पांवटा साहिबः किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार कई योजनाओं को शुरु किए हुए है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कहती है. जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र का दुर्गम इलाका माटला गांव में सबसे ज्यादा टमाटर की पैदावार होती है.
सर्दी के मौसम में तैयार हुई टमाटर की फसल किसानों के लिए अब भारी मुसीबत बन गई है. स्थानीय किसानों का कहना है कि ना तो टमाटर की फसल से तो उन्हें उचित आमदनी हो रही है और ना ही उचित पैदावार हो रही है. उनका कहना है कि टमाटर से मिल रही इनकम से ही अपना गुजर बसर करते हैं, लेकिन इस बार तो टमाटर की फसल ने उनकी कमर ही तोड़ दी है.
60 वर्षीय खत्री राम ने बताया कि यहां से मात्र 50 से 100 रुपये की क्रेट बेची जा रही है. इससे ज्यादा खर्च तो फसलों की देखरेख में ही चला जाता है. उन्होंने कहा कि टमाटर की फसल अच्छे रेट नहीं मिलने से उन्हें अगली फसल लगाने में दिक्कतें पेश आएंगी.
किसान रामलाल ने भी बताया कि टमाटर के रेट में किसानों की कमर ही तोड़ दी है. कम रेट पर टमाटर बिकने से वे परेशान हो चुके हैं. किसानों ने तो अब टमाटर की फसल ही लगाना बंद कर दिया है. उन्होंने प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर से मांग करते हुए कहा कि किसानों के बारे में भी थोड़ा ध्यान दिया जाए.
वहीं, कृषि अनुसंधान के डॉक्टर सुखदेव प्रवाल ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में बस बरसाती टमाटर ही सही रेट पर बिकते हैं. अच्छी पैदावार बरसात में ही होती है. पहाड़ी क्षेत्रों में अन्य मौसम में टमाटर की पैदावार थोड़ी हल्की रहती है. रेट भी कम मिलते हैं क्योंकि इन मौसम में पंजाब, हरियाणा व कई राज्यों में टमाटर की पैदावार शुरू हो जाती है.
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