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कैसे दोगुनी होगी किसानों की आय, टमाटर की फसल को नहीं मिल रहे उचित दाम - टमाटर की फसल से तो उन्हें उचित

सर्दी के मौसम में तैयार हुई टमाटर की फसल किसानों के लिए भारी मुसीबत बन गई है. स्थानीय किसानों का कहना है कि ना तो टमाटर की फसल से तो उन्हें उचित आमदनी हो रही है और ना ही उचित पैदावार हो रही है.

sirmaur farmers are not getting fair price
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Published : Dec 25, 2019, 10:36 AM IST

Updated : Dec 25, 2019, 10:46 AM IST

पांवटा साहिबः किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार कई योजनाओं को शुरु किए हुए है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कहती है. जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र का दुर्गम इलाका माटला गांव में सबसे ज्यादा टमाटर की पैदावार होती है.

सर्दी के मौसम में तैयार हुई टमाटर की फसल किसानों के लिए अब भारी मुसीबत बन गई है. स्थानीय किसानों का कहना है कि ना तो टमाटर की फसल से तो उन्हें उचित आमदनी हो रही है और ना ही उचित पैदावार हो रही है. उनका कहना है कि टमाटर से मिल रही इनकम से ही अपना गुजर बसर करते हैं, लेकिन इस बार तो टमाटर की फसल ने उनकी कमर ही तोड़ दी है.

वीडियो.

60 वर्षीय खत्री राम ने बताया कि यहां से मात्र 50 से 100 रुपये की क्रेट बेची जा रही है. इससे ज्यादा खर्च तो फसलों की देखरेख में ही चला जाता है. उन्होंने कहा कि टमाटर की फसल अच्छे रेट नहीं मिलने से उन्हें अगली फसल लगाने में दिक्कतें पेश आएंगी.

किसान रामलाल ने भी बताया कि टमाटर के रेट में किसानों की कमर ही तोड़ दी है. कम रेट पर टमाटर बिकने से वे परेशान हो चुके हैं. किसानों ने तो अब टमाटर की फसल ही लगाना बंद कर दिया है. उन्होंने प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर से मांग करते हुए कहा कि किसानों के बारे में भी थोड़ा ध्यान दिया जाए.

वहीं, कृषि अनुसंधान के डॉक्टर सुखदेव प्रवाल ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में बस बरसाती टमाटर ही सही रेट पर बिकते हैं. अच्छी पैदावार बरसात में ही होती है. पहाड़ी क्षेत्रों में अन्य मौसम में टमाटर की पैदावार थोड़ी हल्की रहती है. रेट भी कम मिलते हैं क्योंकि इन मौसम में पंजाब, हरियाणा व कई राज्यों में टमाटर की पैदावार शुरू हो जाती है.

ये भी पढ़ें- एचपीयू कोर्ट की 31वीं वार्षिक बैठक, उच्चाधिकारियों की अनुपस्थिति पर राज्यपाल हुए तल्ख

पांवटा साहिबः किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार कई योजनाओं को शुरु किए हुए है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कहती है. जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र का दुर्गम इलाका माटला गांव में सबसे ज्यादा टमाटर की पैदावार होती है.

सर्दी के मौसम में तैयार हुई टमाटर की फसल किसानों के लिए अब भारी मुसीबत बन गई है. स्थानीय किसानों का कहना है कि ना तो टमाटर की फसल से तो उन्हें उचित आमदनी हो रही है और ना ही उचित पैदावार हो रही है. उनका कहना है कि टमाटर से मिल रही इनकम से ही अपना गुजर बसर करते हैं, लेकिन इस बार तो टमाटर की फसल ने उनकी कमर ही तोड़ दी है.

वीडियो.

60 वर्षीय खत्री राम ने बताया कि यहां से मात्र 50 से 100 रुपये की क्रेट बेची जा रही है. इससे ज्यादा खर्च तो फसलों की देखरेख में ही चला जाता है. उन्होंने कहा कि टमाटर की फसल अच्छे रेट नहीं मिलने से उन्हें अगली फसल लगाने में दिक्कतें पेश आएंगी.

किसान रामलाल ने भी बताया कि टमाटर के रेट में किसानों की कमर ही तोड़ दी है. कम रेट पर टमाटर बिकने से वे परेशान हो चुके हैं. किसानों ने तो अब टमाटर की फसल ही लगाना बंद कर दिया है. उन्होंने प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर से मांग करते हुए कहा कि किसानों के बारे में भी थोड़ा ध्यान दिया जाए.

वहीं, कृषि अनुसंधान के डॉक्टर सुखदेव प्रवाल ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में बस बरसाती टमाटर ही सही रेट पर बिकते हैं. अच्छी पैदावार बरसात में ही होती है. पहाड़ी क्षेत्रों में अन्य मौसम में टमाटर की पैदावार थोड़ी हल्की रहती है. रेट भी कम मिलते हैं क्योंकि इन मौसम में पंजाब, हरियाणा व कई राज्यों में टमाटर की पैदावार शुरू हो जाती है.

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Intro:सर्दी सर्दी के मौसम में तैयार हुए टमाटर ने तोड़ी किसानों की कमर रेड अच्छे ना मिलने की वजह से किसान परेशान 50 से ₹100 की कैरेट बेचने को मजबूर किसान किसानों ने प्रदेश के मुखिया से लगाई गुहारBody:किसानों की आय दुगने करने का जो सपना केंद्र और प्रदेश सरकार देख रही है इन योजनाओं को साकार बनाने के लिए किसानों को कई योजनाएं भी दी जा रही है लेकिन ज इन योजनाओं को साकार बनाने के लिए किसानों को कई योजनाएं भी दी जा रही है लेकिन जमीनी हकीकत से हम आज आपको रूबरू करवाते हैं सर्दी के मौसम में तैयार हुई टमाटर की फसल किसानों के लिए भारी मुसीबत बन गई है जिला सिरमौर के शिलाई दुर्गम इलाका माटला गाँव मे सबसे ज्यादा टमाटर की पैदावार होती है किसानों का कहना है कि ना तो उन्हें सही ढंग से टमाटर बेचकर आमदनी हो रही है और ना ही सही ढंग से पैदावार हो रही है यहां के किसान पिछले कई वर्षों से व टमाटर की फसल का कार्य कर रहे हैं टमाटर की इनकम से ही अपना गुजर बसर करते हैं लेकिन इस बार तो टमाटर की फसल ने किसानों के कमर ही तोड़ दी है

बाइट 60 वर्षीय खत्री राम ने बताया कि यहां से मात्र 50 से ₹100 की क्रेट यहां से बेची जा रही है इससे ज्यादा खर्चा तो हमारा फसलो की देखरेख में ही आ जाता है टमाटर की फसल हालांकि उतनी खराब नहीं हुई है पर रेट अच्छे ना मिलने की वजह से किसानों के जो टमाटर बेचकर जो सपने देखे थे वह पूरे नहीं हो पाएंगे बता दें कि टमाटर की आमदनी अमर खर्चा ज्यादा हो रहा है वही किसान रामलाल ने भी बताया कि टमाटर के रेट में किसानों की कमर ही तोड़ दी है कम रेट पर टमाटर बिकने से लोग परेशान हो चुके हैं यहां के किसानों ने तो अब टमाटर की फसल ही लगाना बंद कर दिया है उन्होंने प्रदेश के मुखिया से जोरदार आग्रह किया है कि किसानों के बारे में भी थोड़ा ध्यान दिया जाए सही समय पर वह अच्छे दामों पर किसानों की खेतों में उगाई फसलें सही रेट में बिक सके ताकि किसानों की आमदनी दो से 4 गुना बढ़ सकेंConclusion:कृषि अनुसंधान के डॉक्टर सुखदेव प्रवाल ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में बस बरसाती टमाटर ही सही रेट पर बिकते हैं अच्छी पैदावार बरसात में ही होती है पहाड़ी शब्दों में बाकी मौसम में टमाटर की पैदावार थोड़ी हल्की रहती है रेट भी कम मिलते हैं क्योंकि इन मौसम में पंजाब हरियाणा वा कई राज्यों में टमाटर की पैदावार शुरू हो जाती है
Last Updated : Dec 25, 2019, 10:46 AM IST
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