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वर्मी वाश और कंपोस्ट से होगी अच्छी पैदावार, कम लागत पर ज्यादा मुनाफा कमाएंगे किसान

सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन से 4 किलोमीटर दूर माता बालासुंदरी गौसदन में ये वर्मी वाश व वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है. पशु पालन विभाग ने इन्हें गौ सदन में लगाया है, जहां पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है. साथ ही वर्मी वाश व वर्मी कंपोस्ट बनाने की विधि बारे में भी बताया जाता है.

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Published : Jul 23, 2019, 8:12 PM IST

नाहन: प्रदेश में प्राकृतिक खेती इन दिनों लोकप्रिय हो रही है और किसानों के लिए अनेक प्राकृतिक खादें भी तैयार की जा रही हैं. ऐसा ही एक उत्पाद वर्मी वाश है, जोकि केंचुए की सहायता से तैयार किया जाता है और पूरी तरह से प्राकृतिक है.

सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन से 4 किलोमीटर दूर माता बालासुंदरी गौसदन में ये वर्मी वाश व वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है. पशु पालन विभाग ने इन्हें गौ सदन में लगाया है, जहां पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है. साथ ही वर्मी वाश व वर्मी कंपोस्ट बनाने की विधि बारे में भी बताया जाता है.

जानकारों की मानें तो केंचुए खाद के साथ वर्मी वाश, अगर खेतों में प्रयोग किया जाए, तो किसानों को बहुत लाभ हो सकता है और इस पर कोई अधिक खर्च भी नहीं होता है. मात्र दो घड़ों व केंचुओं के साथ वर्मी वाश तैयार होता है, जिसका लाभ किसानों द्वारा उठाया जा सकता है.

वीडियो

पशु पालन विभाग की सहायक निदेशक डॉ. नीरू शबनम ने बताया कि वर्मी वाश का प्रदर्शन गौ सदन में किया गया है, जिसका किसान लाभ उठा सकते हैं. वर्मी वाश एक आसान विधि है, जिसमें एक मिट्टी के बने घड़े में पानी व उसके नीचे घड़े में खाद के साथ केंचुए डालकर पेड़ से लटका दिया जाता है. उन्होंने बताया कि ऊपरी घड़े से बूंद-बूंद निचले घड़े में आएगी और वहां पर खाद में केंचुआ इसे वर्मी वाश में बदल देगा, जिसे नीचे रखी बाल्टी में इट्ठा करके उपयोग में लाया जा सकता है.

बता दें कि वर्मी वाश व वर्मी कम्पोस्ट को खेती के लिए बहुत लाभवर्धक माना जाता है और इसके प्रयोग से फसलों में प्राकृतिक तौर पर वृद्धि होती है.

नाहन: प्रदेश में प्राकृतिक खेती इन दिनों लोकप्रिय हो रही है और किसानों के लिए अनेक प्राकृतिक खादें भी तैयार की जा रही हैं. ऐसा ही एक उत्पाद वर्मी वाश है, जोकि केंचुए की सहायता से तैयार किया जाता है और पूरी तरह से प्राकृतिक है.

सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन से 4 किलोमीटर दूर माता बालासुंदरी गौसदन में ये वर्मी वाश व वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है. पशु पालन विभाग ने इन्हें गौ सदन में लगाया है, जहां पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है. साथ ही वर्मी वाश व वर्मी कंपोस्ट बनाने की विधि बारे में भी बताया जाता है.

जानकारों की मानें तो केंचुए खाद के साथ वर्मी वाश, अगर खेतों में प्रयोग किया जाए, तो किसानों को बहुत लाभ हो सकता है और इस पर कोई अधिक खर्च भी नहीं होता है. मात्र दो घड़ों व केंचुओं के साथ वर्मी वाश तैयार होता है, जिसका लाभ किसानों द्वारा उठाया जा सकता है.

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पशु पालन विभाग की सहायक निदेशक डॉ. नीरू शबनम ने बताया कि वर्मी वाश का प्रदर्शन गौ सदन में किया गया है, जिसका किसान लाभ उठा सकते हैं. वर्मी वाश एक आसान विधि है, जिसमें एक मिट्टी के बने घड़े में पानी व उसके नीचे घड़े में खाद के साथ केंचुए डालकर पेड़ से लटका दिया जाता है. उन्होंने बताया कि ऊपरी घड़े से बूंद-बूंद निचले घड़े में आएगी और वहां पर खाद में केंचुआ इसे वर्मी वाश में बदल देगा, जिसे नीचे रखी बाल्टी में इट्ठा करके उपयोग में लाया जा सकता है.

बता दें कि वर्मी वाश व वर्मी कम्पोस्ट को खेती के लिए बहुत लाभवर्धक माना जाता है और इसके प्रयोग से फसलों में प्राकृतिक तौर पर वृद्धि होती है.

Intro:नाहन। प्राकृतिक खेती इन दिनों लोकप्रिय हो रही है और किसानो के लिए अनेक प्राकृतिक खादें भी तैयार की जा रही हैं। ऐसा ही एक उत्पाद वर्मी वाश है, जोकि केंचुए की सहायता से तैयार किया जाता है और पूरी तरह से प्राकृतिक है। ये फसलों के लिए काफी लाभदायक होता है। 


Body:सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन से 4 किलोमीटर दूर माता बालासुंदरी गौसदन में यह वर्मी वाश व वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है। पशु पालन विभाग ने इन्हें गौ सदन में लगाया है, जहां पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है। साथ ही वर्मी वाश व वर्मी कंपोस्ट बनाने की विधि बारे भी बताया जाता है। 
जानकारों की मानें तो केंचुए खाद के साथ वर्मी वाश यदि खेतों में प्रयोग किया जाए, तो किसानों को बहुत लाभ हो सकता है और इस पर कोई अधिक खर्च भी नहीं होता है। मात्र दो घड़ों व केंचुओं के साथ वर्मी वाश तैयार होता है, जिसका लाभ किसानों द्वारा उठाया जा सकता है। 
उधर पशु पालन विभाग की सहायक निदेशक डा. नीरू शबनम ने बताया कि वर्मी वाश  का प्रदर्शन यहां गौ सदन में किया गया है, जिसका किसान इसका लाभ उठा सकते हैं। वर्मी वाश एक आसान विधि है। इसमें एक मिटटी के बने घड़े में पानी व उसके नीचे घड़े में खाद के साथ केंचुए डालकर पेड़ से लटका दिया जाता है। ऊपरी घड़े से बूंद-बूंद निचले घड़े में आएगी और वहां पर खाद में केंचुआ इसे वर्मी वाश में बदल देगा, जिसे नीचे रखी बाल्टी में इकठा करके उपयोग में लाया जा सकता है।
बाइट: डा. नीरू शबनम, सहायक निदेशक पशुपालन विभाग


Conclusion:गौर हो कि वर्मी वाश व वर्मी कम्पोस्ट को खेती के लिए बहुत लाभवर्धक माना जाता है और इसके प्रयोग से फसलों में प्राकृतिक तौर पर वृद्धि होती है। 
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