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मंडी के कांगणीधार में 150 करोड़ की लागत से बन रहा है शिवधाम, जोरों पर चल रहा काम

छोटी काशी मंडी (Choti Kashi Mandi) में विकास को नये आयाम देने वाले भव्य-दिव्य शिवधाम का काम जोरों पर चल रहा है. मंडी के कांगणीधार में साढ़े नौ हेक्टेयर क्षेत्र में 150 करोड़ रुपये से बन रहा दिव्य शिवधाम भव्यता में किसी अजूबे से कम नहीं होगा. पर्यटन विभाग मंडी (Tourism Department Mandi) के उपनिदेशक एस के पराशर शिवधाम के स्वरूप की जानकारी देते हुए बताया कि शिवधाम में प्रवेश के लिए कैलाश द्वार होगा. यहां श्रीगणेश मंडल के भी दर्शन होंगे, जिसमें भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा (Magnificent Statue of Lord Ganesha) स्थापित होगी.

shivdham being built in kangnidhar
फोटो.
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Published : Nov 24, 2021, 10:06 PM IST

मंडी: प्रदेश में सांस्कृतिक राजधानी के नाम से विख्यात छोटी काशी मंडी (Choti Kashi Mandi) में विकास को नये आयाम देने वाले भव्य-दिव्य शिवधाम का काम जोरों पर चल रहा है. मंडी के कांगणीधार में (shivdham being built in kangnidhar) साढ़े नौ हेक्टेयर क्षेत्र में 150 करोड़ रुपये से बन रहा दिव्य शिवधाम भव्यता में किसी अजूबे से कम नहीं होगा.

पहले चरण के काम पर 40 करोड़ रुपये खर्चे जा रहे हैं. इसमें पहाड़ी की कटिंग और जमीन को समतल बनाने के अलावा मंदिरों के स्तंभ खड़े का काम तेजी से चल रहा है. शिवधाम के प्रथम चरण का कार्य सितंबर 2022 से पहले पूरा कर लिया जाएगा. इस महत्वाकांक्षी परियोजना से देश-दुनिया में मंडी धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से उभरेगा और दुनियाभर के पर्यटकों के लिए मंडी में पर्यटन गंतव्य का नया स्वरूप देखने को मिलेगा.

पर्यटन विभाग मंडी (Tourism Department Mandi) के उपनिदेशक एस के पराशर शिवधाम के स्वरूप की जानकारी देते हुए बताया कि शिवधाम में प्रवेश के लिए कैलाश द्वार होगा. यहां श्रीगणेश मंडल के भी दर्शन होंगे, जिसमें भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा (Magnificent Statue of Lord Ganesha) स्थापित होगी. इसके अलावा गंगा कुंड होगा, शिव वंदना के नाम से ओरिएंटेशन सेंटर होगा. रुद्रा मंडल और डमरू मंडल होगा, जहां भगवान शिव के डमरू के दर्शन और डमरू मंडल के पास खाने पीने की वस्तुएं भी मिलेंगी.

मानसरोवर कुंड, मोक्ष पथ, बिल्वपत्र कुंड, शिवस्मृति म्यूजियम तथा एक बड़ा शिवलिंग भी स्थापित होगा जिसे चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग से ही पर्यटक दूर से देख कर आकर्षित होंगे. वहीं शिवधाम में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी करवाए जाएंगे और भगवान शिव के साथ माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश भगवान की प्रतिमाएं भी होंगी. इसके अलावा यहां हर्बल गार्डन, नक्षत्र वाटिका, एमफी थियेटर होगा और सैकड़ों गाड़ियों के लिए पार्किंग सुविधा हेागी.

शैव मत से प्रभावित इस पहाड़ी रियासत की आधुनिक राजधानी की स्थापना बाबा भूतनाथ के मंदिर के निर्माण के साथ ही हुई है. इसके अलावा शिव नगरी मंडी में त्रिलोकीनाथ, महामृत्युंजय, पंचवक्त्र, अर्धनारीश्वर, नीलकंठ, शिव शंभू महादेव, एकादश रुद्र महादेव, रुद्र महादेव आदि अनेक शिव मंदिर हैं, जो बाबा भूतनाथ की नगरी को छोटीकाशी के रूप में पहचान दिलाते हैं. अब 12 ज्योतिर्लिंगों वाले शिवराम की स्थापना से छोटी काशी पर्यटन के मानचित्र पर नए आयाम स्थापित करेगी. उत्तर भारत का यह पहला ऐसा धार्मिक पर्यटन स्थल (religious tourist places) होगा जो बाहर से आने वाले पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र भी होगा.

shivdham being built in kangnidhar
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हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) को शिवभूमि के रूप में भी जाना जाता है. शिव को यहां का जनमानस लोक रूप में पूजता है. ब्यास नदी (beas river) के तट पर बसी बाबा भूतनाथ की नगरी मंडी जो छोटीकाशी के रूप में विख्यात है, शैवमत से प्रभावित रही है. मंडी रियासत का इतिहास सुकेत रियासत की सातवीं पीढ़ी से प्रारंभ होता है.

जब सुकेत के राजा साहूसेन के छोटे भाई बाहूसेन ने अपने भाई से रूष्ट होकर कुछ विश्वास पात्र सैनिकों को साथ लेकर लोहारा जो तत्कालीन सुकेत रियासत की राजधानी थी, छोड़कर बल्ह के ही हाट में अपनी राजधानी बसाई थी. इसी के साथ मंडी रियासत की स्थापना हुई थी. बाहूसेन ने ही हाटेश्वरी माता के मंदिर की स्थापना की थी. इसके पश्चात बाहूसने मंगलौर में जा बसा था. 1280 ई.में बाणसेन ने भ्यूली में मंडी रियासत की राजधानी स्थापित की. जो बटोहली होते हुए 1527 ई. में अजबर सेन ने बाबा भूतनाथ के मंदिर के साथ ही आधुनिक मंडी शहर की स्थापना की थी.

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अनुपम सौंदर्य, ऐतिहासिक, पुरातात्विक विरासत एवं समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को अपने में समेटे हुए है. ब्यास नदी (beas river) के तट पर बसे होने और शिव मंदिरों की अधिकता एवं घाटों की बनावट के चलते मंडी को छोटी काशी के नाम भी जाना जाने लगा है. ब्यास नदी (beas river) के तट पर बसा मंडी नदी घाटी सभ्यता का उत्कृष्ट उदाहरण है. बाबा भूतनाथ की यह नगरी शिव धाम होने की वजह से ही हिमाचल की छोटी काशी कहलाती है.

मंडी शहर अतीत में तिब्बत, लद्दाख व यारकंद के व्यापार का प्रमुख पड़ाव रहा है. व्यापारिक केंद्र होने की वजह से भी मांडव्य नगरी मंडी के रूप में मशहूर हुई. ऐतिहासिक सिल्क रूट यारकंद से होशियारपुर का पड़ाव भी मंडी ही रहा है. मांडव्य नगरी ने जहां इतिहास की करवटों की पदचाप सुनी है वहीं यहां के गौरवशाली इतिहास को भी अपनी आंखों से बनते हुए देखा है.

बता दें, मुख्यमंत्री ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट शिवधाम (Dream Project Shivdham) का 27 फरवरी, 2021 को मंडी में शिलान्यास किया था. उन्होंने इस सौगात से छोटी काशी मंडी (Choti Kashi Mandi) को धार्मिक पर्यटन के आकर्षण का केंद्र बनाने का सपना साकार किया है. मंडी में शिवधाम से जहां विकास को नए आयाम मिलेंगे वहीं इस परियोजना से लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.

ये भी पढ़ें- पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी दलीप चौहान पार्टी से निष्कासित! बीजेपी का साथ देने का आरोप

मंडी: प्रदेश में सांस्कृतिक राजधानी के नाम से विख्यात छोटी काशी मंडी (Choti Kashi Mandi) में विकास को नये आयाम देने वाले भव्य-दिव्य शिवधाम का काम जोरों पर चल रहा है. मंडी के कांगणीधार में (shivdham being built in kangnidhar) साढ़े नौ हेक्टेयर क्षेत्र में 150 करोड़ रुपये से बन रहा दिव्य शिवधाम भव्यता में किसी अजूबे से कम नहीं होगा.

पहले चरण के काम पर 40 करोड़ रुपये खर्चे जा रहे हैं. इसमें पहाड़ी की कटिंग और जमीन को समतल बनाने के अलावा मंदिरों के स्तंभ खड़े का काम तेजी से चल रहा है. शिवधाम के प्रथम चरण का कार्य सितंबर 2022 से पहले पूरा कर लिया जाएगा. इस महत्वाकांक्षी परियोजना से देश-दुनिया में मंडी धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से उभरेगा और दुनियाभर के पर्यटकों के लिए मंडी में पर्यटन गंतव्य का नया स्वरूप देखने को मिलेगा.

पर्यटन विभाग मंडी (Tourism Department Mandi) के उपनिदेशक एस के पराशर शिवधाम के स्वरूप की जानकारी देते हुए बताया कि शिवधाम में प्रवेश के लिए कैलाश द्वार होगा. यहां श्रीगणेश मंडल के भी दर्शन होंगे, जिसमें भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा (Magnificent Statue of Lord Ganesha) स्थापित होगी. इसके अलावा गंगा कुंड होगा, शिव वंदना के नाम से ओरिएंटेशन सेंटर होगा. रुद्रा मंडल और डमरू मंडल होगा, जहां भगवान शिव के डमरू के दर्शन और डमरू मंडल के पास खाने पीने की वस्तुएं भी मिलेंगी.

मानसरोवर कुंड, मोक्ष पथ, बिल्वपत्र कुंड, शिवस्मृति म्यूजियम तथा एक बड़ा शिवलिंग भी स्थापित होगा जिसे चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग से ही पर्यटक दूर से देख कर आकर्षित होंगे. वहीं शिवधाम में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी करवाए जाएंगे और भगवान शिव के साथ माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश भगवान की प्रतिमाएं भी होंगी. इसके अलावा यहां हर्बल गार्डन, नक्षत्र वाटिका, एमफी थियेटर होगा और सैकड़ों गाड़ियों के लिए पार्किंग सुविधा हेागी.

शैव मत से प्रभावित इस पहाड़ी रियासत की आधुनिक राजधानी की स्थापना बाबा भूतनाथ के मंदिर के निर्माण के साथ ही हुई है. इसके अलावा शिव नगरी मंडी में त्रिलोकीनाथ, महामृत्युंजय, पंचवक्त्र, अर्धनारीश्वर, नीलकंठ, शिव शंभू महादेव, एकादश रुद्र महादेव, रुद्र महादेव आदि अनेक शिव मंदिर हैं, जो बाबा भूतनाथ की नगरी को छोटीकाशी के रूप में पहचान दिलाते हैं. अब 12 ज्योतिर्लिंगों वाले शिवराम की स्थापना से छोटी काशी पर्यटन के मानचित्र पर नए आयाम स्थापित करेगी. उत्तर भारत का यह पहला ऐसा धार्मिक पर्यटन स्थल (religious tourist places) होगा जो बाहर से आने वाले पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र भी होगा.

shivdham being built in kangnidhar
फोटो.

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) को शिवभूमि के रूप में भी जाना जाता है. शिव को यहां का जनमानस लोक रूप में पूजता है. ब्यास नदी (beas river) के तट पर बसी बाबा भूतनाथ की नगरी मंडी जो छोटीकाशी के रूप में विख्यात है, शैवमत से प्रभावित रही है. मंडी रियासत का इतिहास सुकेत रियासत की सातवीं पीढ़ी से प्रारंभ होता है.

जब सुकेत के राजा साहूसेन के छोटे भाई बाहूसेन ने अपने भाई से रूष्ट होकर कुछ विश्वास पात्र सैनिकों को साथ लेकर लोहारा जो तत्कालीन सुकेत रियासत की राजधानी थी, छोड़कर बल्ह के ही हाट में अपनी राजधानी बसाई थी. इसी के साथ मंडी रियासत की स्थापना हुई थी. बाहूसेन ने ही हाटेश्वरी माता के मंदिर की स्थापना की थी. इसके पश्चात बाहूसने मंगलौर में जा बसा था. 1280 ई.में बाणसेन ने भ्यूली में मंडी रियासत की राजधानी स्थापित की. जो बटोहली होते हुए 1527 ई. में अजबर सेन ने बाबा भूतनाथ के मंदिर के साथ ही आधुनिक मंडी शहर की स्थापना की थी.

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फोटो.

अनुपम सौंदर्य, ऐतिहासिक, पुरातात्विक विरासत एवं समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को अपने में समेटे हुए है. ब्यास नदी (beas river) के तट पर बसे होने और शिव मंदिरों की अधिकता एवं घाटों की बनावट के चलते मंडी को छोटी काशी के नाम भी जाना जाने लगा है. ब्यास नदी (beas river) के तट पर बसा मंडी नदी घाटी सभ्यता का उत्कृष्ट उदाहरण है. बाबा भूतनाथ की यह नगरी शिव धाम होने की वजह से ही हिमाचल की छोटी काशी कहलाती है.

मंडी शहर अतीत में तिब्बत, लद्दाख व यारकंद के व्यापार का प्रमुख पड़ाव रहा है. व्यापारिक केंद्र होने की वजह से भी मांडव्य नगरी मंडी के रूप में मशहूर हुई. ऐतिहासिक सिल्क रूट यारकंद से होशियारपुर का पड़ाव भी मंडी ही रहा है. मांडव्य नगरी ने जहां इतिहास की करवटों की पदचाप सुनी है वहीं यहां के गौरवशाली इतिहास को भी अपनी आंखों से बनते हुए देखा है.

बता दें, मुख्यमंत्री ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट शिवधाम (Dream Project Shivdham) का 27 फरवरी, 2021 को मंडी में शिलान्यास किया था. उन्होंने इस सौगात से छोटी काशी मंडी (Choti Kashi Mandi) को धार्मिक पर्यटन के आकर्षण का केंद्र बनाने का सपना साकार किया है. मंडी में शिवधाम से जहां विकास को नए आयाम मिलेंगे वहीं इस परियोजना से लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.

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