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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का हल्ला बोल, नियमित किए जाने की उठाई मांग - शिलाई में आंगनबाड़ी वर्कर्स

शिलाई में आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर यूनियन ने प्रदर्शन किया. आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन की जिला अध्यक्ष नीलम भारद्वाज ने कहा कि कोरोना काल में आंगनबाड़ी वर्कर्स में निष्ठा से अपनी जिम्मेदारियां निभाई है. ऐसे में आंगनबाड़ी वर्कर्स नियमित किया जाना चाहिए और उन्हें न्यूतम वेतन दिया जाना चाहिए.

anganwadi workers protest
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Published : Nov 26, 2020, 8:53 PM IST

शिलाई/सिरमौरः जिला सिरमौर के उपमंडल शिलाई में गुरुवार को आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर यूनियन ने पूरे देश में मजदूर-किसानों की ओर से किए जा रहे विरोध को अपना समर्थन देते हुए प्रदर्शन किया. इस मौके पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी करते हुए नियमित किए जाने की मांग की.

राज्यपाल को भेजा ज्ञापन

वहीं, यूनियन ने एसडीम शिलाई के माध्यम से अपनी मांगों से जुड़ा एक ज्ञापन भी राज्यपाल को भेजा. आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन की जिला अध्यक्ष नीलम भारद्वाज ने कहा कि कोरोना काल में आंगनबाड़ी वर्कर्स में निष्ठा से अपनी जिम्मेदारियां निभाई हैं. ऐसे में आंगनबाड़ी वर्कर्स नियमित किया जाना चाहिए और उन्हें न्यूतम वेतन दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर्स से अन्य विभाग का भी काम करवाया जाता है, ऐसे में उन्हें इसका इंसेंटिव दिया जाना चाहिए. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर्स को सराकारी कर्मचारी बनाया जाए.

वीडियो.

सरकारें कर रहीं गरीबों का शोषण

प्रदर्शन में शामिल सीटू के राज्य कमेटी सदस्य विनोद वीरसानटा ने कहा कि सरकारी संस्थाओं से लेकर निजी क्षेत्र में कर्मियों व मजदूरों का शोषण किया जा रहा है. निजीकरण के चलते कर्मियों को उचित वेतन नहीं दिया जा रहा है. विनोद वीरसानटा ने कहा कि प्रदेश में मिड डे मील वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर, आउटसोर्स कर्मियों सहित डेली वेज वर्कर को उनके काम के मुताबिक वेतन नहीं दिया जा रहा है. जबकि श्रम कानूनों के मुताबिक किसी भी मजदूर व कर्मी को 15,000 से कम वेतन नहीं दिया जा सकता है. केंद्र व राज्य सरकारें पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए गरीबों का शोषण कर रहीं हैं.

उन्होंने कहा कि आम जनता बेहद दुखी है. किसान, मजदूर और कर्मचारी सड़कों पर हैं और पूंजीपति आराम से अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. किसान, मजदूर और कर्मचारियों की आवाज दबाने के लिए नए-नए कानून और नियम बनाए जा रहे हैं. बड़े-बड़े उद्योगपतियों को संरक्षण दिया जा रहा है. यही वजह है कि आज सभी का गुस्सा केंद्र सरकार के खिलाफ फूटा है और सड़कों पर उतरने को सभी मजबूर हुए हैं.

ये भी पढ़ें- सरकार की नीतियों के खिलाफ CITU ने खोला मोर्चा, हमीरपुर में किया प्रदर्शन

शिलाई/सिरमौरः जिला सिरमौर के उपमंडल शिलाई में गुरुवार को आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर यूनियन ने पूरे देश में मजदूर-किसानों की ओर से किए जा रहे विरोध को अपना समर्थन देते हुए प्रदर्शन किया. इस मौके पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी करते हुए नियमित किए जाने की मांग की.

राज्यपाल को भेजा ज्ञापन

वहीं, यूनियन ने एसडीम शिलाई के माध्यम से अपनी मांगों से जुड़ा एक ज्ञापन भी राज्यपाल को भेजा. आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन की जिला अध्यक्ष नीलम भारद्वाज ने कहा कि कोरोना काल में आंगनबाड़ी वर्कर्स में निष्ठा से अपनी जिम्मेदारियां निभाई हैं. ऐसे में आंगनबाड़ी वर्कर्स नियमित किया जाना चाहिए और उन्हें न्यूतम वेतन दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर्स से अन्य विभाग का भी काम करवाया जाता है, ऐसे में उन्हें इसका इंसेंटिव दिया जाना चाहिए. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर्स को सराकारी कर्मचारी बनाया जाए.

वीडियो.

सरकारें कर रहीं गरीबों का शोषण

प्रदर्शन में शामिल सीटू के राज्य कमेटी सदस्य विनोद वीरसानटा ने कहा कि सरकारी संस्थाओं से लेकर निजी क्षेत्र में कर्मियों व मजदूरों का शोषण किया जा रहा है. निजीकरण के चलते कर्मियों को उचित वेतन नहीं दिया जा रहा है. विनोद वीरसानटा ने कहा कि प्रदेश में मिड डे मील वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर, आउटसोर्स कर्मियों सहित डेली वेज वर्कर को उनके काम के मुताबिक वेतन नहीं दिया जा रहा है. जबकि श्रम कानूनों के मुताबिक किसी भी मजदूर व कर्मी को 15,000 से कम वेतन नहीं दिया जा सकता है. केंद्र व राज्य सरकारें पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए गरीबों का शोषण कर रहीं हैं.

उन्होंने कहा कि आम जनता बेहद दुखी है. किसान, मजदूर और कर्मचारी सड़कों पर हैं और पूंजीपति आराम से अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. किसान, मजदूर और कर्मचारियों की आवाज दबाने के लिए नए-नए कानून और नियम बनाए जा रहे हैं. बड़े-बड़े उद्योगपतियों को संरक्षण दिया जा रहा है. यही वजह है कि आज सभी का गुस्सा केंद्र सरकार के खिलाफ फूटा है और सड़कों पर उतरने को सभी मजबूर हुए हैं.

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