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निजी बसें बंद होने की कगार पर, 70 फीसदी सीटें खाली

बस मालिकों को 30 से 32 सीटर बसों में सवारियां नहीं मिलने के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिस कारण ऑपरेटर्स को रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं.बस मालिकों को डीजल के पैसे के साथ चालक परिचालकों की दिहाड़ी देना मुश्किल हो गया है. लोग कोरोना के डर से अभी भी घरों में कैद हैं. ऐसे में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने से गुरेज कर रहे हैं. इससे ट्रांसपोर्ट कारोबार बंद होने की कगार पर है.

निजी बसें बंद होने की कगार पर
निजी बसें बंद होने की कगार पर
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Published : Jul 13, 2020, 12:34 PM IST

मंडीः कोरोना महामारी के चलते जहां 3 महीने से निजी बस सेवाएं बंद पड़ी थीं. वहीं, अनलॉक शुरू होने के बाद प्रदेश में सरकार ने कुछ रियायतों के साथ निजी बसों को चलाने के आदेश दिए हैं, जिससे बसों के मालिकों ने राहत की सांस ली, लेकिन बस ऑपरेटरों के लिए ये राहत मुश्किल बनकर सामने आ रही है.

बस मालिकों को 30 से 32 सीटर बसों में सवारियां नहीं मिलने के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिस कारण ऑपरेटर्स को रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है. बस मालिकों को डीजल के पैसे के साथ चालक-परिचालकों की दिहाड़ी देना मुश्किल हो गया है. लोग कोरोना के डर से अभी भी घरों में कैद हैं. ऐसे में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने से गुरेज कर रहे हैं. इससे ट्रांसपोर्ट कारोबार बंद होने के कगार पर हैं.

वीडियो रिपोर्ट

वहीं, सुंदरनगर के बस मालिक प्रभात ने बताया कि सीएम जयराम ठाकुर व परिवहन मंत्री के दिशा निर्देशों के अनुसार बसें चलाना शुरू की गई हैं, लेकिन 30 सीटर बस में रूट पर मात्र 8 से 9 सवारियां बैठ रही हैं. इस कारण डीजल का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि इन सवारियों से चालक व परिचालकों की दिहाड़ी और बसों के तेल का खर्चा भी पूरा नहीं हो पा रहा है. ऐसे में बस ऑपरेटर्स ने सरकार से टैक्स और बस अड्डा शुल्क माफ करने की मांग कर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में खत्म होते रोजगार के बारे में विचार करने की गुहार लगाई है.

बता दें कि हिमाचल में सरकार ने 100 प्रतिशत सवारियों के साथ बसें चलाने के निर्देश जारी किए हैं. वहीं, बस ऑपरेटर्स की मांग पर प्रदेश सरकार ने पहले 25 प्रतिशत किराया बढ़ाया गया था, जिसे सरकार ने हाल ही में वापस ले लिया है. सरकार के इस फैसले से भी बस ऑपरेटर्स खफा हैं.

ये भी पढ़ें : BJP मंडल उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह नेगी टोंस नदी में डूबे, तलाश जारी

मंडीः कोरोना महामारी के चलते जहां 3 महीने से निजी बस सेवाएं बंद पड़ी थीं. वहीं, अनलॉक शुरू होने के बाद प्रदेश में सरकार ने कुछ रियायतों के साथ निजी बसों को चलाने के आदेश दिए हैं, जिससे बसों के मालिकों ने राहत की सांस ली, लेकिन बस ऑपरेटरों के लिए ये राहत मुश्किल बनकर सामने आ रही है.

बस मालिकों को 30 से 32 सीटर बसों में सवारियां नहीं मिलने के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिस कारण ऑपरेटर्स को रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है. बस मालिकों को डीजल के पैसे के साथ चालक-परिचालकों की दिहाड़ी देना मुश्किल हो गया है. लोग कोरोना के डर से अभी भी घरों में कैद हैं. ऐसे में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने से गुरेज कर रहे हैं. इससे ट्रांसपोर्ट कारोबार बंद होने के कगार पर हैं.

वीडियो रिपोर्ट

वहीं, सुंदरनगर के बस मालिक प्रभात ने बताया कि सीएम जयराम ठाकुर व परिवहन मंत्री के दिशा निर्देशों के अनुसार बसें चलाना शुरू की गई हैं, लेकिन 30 सीटर बस में रूट पर मात्र 8 से 9 सवारियां बैठ रही हैं. इस कारण डीजल का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि इन सवारियों से चालक व परिचालकों की दिहाड़ी और बसों के तेल का खर्चा भी पूरा नहीं हो पा रहा है. ऐसे में बस ऑपरेटर्स ने सरकार से टैक्स और बस अड्डा शुल्क माफ करने की मांग कर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में खत्म होते रोजगार के बारे में विचार करने की गुहार लगाई है.

बता दें कि हिमाचल में सरकार ने 100 प्रतिशत सवारियों के साथ बसें चलाने के निर्देश जारी किए हैं. वहीं, बस ऑपरेटर्स की मांग पर प्रदेश सरकार ने पहले 25 प्रतिशत किराया बढ़ाया गया था, जिसे सरकार ने हाल ही में वापस ले लिया है. सरकार के इस फैसले से भी बस ऑपरेटर्स खफा हैं.

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