में ई-विधान अकादमी स्थापित करने का आग्रह किया था. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने प्रदेश की इस पहल की सराहना की और भरोसा दिया कि वह इस परियोजना के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेंगे. कनाडा और अमेरिका के लोगों ने भी ई-विधान मॉडल की सराहना की है.

cm jairam meet lok sabha speaker om birla
लोकसभा अध्यक्ष से मिलते हुए सीएम जयराम ठाकुर. (फाइल फोटो)

हिमाचल विधानसभा पहुंची थी असम असेंबली की टीम: बता दें कि हिमाचल सभी राज्यों को ई-विधान का गुर सिखा रहा है. 28 दिसंबर को देश की पहली ई विधान सभा में मंगलवार को असम विधानसभा की एक टीम ने यहां की ई प्रणाली (E VIDHAN SABHA OF HIMACHAL) को जाना. असम विधानसभा की रोजगार समीक्षा समिति ने ई-विधान का दौरा किया. ये समिति हिमाचल के अध्ययन प्रवास पर आई थी. असम के प्रतिनिधिमंडल ने ई विधानसभा की कार्य प्रणाली को जाना साथ ही यहां की व्यवस्था की जानकारी भी ली.

इससे पहले देश की सर्वप्रथम ई-विधान प्रणाली को जानने के लिए मेघालय विधानसभा उपाध्यक्ष टिमोथी डी शेरा सोमवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय पहुंच चुके हैं. ई विधानसभा का जानकारी लेने ओडिशा की टीम भी दौरा कर चुकी है.

team of meghalaya assembly visit shimla.
ई विधान की जानकारी लेने शिमला पहुंचा मेघालय का प्रतिनिधिमंडल. (फाइल फोटो)

वहीं, साल 2027 (फरवरी) में ब्यूरो पार्लियामेंट्री स्टडीज एंड ट्रेनिंग (BPST) लोकसभा के अंतर्गत इंडियन टेक्नोलॉजी एंड इकनॉमिक कोऑपरेशन के ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत 27 देशों के 37 प्रतिनिधी हिमाचल विधानसभा पहुंचे. इन प्रतिनिधयों में 7 देशों के 8 संसद के सदस्य भी शामिल थे.

ये भी पढ़ें : MLA Satpal Raizada on Vikramaditya Singh: 'कांग्रेस के नेतागण भाजपा नेताओं की चमचागिरी कर रहे हैं, हम इसका विरोध करते हैं'

शिमला: ई-विधानसभा से हिमाचल विधानसभा में (e assembly of Himachal) पेपरलेस कार्यवाही होती है और इससे सालाना 6096 पेड़ कटने से बच रहे हैं और 15 करोड़ रुपए के कागज की बचत हो रही है. पेपरलेस कार्यवाही शुरू करने वाली हिमाचल विधानसभा देश की पहली विधानसभा (HIMACHAL PAPERLESS ASSEMBLY) है. पिछले एक साल से हिमाचल की विधानसभा में किसी भी तरह का पेपर वर्क नहीं हो रहा है. पूरा काम ई-विधान परियोजना के तहत पेपरलेस है.

सदन में अब न तो सवालों के लिखित जवाब कागज पर अंकित होते हैं और न ही सदन के पटल पर रखे जाने वाले बिल और अन्य दस्तावेज कागजों के रूप में होते हैं. इससे न केवल (first Digital Assembly in Himachal) हर साल हजारों पेड़ कटने से बच रहे हैं, बल्कि सरकारी खजाने को भी सालाना कम से कम पंद्रह करोड़ रुपए का लाभ हो रहा है. पेड़ों के कुल्हाड़ी से कत्ल से बचाव की शुरुआत तब हुई, जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी. कपिल सिब्बल यूपीए सरकार में सूचना व तकनीकी मंत्री थे. हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष बृजबिहारी लाल बुटेल कपिल सिब्बल से मिले और उनसे आग्रह किया कि हिमाचल के लिए ई-विधान प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जाए.

assembly of Himachal
हिमाचल विधानसभा.

बुटेल ने केंद्र को विश्वास दिलाया कि एक साल के भीतर ही इस प्रोजेक्ट को सफलता से पूरा कर लिया जाएगा. तत्कालीन यूपीए सरकार ने 8.12 करोड़ रुपए मंजूर किए और साल भर में ही हिमाचल में ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत विधानसभा को हाईटैक कर दिया गया और फिर वर्ष 2014 में 5 अगस्त को हिमाचल विधानसभा को टोटली हाईटेक (E VIDHAN SABHA OF HIMACHAL) घोषित कर दिया गया. तब विधानसभा का मानसून सत्र पहली बार पेपरलैस वर्क का (HIMACHAL PAPERLESS ASSEMBLY) गवाह बना. मुख्यमंत्री, मंत्रियों व विधायकों के सामने टच स्क्रीन लगी थी उसी पर सवालों के जवाब पढ़े गए, सारे के सारे बिल ऑनलाइन देखे गए.

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देश की अन्य विधानसभाएं भी हिमाचल की तर्ज पर हाईटैक होना चाहती हैं. हिमाचल ने अन्य विधानसभाओं को इस बारे में तकनीकी जानकारी साझा करने की पेशकश की है. विधानसभा अध्यक्ष बृजबिहारी लाल बुटेल का कहना है कि हिमाचल विधानसभा ने देश के सामने मिसाल पेश की है. उन्होंने कहा कि हर साल कागज के लिए हजारों पेड़ कटते हैं इससे हरियाली कम होती है. पेपरलेस वर्क नए जमाने का चलन है. हिमाचल विधानसभा के सभी सदस्य नई तकनीक से परिचित हो (first Digital Assembly in Himachal) गए हैं. उन्होंने टच स्क्रीन सिस्टम से तालमेल बिठा लिया है. सदन में कई उम्रदराज नेता भी हैं.

हिमाचल विधानसभा में विधायकों व मंत्रियों को डोंगल उपलब्ध करवाए गए हैं. विधायकों के आवास वाई-फाई सुविधा से युक्त कर दिए गए हैं. विधानसभा की सारी कार्यवाही अब मोबाइल ऐप पर ही उपलब्ध करवा दी जाती है. विधानसभा में पेश होने वाले विधेयक व अन्य दस्तावेज सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही मोबाइल ऐप पर उपलब्ध होते हैं. यही नहीं अन्य राज्य की विधानसभा में भी इस प्रणाली को लागू किया (E VIDHAN SABHA OF HIMACHAL) जा रहा है. मणिपुर व पूर्वोत्तर राज्यों की विधानसभाओं के अधिकारी हिमाचल विधानसभा को विजिट कर ई-विधान प्रोजेक्ट की बारीकियां सीख रहे हैं. वे भी अपने यहां पेपरलेस (Advantage of E assembly) विधानसभाएं सुचारू करना चाहते हैं.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कर चुके हैं तारीफ: बता दें कि भारत की पहली ई-विधानसभा की तारफी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी कर चुके हैं. भारत की पहली ई-विधानसभा वाले राज्य हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से प्रदेश में ई-विधान अकादमी स्थापित करने का आग्रह किया था. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने प्रदेश की इस पहल की सराहना की और भरोसा दिया कि वह इस परियोजना के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेंगे. कनाडा और अमेरिका के लोगों ने भी ई-विधान मॉडल की सराहना की है.

cm jairam meet lok sabha speaker om birla
लोकसभा अध्यक्ष से मिलते हुए सीएम जयराम ठाकुर. (फाइल फोटो)

हिमाचल विधानसभा पहुंची थी असम असेंबली की टीम: बता दें कि हिमाचल सभी राज्यों को ई-विधान का गुर सिखा रहा है. 28 दिसंबर को देश की पहली ई विधान सभा में मंगलवार को असम विधानसभा की एक टीम ने यहां की ई प्रणाली (E VIDHAN SABHA OF HIMACHAL) को जाना. असम विधानसभा की रोजगार समीक्षा समिति ने ई-विधान का दौरा किया. ये समिति हिमाचल के अध्ययन प्रवास पर आई थी. असम के प्रतिनिधिमंडल ने ई विधानसभा की कार्य प्रणाली को जाना साथ ही यहां की व्यवस्था की जानकारी भी ली.

इससे पहले देश की सर्वप्रथम ई-विधान प्रणाली को जानने के लिए मेघालय विधानसभा उपाध्यक्ष टिमोथी डी शेरा सोमवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय पहुंच चुके हैं. ई विधानसभा का जानकारी लेने ओडिशा की टीम भी दौरा कर चुकी है.

team of meghalaya assembly visit shimla.
ई विधान की जानकारी लेने शिमला पहुंचा मेघालय का प्रतिनिधिमंडल. (फाइल फोटो)

वहीं, साल 2027 (फरवरी) में ब्यूरो पार्लियामेंट्री स्टडीज एंड ट्रेनिंग (BPST) लोकसभा के अंतर्गत इंडियन टेक्नोलॉजी एंड इकनॉमिक कोऑपरेशन के ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत 27 देशों के 37 प्रतिनिधी हिमाचल विधानसभा पहुंचे. इन प्रतिनिधयों में 7 देशों के 8 संसद के सदस्य भी शामिल थे.

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Last Updated : Jan 6, 2022, 8:43 PM IST
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