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इस साल पांवटा साहिब में लहसुन का बंपर उत्पादन, बाजार में मिल रहे अच्छे दाम

गिरिपार क्षेत्र में इस वर्ष लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है. किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष लहसुन का दाम 100 से 120 रूपये किलो मिल रहा था, लेकिन इस बार किसानों को दाम भी ज्यादा मिल रहे हैं और पैदावार भी अच्छी हुई है.

Farmers happy with garlic production in Paonta
पांवटा लहसुन
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Published : Aug 4, 2020, 10:35 AM IST

पांवटा साहिबः जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में इस वर्ष लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है. लहसुन के दाम भी बाजार में ज्यादा मिल रहे हैं, जिससे किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. कोरोना संक्रमण के चलते बाहरी राज्यों के मंडियों में लहसुन पहुंचाना किसानों के लिए मुश्किल बन रहा था. प्रदेश सरकार की ओर से छूट देने के बाद अब साउथ की मंडियों में इन दिनों सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के लहसुन का बोल बाला रहा है.

जिला के टिम्बी, बकरास, मिलला, गंगटोली, ग्वालियर ,पश्चिमी, ठोठा, जाखल, आदि दर्जनों पंचायतों के किसान अपने लहसुन टिम्मी बाजार में पहुंचाते हैं. जहां से ट्रक के माध्यम से लहसुन को साउथ की मंडियों में भेजा जा रहा है. इस बार टिम्बी भी बाजार में व्यापारियों की ओर से किसानों को 15000 क्विंटल (डेड सौ रुपए किलो )लहसुन के दाम दिए जा रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट

किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष लहसुन का दाम 100 से 120 रूपये किलो मिल रहा था, लेकिन इस बार किसानों को दाम भी ज्यादा मिल रहे हैं और पैदावार भी अच्छी हुई है. किसानों का कहना है कि कोरोना काल में जहां किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर पड़ गई थी और परिवार का गुजारा कर पाना मुश्किल हो गया था. वहीं, लहसुन की फसल किसानों के लिए वरदान बन रही है.

वहीं, स्थानीय व्यक्ति का कहना है कि टिम्बी बाजार तक आसपास के क्षेत्रों के किसान लहसुन पहुंचाते हैं. यहां से व्यापारी साउथ की मंडियों तक लहसुन भेजते हैं, लहसुन की डिमांड साउथ में सबसे ज्यादा बढ़ रही है. वहीं, उन्होंने बताया कि इस साल कई हजार हैक्टेयर में लहसुन लगाया गया था.

मौसम ठीक रहने से उत्पादन भी अच्छा हुआ है. प्रति हैक्टेयर लगभग 58 क्विंटल औसतन उत्पादन हो रहा है. शुरुआत में कोरोना संक्रमण से मंडियां बंद रही, लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को राहत दी गई. अब फसलें मंडियों तक पहुंचाई जा रही हैं.

बता दे कि कोरोना महामारी के चलते जहां किसानों की आर्थिकी पर असर पड़ रहा था. वहीं, अब लहसुन की इस पैदावार में किसानों की नई उम्मीद जगी हैं. जहां किसानों की आर्थिक स्थिति सवर रही है. वहीं, अब किसानों का काम भी पटरी पर आ रहा हैं.

ये भी पढ़ेंः जयंती विशेष: मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद रोडवेज की बस से गांव गए थे परमार, खाते में थे महज 563 रुपये

पांवटा साहिबः जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में इस वर्ष लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है. लहसुन के दाम भी बाजार में ज्यादा मिल रहे हैं, जिससे किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. कोरोना संक्रमण के चलते बाहरी राज्यों के मंडियों में लहसुन पहुंचाना किसानों के लिए मुश्किल बन रहा था. प्रदेश सरकार की ओर से छूट देने के बाद अब साउथ की मंडियों में इन दिनों सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के लहसुन का बोल बाला रहा है.

जिला के टिम्बी, बकरास, मिलला, गंगटोली, ग्वालियर ,पश्चिमी, ठोठा, जाखल, आदि दर्जनों पंचायतों के किसान अपने लहसुन टिम्मी बाजार में पहुंचाते हैं. जहां से ट्रक के माध्यम से लहसुन को साउथ की मंडियों में भेजा जा रहा है. इस बार टिम्बी भी बाजार में व्यापारियों की ओर से किसानों को 15000 क्विंटल (डेड सौ रुपए किलो )लहसुन के दाम दिए जा रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट

किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष लहसुन का दाम 100 से 120 रूपये किलो मिल रहा था, लेकिन इस बार किसानों को दाम भी ज्यादा मिल रहे हैं और पैदावार भी अच्छी हुई है. किसानों का कहना है कि कोरोना काल में जहां किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर पड़ गई थी और परिवार का गुजारा कर पाना मुश्किल हो गया था. वहीं, लहसुन की फसल किसानों के लिए वरदान बन रही है.

वहीं, स्थानीय व्यक्ति का कहना है कि टिम्बी बाजार तक आसपास के क्षेत्रों के किसान लहसुन पहुंचाते हैं. यहां से व्यापारी साउथ की मंडियों तक लहसुन भेजते हैं, लहसुन की डिमांड साउथ में सबसे ज्यादा बढ़ रही है. वहीं, उन्होंने बताया कि इस साल कई हजार हैक्टेयर में लहसुन लगाया गया था.

मौसम ठीक रहने से उत्पादन भी अच्छा हुआ है. प्रति हैक्टेयर लगभग 58 क्विंटल औसतन उत्पादन हो रहा है. शुरुआत में कोरोना संक्रमण से मंडियां बंद रही, लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को राहत दी गई. अब फसलें मंडियों तक पहुंचाई जा रही हैं.

बता दे कि कोरोना महामारी के चलते जहां किसानों की आर्थिकी पर असर पड़ रहा था. वहीं, अब लहसुन की इस पैदावार में किसानों की नई उम्मीद जगी हैं. जहां किसानों की आर्थिक स्थिति सवर रही है. वहीं, अब किसानों का काम भी पटरी पर आ रहा हैं.

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