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सब्जी मंडी में रेट में अंतर होने से किसान परेशान, चुराग में 26 तो शिमला में 40 रुपये किलो बिका बीन - मंडी रेट के अंतर

चुराग मंडी में एकदम से बीन के रेट गिरने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मौसम ने इस बार किसानों की कमर तोड़ दी है. दो-तीन दिन पहले मंडियों में किसानों को बीन के प्रति किलो 45 रुपये रेट भी मिला था.

Mandi Farmers unhappy with fall of vegetables price
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Published : Sep 10, 2019, 8:08 AM IST

मंडी/करसोगः सब्जी मंडी में रेट के भारी अंतर से किसान हैरान और परेशान हैं. सोमवार को शिमला ढली मंडी और चुराग सब्जी मंडी में बीन के रेट में 14 रुपये प्रति किलो का अंतर होना किसानों के बीच चर्चा के विषय रहा.

शिमला सब्जी मंडी में किसानों से बीन 40 रुपये प्रति किलो खरीदा गया, लेकिन चुराग सब्जी मंडी में बीन का रेट 26 रुपये प्रति किलो रहा. किसानों को चुराग सब्जी मंडी बोली के बाद ही बीन सस्ते रेट बिकने की जानकारी लगी. ऐसे में शिमला और चुराग मंडी में बीन के रेट में भारी अंतर रहने से किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

वीडियो.

कैसे किसान होंगे ऊर्जावान

मोदी सरकार किसानों को अन्नदाता से उर्जावान बनाना चाहती है, लेकिन उत्पाद के दाम इतने कम रेट पर मिलने से किसान भला कैसे ऊर्जावान बन सकता है. हालांकि दो-तीन दिन पहले मंडियों में किसानों को बीन के प्रति किलो 45 रुपये रेट भी मिला, लेकिन चुराग मंडी में एकदम से बीन के रेट गिरने से किसान परेशान हैं.

ऐसे में अब रेट गिरने से किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई है. चुराग सब्जी मंडी बीन बेचने गए एक किसान ने बताया कि वे 137 किलो बीन लेकर चुराग सब्जी मंडी गए थे. उनका बीन 26 रुपये प्रति किलो बिका. जिसके उन्हें कुल 3562 रुपये मिले. अगर शिमला के ढली मंडी में बिके रेट से तुलना की जाए तो उन्हें 1918 रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. ऐसे ही चुराग मंडी में सोमवार को बीन लेकर पहूंच अन्य किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ा. वहीं, आढ़तियों ने इस पर तर्क दिया है कि जरुरत से अधिक बीन बिकने के लिए आई थी.

किसान बाध्य नहीं अपने उत्पाद बेचने को: सचिव

एपीएमसी मंडी के सचिव भूपेंद्र ठाकुर का कहना है कि सब्जियों की बोली लगने पर सरकार का कोई कंट्रोल नहीं है. लेकिन अगर किसान को लगता है कि उनको उत्पाद के सही दाम नहीं मिल रहे हैं तो वे अपना उत्पाद सस्ते रेट पर बेचने के लिए मजबूर नहीं हैं. किसान किसी भी मंडी में अपना उत्पाद भेज सकते हैं.

ये भी पढ़ें- कई घंटे तक स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं पहुंचा कोई डॉक्टर, धूप में बच्चों के साथ खड़ी रहीं महिलाएं

मंडी/करसोगः सब्जी मंडी में रेट के भारी अंतर से किसान हैरान और परेशान हैं. सोमवार को शिमला ढली मंडी और चुराग सब्जी मंडी में बीन के रेट में 14 रुपये प्रति किलो का अंतर होना किसानों के बीच चर्चा के विषय रहा.

शिमला सब्जी मंडी में किसानों से बीन 40 रुपये प्रति किलो खरीदा गया, लेकिन चुराग सब्जी मंडी में बीन का रेट 26 रुपये प्रति किलो रहा. किसानों को चुराग सब्जी मंडी बोली के बाद ही बीन सस्ते रेट बिकने की जानकारी लगी. ऐसे में शिमला और चुराग मंडी में बीन के रेट में भारी अंतर रहने से किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

वीडियो.

कैसे किसान होंगे ऊर्जावान

मोदी सरकार किसानों को अन्नदाता से उर्जावान बनाना चाहती है, लेकिन उत्पाद के दाम इतने कम रेट पर मिलने से किसान भला कैसे ऊर्जावान बन सकता है. हालांकि दो-तीन दिन पहले मंडियों में किसानों को बीन के प्रति किलो 45 रुपये रेट भी मिला, लेकिन चुराग मंडी में एकदम से बीन के रेट गिरने से किसान परेशान हैं.

ऐसे में अब रेट गिरने से किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई है. चुराग सब्जी मंडी बीन बेचने गए एक किसान ने बताया कि वे 137 किलो बीन लेकर चुराग सब्जी मंडी गए थे. उनका बीन 26 रुपये प्रति किलो बिका. जिसके उन्हें कुल 3562 रुपये मिले. अगर शिमला के ढली मंडी में बिके रेट से तुलना की जाए तो उन्हें 1918 रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. ऐसे ही चुराग मंडी में सोमवार को बीन लेकर पहूंच अन्य किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ा. वहीं, आढ़तियों ने इस पर तर्क दिया है कि जरुरत से अधिक बीन बिकने के लिए आई थी.

किसान बाध्य नहीं अपने उत्पाद बेचने को: सचिव

एपीएमसी मंडी के सचिव भूपेंद्र ठाकुर का कहना है कि सब्जियों की बोली लगने पर सरकार का कोई कंट्रोल नहीं है. लेकिन अगर किसान को लगता है कि उनको उत्पाद के सही दाम नहीं मिल रहे हैं तो वे अपना उत्पाद सस्ते रेट पर बेचने के लिए मजबूर नहीं हैं. किसान किसी भी मंडी में अपना उत्पाद भेज सकते हैं.

ये भी पढ़ें- कई घंटे तक स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं पहुंचा कोई डॉक्टर, धूप में बच्चों के साथ खड़ी रहीं महिलाएं

Intro:दो तीन दिन पहले मंडियों में किसानों को बीन के प्रति किलो 45 रुपये रेट भी मिला, लेकिन चुराग मंडी में एकदम से बीन के रेट गिरने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई है। वैसे भी मौसम ने इस बार किसानों की कमर तोड़ दी है।Body:14 रुपये किलो के अंतर से किसान हैरान, चुराग मंडी में 26 रुपये तो शिमला ढली मंडी में 40 रुपये किलो बिका बीन
करसोग
सब्जी मंडी में रेट के भारी अंतर से किसान हैरान और परेशान है। सोमवार को शिमला ढली मंडी और चुराग सब्जी मंडी में बीन के रेट में 14 रुपये प्रति किलो का अंतर होना किसानों के बीच चर्चा के विषय रहा। शिमला सब्जी मंडी में किसानों से बीन 40 रुपये प्रति किलो खरीदा गया, लेकिन चुराग सब्जी मंडी में यही रेट 26 रुपये प्रति किलो रहा। किसानों को चुराग सब्जी मंडी बोली के बाद ही बीन सस्ते रेट बिकने की जानकारी लगी। ऐसे में शिमला और चुराग मंडी में बीन के रेट में भारी अंतर रहने से किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है।

कैसे किसान होगा उर्जाबान:
मोदी सरकार किसानों को अन्नदाता से उर्जाबान बनाना चाहती है, लेकिन उत्पाद इतने कम रेट पर बिकने से किसान भला कैसे ऊर्जावान बन सकता है। हालांकि दो तीन दिन पहले मंडियों में किसानों को बीन के प्रति किलो 45 रुपये रेट भी मिला, लेकिन चुराग मंडी में एकदम से बीन के रेट गिरने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई है। वैसे भी मौसम ने इस बार किसानों की कमर तोड़ दी है। पिछले महीने तीन दिन लगातार हुई बारिश से बीन की आधी फसल पहले ही खराब हो चुकी है। बाकी की रही सही कसर तीन सप्ताह से बारिश न होने के कारण पूरी हो गई है। करसोग में पिछले तीन सप्ताह से कोई बारिश नहीं हुई है। जिससे बीन सहित अन्य सब्जियों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में अब रेट गिरने से किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई है। चुराग सब्जी मंडी बीन बेचने गए एक किसान ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि वे 137 किलो बीन लेकर चुराग सब्जी मंडी गए थे, लेकिन उनका बीन 26 रुपये प्रति किलो बिका। जिसके उन्हें कुल 3562 रुपये मिले। अगर शिमला के ढली मंडी में बिके रेट से तुलना की जाए तो उन्हें 1918 रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। ऐसे ही चुराग मंडी में सोमवार को बीन लेकर पहूंच अन्य किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ा। उधर आढ़तियों का तर्क है कि डिमांड से अधिक बीन बिकने के लिए आई थी।


किसान बाध्य नहीं अपने उत्पाद बेचने को: सचिव
एपीएमसी मंडी के सचिव भूपेंद्र ठाकुर का कहना है कि सब्जियों की बोली लगने पर सरकार को कोई कंट्रोल नहीं है। लेकिन अगर किसान को लगता है कि उनको उत्पाद के सही दाम नहीं मिल रहे है तो वे अपना उत्पाद सस्ते रेट पर बेचने के लिए बाध्य नहीं है। किसान किसी भी मंडी में अपना उत्पाद भेज सकते हैं।Conclusion:एपीएमसी मंडी के सचिव भूपेंद्र ठाकुर का कहना है कि सब्जियों की बोली लगने पर सरकार को कोई कंट्रोल नहीं है। लेकिन अगर किसान को लगता है कि उनको उत्पाद के सही दाम नहीं मिल रहे है तो वे अपना उत्पाद सस्ते रेट पर बेचने के लिए बाध्य नहीं है। किसान किसी भी मंडी में अपना उत्पाद भेज सकते हैं।
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