नाहन: बायोगैस यानी गोबर गैस को ईंधन के एक वैकल्पिक साधन के रूप में देखा गया (National Biogas and Manure Management Scheme) है. लिहाजा जिला सिरमौर में भी सैंकड़ों की संख्या में लोग जहां बायोगैस प्लांट लगाकर इसे ईंधन के साधनों में प्रयोग कर रहे हैं, तो वहीं इससे बचे हुए गोबर को खाद के रूप में अपने खेतों में भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
दरअसल राष्ट्रीय बायोगैस एवं मैन्योर मैनेजमेंट योजना के तहत सिरमौर जिला में 950 बायोगैस प्लांट लगाए गए (950 biogas plants in Sirmaur) है. हालांकि केंद्र सरकार की यह योजना वर्ष 2018 में बंद हो चुकी है, लेकिन अब भी आधा दर्जन बायोगैस प्लांट लगाने के लिए शेष बची सब्सिडी दी जा सकती है. इसके बाद भी यदि जिले में कोई व्यक्ति बायोगैस प्लांट लगाने का इच्छुक होता है, तो कृषि विभाग अब भी ऐसे लोगों की संबंधित प्लांट लगाने में मदद करेगा.बशर्ते सब्सिडी का प्रावधान नहीं होगा.
कृषि विभाग के पास बायोगैस प्लांट स्थापित करने के लिए स्किल्ड स्टाफ मौजूद (Biogas Scheme In Sirmaur) है. ऐसे में यदि कोई बायोगैस प्लांट लगाने चाहता है, तो कृषि विभाग उसे स्थापित करने में संबंधित व्यक्ति की मदद करने को तैयार है. जिला सिरमौर कृषि विभाग के उपनिदेशक राजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि जिले में वर्तमान में 950 परिवार इस समय बायोगैस प्लांट से जुड़े हैं. उन्होंने बताया कि वैसे तो यह योजना जिसमें सब्सिडी का प्रावधान था, वह बंद हो चुकी है.मगर अब भी कुछ राशि विभाग के पास शेष है.
ऐसे में करीब आधा दर्जन प्लांट अब भी लगाए जा सकते हैं. मगर इसके बाद सब्सिडी का प्रावधान नहीं होगा. कृषि उपनिदेशक ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति बायोगैस प्लांट लगाना चाहता है, तो विभाग उसे स्थापित करने में अपने प्रशिक्षित स्टाफ की मदद जरूर उपलब्ध करवा सकता है. ऐसे में इस सुविधा का लाभ उठाकर लोग बायोगैस प्लांट स्थापित करवा सकते हैं.
दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्र में बायोगैस प्लांट से लाभान्वित हो रहे ग्रामीण महेश जोशी ने बताया कि काफी समय से बायोगैस का प्रयोग कर रहे हैं. वैसे भी वर्तमान में सिलेंडर के दाम 1000 रूपए तक पहुंच गए (Sirmaur People Benefited With Biogas Scheme) हैं. ऐसे में बायोगैस एक बेहतर विकल्प है. उन्होंने बताया कि इससे ईंधन की भी बचत हो रही है और साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित हो रहा है. कुल मिलाकर बायोगैस में गोबर का इस्तेमाल किया जाता है और गैस तैयार होने के बाद बचे हुए गोबर को किसान अपने खेतों में भी खाद के तौर पर उपयोग में ला सकते हैं.
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