नाहन: जिला सिरमौर के नारग क्षेत्र में अनारदाना स्थानीय लोगों आय का एक अच्छा साधन बनकर सामने आया है. खास बात यह है कि इसके पौधे को न तो लोग रोपित करते हैं और न ही इसके रखरखाव की आवश्यकता रहती है.
दरअसल नारग क्षेत्र में जंगली अनारदाना भारी मात्रा में पाया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में दाडू भी कहा जाता है. इसे पौधे के विशेष रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती है. सिरमौर जिला का नारग क्षेत्र नकदी फसलों के उत्पादन के लिए जाना जाता है. साथ ही यहां बागवानी व दुग्ध उत्पादन में विशेष स्थान रखता है. मगर यहां के लोग हर साल अनार दाने से भी अच्छी आय प्राप्त करते हैं.
गांव डुडर की महिला चंद्रकला शर्मा ने बताया कि पिछले बार की अपेक्षा इस बार अनार दाने के उत्पादन में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि गत वर्ष उन्होंने अनारदाना से करीब 20 हजार की आय प्राप्त की थी. उन्होंने कहा कि अनारदाना उनकी अतिरिक्त आय का एक अच्छा साधन बने हुए है.
चंद्रकला शर्मा ने बताया कि इस अनारदाना उत्पादन के लिए किसी तरह की कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती है. साथ ही इसकी मार्केटिंग में कोई समस्या नहीं आती, क्योंकि घर द्वार पर आकर ही इसकी खरीदारी की जाती है. वहीं, क्षेत्र के गांव नोहरा निवासी सुधीर शर्मा का कहना है कि वह भी अनार दाने से अच्छी आमदनी कर रहे हैं. गत वर्ष उन्होंने करीब 1 क्विंटल अनारदाना 500 प्रति किलो के हिसाब से मार्केट में बेचा है, जिससे उन्हें 50 हजार रुपये की अच्छी आमदनी हुई है.
उन्होंने बताया कि अनार दाने का इस्तेमाल दवाइयों में किया जाता है, क्योंकि अनार दाने में औषधीय गुण भी विद्यमान होते हैं. इसकी चटनी व चूर्ण खून की कमी को पूरा करने का काम करती है. कुल मिलाकर अनारदाना बना यहां किसानों की अतिरिक्त आय का साधन बना है और हर साल इससे यहां के लोगों की अच्छी आमदनी भी हो रही है.
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