नाहन: उत्तर भारत सहित सिरमौर जिले में भी इस बार अन्नदाताओं पर मौसम की बड़ी मार पड़ी (high temperature in himachal) है. जिले में इस बार 25 से 50 प्रतिशत गेहूं की फसल कम हुई (wheat crop decreased in Sirmaur) है. फसल की उत्पादकता में आई गिरावट की बड़ी वजह मार्च माह में हाई टेंपरेचर का होना माना जा रहा है. मौसम में आए बड़े परिवर्तन की वजह से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद भी गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. दरअसल जिला सिरमौर में कृषि विभाग द्वारा गेहूं की फसल को लेकर फील्ड में किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है.
हालांकि सरकार ने इस बार जिले में भी तीन स्थानों पर फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से न्यूनतम मूल्य पर गेहूं की खरीद की सुविधा भी उपलब्ध करवाई है. जिले में अब तक न्यूनतम सरकारी मूल्य पर 4527 क्विंटल गेहूं की खरीद किसानों से की गई (high temperature in sirmaur) है. जिला सिरमौर के कृषि उप निदेशक डॉ. राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि फील्ड में करवाए गए सर्वे के मुताबिक यह बात सामने आई है कि जिले में इस बार गेहूं की उत्पादकता में कमी आई है. यह समस्या उत्तर भारत में देखने को मिल रही है. उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल की उत्पादकता में कमी का मुख्य कारण मार्च के महीने में अचानक तापमान में वृद्धि रही है.
तापमान में वृद्धि की वजह से गेहूं की फसल में जहां फ्लावरिंग जल्दी हो गई, तो वहीं दो सप्ताह पहले ही गेहूं की फसल पक गई. इस वजह से गेहूं के दाने का वजन नहीं बन पाया. कृषि उपनिदेशक के अनुसार जिले में अधिकतर किसानों के पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, बावजूद इसके हाई टेंपरेचर के कारण यह नुकसान देखने को मिल रहा (wheat crop in Sirmaur) है. राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि जिले में तीन जगहों हरिपुर टोहना, धौलाकुआं व कालाअंब में न्यूनतम मूल्य पर गेहूं की खरीद की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है, हालांकि अभी कालाअंब में खरीद शुरू नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि 128 किसानों ने हरिपुर टोहाना व धौलाकुआं में 4527 क्विंटल गेहूं न्यूनतम मूल्य पर बेची है.
कृषि विभाग ने जताई थी इतनी उम्मीद, मौसम ने फेरा पानी: सिरमौर जिले में नकदी फसलों के रूप में उगाई जाने वाली गेहूं की फसल बड़ी मात्रा में होती है. जिले में 2020-21 में रबी सीजन के दौरान करीब 26 हजार 700 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल लगाई गई थी. लिहाजा कृषि विभाग इस बार जिला में करीब 50 हजार 780 मीट्रिक टन गेहूं के उत्पादन की उम्मीद जता रहा (wheat crop decreased in Sirmaur) था. मगर मार्च माह में हाई टेंपरेचर ने न केवल किसानों बल्कि कृषि विभाग की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. लिहाजा फसल की उत्पादकता में 25 से 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.
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