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किसानों की बड़ी मुश्किलें, मटर की फसल के नहीं मिल पा रहे सही दाम

सरकार के प्रयासों के बाद मंडियां खुली तो अब मटर के कम रेट ने किसानों की कमर तोड़ दी है. चुराग सब्जी मंडी सहित अन्य मंडियों में इन दिनों 20 से 22 रुपये किलो मटर बिक रहा हैं.

people of Mandi are not getting the right price for the pea crop
मटर की फसल के नहीं मिल पा रहें सही दाम
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Published : Apr 21, 2020, 11:28 PM IST

मंडी : कोरोना वायरस के चलते देश व प्रदेश में घोषित लॉकडाउन ने प्रदेश के लाखों अन्नदाताओं को संकट में डाल दिया है. मौसम ने इस बार साथ दिया था, जिससे मटर की बम्पर फसल से खेत लहरा रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस से देश पर आए संकट ने किसानों की अच्छी कमाई की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.


करसोग की बात करें तो कई सालों के बाद मटर की अच्छी पैदावार होती दिख रही है. इससे अन्नदाता खुश नजर आ रहा हैं, लेकिन कोरोना के चलते पहले ही मंडी देरी से खुलने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ा.

सरकार के प्रयासों के बाद मंडियां खुली तो अब मटर के कम रेट ने किसानों की कमर तोड़ दी है. चुराग सब्जी मंडी सहित अन्य मंडियों में इन दिनों 20 से 22 रुपये किलो मटर बिक रहा हैं.

किसानों के मुताबिक खेती पर होने वाली अधिक लागत और परिवार की मेहनत को देखते हुए मटर का ये भाव बहुत कम है. आर्थिक तौर पर किसानों की स्थिति मजबूत हो, इसके लिए मटर 30 से 35 रुपये प्रति किलो बिकना चाहिए. तभी खेती पर होने वाले खर्च को काटकर किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो सकती हैं.

किसानों ने 230 रुपये किलो खरीदा है मटर का बीज:-
करसोग के अधिकतर क्षेत्रों में मटर रबी सीजन में ली जाने वाली प्रमुख फसलों में एक है. किसानों ने न्यूजीलैंड मटर बैराएटी का बीज करीब 230 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा है. इसके बाद मटर की अच्छी पैदावार लेने के लिए गोबर खाद सहित कीटनाशक के छिड़काव पर होने वाला खर्च अलग से है.

यही नहीं मटर की बुआई के समय दो बार खेतों में हल चलाना पड़ता है. मटर की गुड़ाई सहित जब फसल तैयार होती है तो तुड़ान के लिए अलग से मेहनत करनी पड़ती है. इसके बाद मंडी तक फसल पहुंचाने का खर्च अलग से है. ऐसे में मटर की फसल लेने के लिए किसान के पूरे परिवार ने खेतों में पसीना बहाया है.इसके बाद अगर भाव अच्छे न मिले तो भला किसानों की आय कैसे दुगनी होगी.

250 हेक्टेयर में मटर की बुआई:-
पिछले कुछ सालों से नकदी फसलों की ओर किसानों की दिलचस्पी बढ़ी है. ऐसे में धीरे धीरे सब्जी उत्पादन का क्षेत्र भी लगातार बढ़ रहा है. करसोग में रबी सीजन में 450 हेक्टेयर भूमि पर सब्जियों की पैदावार ली जा रही है. इसमें किसानों ने अकेले 250 हेक्टेयर में मटर की बिजाई की गई है.

ऐसे में इस बार 35 हजार क्विंटल अधिक मटर की पैदावार रहने का अनुमान लगाया गया है. रबी सीजन में करसोग से अकेले 8 से 9 करोड़ का मटर कारोबार होता है. इसके अतिरिक्त रबी सीजन में आलू, मूली, लहसुन, फूल गोभी, पत्ता गोभी व सरसों की भी काफी पैदावार ली जाती है.

वहीं,जय कुमार का कहना है कि मटर की पैदावार लेने में किसानों का काफी अधिक खर्चा आता है. इसमें मटर के महंगे बीज सहित कीटनाशक छिड़काव पर बहुत पैसा खर्च होता है.मंडियों में मटर 20 से 23 रुपये किलो बिक रहा है. ऐसे में किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत हो तो मटर 30 से 35 रुपये किलों बिकना चाहिए.

मंडी : कोरोना वायरस के चलते देश व प्रदेश में घोषित लॉकडाउन ने प्रदेश के लाखों अन्नदाताओं को संकट में डाल दिया है. मौसम ने इस बार साथ दिया था, जिससे मटर की बम्पर फसल से खेत लहरा रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस से देश पर आए संकट ने किसानों की अच्छी कमाई की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.


करसोग की बात करें तो कई सालों के बाद मटर की अच्छी पैदावार होती दिख रही है. इससे अन्नदाता खुश नजर आ रहा हैं, लेकिन कोरोना के चलते पहले ही मंडी देरी से खुलने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ा.

सरकार के प्रयासों के बाद मंडियां खुली तो अब मटर के कम रेट ने किसानों की कमर तोड़ दी है. चुराग सब्जी मंडी सहित अन्य मंडियों में इन दिनों 20 से 22 रुपये किलो मटर बिक रहा हैं.

किसानों के मुताबिक खेती पर होने वाली अधिक लागत और परिवार की मेहनत को देखते हुए मटर का ये भाव बहुत कम है. आर्थिक तौर पर किसानों की स्थिति मजबूत हो, इसके लिए मटर 30 से 35 रुपये प्रति किलो बिकना चाहिए. तभी खेती पर होने वाले खर्च को काटकर किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो सकती हैं.

किसानों ने 230 रुपये किलो खरीदा है मटर का बीज:-
करसोग के अधिकतर क्षेत्रों में मटर रबी सीजन में ली जाने वाली प्रमुख फसलों में एक है. किसानों ने न्यूजीलैंड मटर बैराएटी का बीज करीब 230 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा है. इसके बाद मटर की अच्छी पैदावार लेने के लिए गोबर खाद सहित कीटनाशक के छिड़काव पर होने वाला खर्च अलग से है.

यही नहीं मटर की बुआई के समय दो बार खेतों में हल चलाना पड़ता है. मटर की गुड़ाई सहित जब फसल तैयार होती है तो तुड़ान के लिए अलग से मेहनत करनी पड़ती है. इसके बाद मंडी तक फसल पहुंचाने का खर्च अलग से है. ऐसे में मटर की फसल लेने के लिए किसान के पूरे परिवार ने खेतों में पसीना बहाया है.इसके बाद अगर भाव अच्छे न मिले तो भला किसानों की आय कैसे दुगनी होगी.

250 हेक्टेयर में मटर की बुआई:-
पिछले कुछ सालों से नकदी फसलों की ओर किसानों की दिलचस्पी बढ़ी है. ऐसे में धीरे धीरे सब्जी उत्पादन का क्षेत्र भी लगातार बढ़ रहा है. करसोग में रबी सीजन में 450 हेक्टेयर भूमि पर सब्जियों की पैदावार ली जा रही है. इसमें किसानों ने अकेले 250 हेक्टेयर में मटर की बिजाई की गई है.

ऐसे में इस बार 35 हजार क्विंटल अधिक मटर की पैदावार रहने का अनुमान लगाया गया है. रबी सीजन में करसोग से अकेले 8 से 9 करोड़ का मटर कारोबार होता है. इसके अतिरिक्त रबी सीजन में आलू, मूली, लहसुन, फूल गोभी, पत्ता गोभी व सरसों की भी काफी पैदावार ली जाती है.

वहीं,जय कुमार का कहना है कि मटर की पैदावार लेने में किसानों का काफी अधिक खर्चा आता है. इसमें मटर के महंगे बीज सहित कीटनाशक छिड़काव पर बहुत पैसा खर्च होता है.मंडियों में मटर 20 से 23 रुपये किलो बिक रहा है. ऐसे में किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत हो तो मटर 30 से 35 रुपये किलों बिकना चाहिए.

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