नाहन: दलित शोषण मुक्ति (Dalit shoshan Mukti manch Sirmaur) मंच जिला सिरमौर इकाई के बैनर तले आज मंगलवार को जिला मुख्यालय नाहन में दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विभिन्न संगठनों के हजारों लोगों ने महारैली का आयोजन किया. नाहन के बस स्टैंड से लेकर शहर के विभिन्न हिस्सों से होते हुए प्रदर्शनकारी डीसी कार्यालय पहुंचे. यहां हजारों लोगों ने डीसी कार्यालय परिसर में करीब 1 घंटे तक जमकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया.
इस दौरान दलित शोषण मुक्ति मंच ने डीसी सिरमौर के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) को एक 12 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा. दलित शोषण मुक्ति मंच ने इस दौरान जहां दलित समुदाय के अधिकारों के शोषण के आरोप लगाए, तो वहीं सरकार को चेतावनी देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि जल्द समुदाय से जुड़ी मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा.
मीडिया से बात करते हुए दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला संयोजक आशीष कुमार ने दलित समुदाय की हो रही अनदेखी को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि शामलात भूमि पर दलित वर्ग को अभी तक कोई अधिकार नहीं दिया गया है, जिसके चलते संबंधित लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार जल्द से जल्द दलित वर्ग को भी शामलात भूमि में उसका (Dalit shoshan Mukti manch nahan) अधिकार दे. सरकारी और अर्धसरकारी नौकरियों में सभी प्रकार की भर्तियों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण रोस्टर को लागू किया जाए. 85वें संविधान संशोधन को लागू किया जाए और बैकलॉग पदों को तुरंत भरा जाए.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग का हिमाचल प्रदेश में भी गठन किया जाना चाहिए और अन्य राज्यों की तर्ज पर सफाई कर्मचारियों को वेतन का लाभ मिले. आशीष कुमार ने कहा कि उपरोक्त मांगों पर गंभीरता से सरकार विचार कर उन्हें पूरा करने के लिए उचित कदम उठाएं और संबंधित विभागों को भी इस संदर्भ में उचित दिशा निर्देश दें, ताकि प्रदेश में दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा हो सके और उन्हें संविधान में प्रदत्त सुविधाओं व अधिकारों का लाभ मिल सके.
उन्होंने कहा कि इसी तरह 12 सूत्रीय मांगें सरकार से उठाई गई है. यदि सरकार ने इन मांगों को जल्द पूरा नहीं किया, तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा. इसके अलावा सरकार को भेजे ज्ञापन में मांग की गई कि सरकारी और अर्द्धसरकारी सभी कार्यालयों में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के संविधान की प्रस्तावना लगाई जाए.
अनुसूचित जाति एवं जनजाति उपयोजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए और संबंधित समुदाय की जनसंख्या के आधार पर बजट का आवंटन किया जाए. अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण कानून 1989 को सख्ती से लागू करने, दलित समुदाय से जुड़े छात्रों की स्कॉलरशिप को बहाल करने, दलितों पर हमले, जातिगत भेदभाव व महिला उत्पीड़न पर रोक लगाने, सभी मजदूरों को न्यूनतम वेतन ₹24000 आदि देने की मांगें उठाई गई हैं.
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