पांवटा साहिब: लोहड़ी का पर्व देश सहित हिमाचल प्रदेश (lohri festival in himachal) में भी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. वहीं, सिरमौर जिले के पांवटा साहिब नगर परिषद में भी अधिकारियों और कर्मचारियों ने पर्व पर एक दूसरे को बधाई दी. साथ ही, मूंगफली और रेवड़ी बांटे. इस मौके पर नगर परिषद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने शहरवासियों को पर्व की बधाई देते हुए कोविड नियमों का पालन करने की भी अपील की.
पांवटा साहिब नगर परिषद के उपाध्यक्ष ओपी कटारिया ने बताया कि सभी लोग अपने घरों में हर वर्ष लोहड़ी पर्व मनाते हैं. इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे को ध्यान में रखते हुए बड़ी ही सादगी के साथ लोहड़ी का जश्न मना रहे हैं. पहली बार नगर परिषद में भी सभी कर्मचारियों के साथ मिलकर लोहड़ी मनाई गई और एक दूसरे को शुभकामनाएं भी दी गई. वहीं, उन्होंने शहर वासियों से अपील करते हुए कहा कि लोहड़ी पर्व पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और अपने घरों में परिवार के साथ त्योहार मनाएं.
क्यों मनाई जाती है लोहड़ी? पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के त्याग के रूप में ये त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था. उसी दिन की याद में ये पर्व मनाया जाता है. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को सौदागरों से बचाकर दुल्ला भट्टी ने हिंदू लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी. इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में इस पर्व को मनाया जाता है.
वहीं एक और मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब सभी लोग मकर संक्रांति का पर्व मनाने में व्यस्त थे, तब बालक कृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा, जिसे बालक कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था. लोहिता नामक राक्षसी के नाम पर ही लोहड़ी उत्सव का नाम रखा गया. उसी घटना को याद करते हुए लोहड़ी पर्व मनाया जाता है.