मंडी: हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं की भूमि है और यहां पर देवी-देवताओं की सदियों पुरानी परंपराओं का निर्वहन आज भी पूरी श्रद्धाभाव के साथ किया जाता है. ऐसी ही एक मान्यता के अनुसार हिंदी संवत के अनुसार मंडी जनपद में भाद्रपद के महीने में देवताओं और डायनों का युद्ध होता है, जिसमें जनपद के विभिन्न मंदिरों में रात्रि बारह बजे जाग होम का आयोजन किया जाता है. जाग में देवी-देवताओं के गुर अंगारों पर चलकर अग्नि परीक्षा देते हैं और इस दौरान देववाणी भी की जाती है.
बता दें कि ऋषि पंचमी तक जनपद में ज्यादातर देवी-देवताओं के मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं. ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी या ऋषि पंचमी तक देवता डायनों के साथ हार-पासे का खेल खेलकर वापस अपने मंदिरों में विराजमान होते हैं. इसके साथ ही देवी-देवताओं के गुर के माध्यम से देवता और डायनों के युद्ध और खेल का परिणाम भी बताया जाता है, जिनके आधार पर आने वाले समय में क्षेत्र में सुख-शांति को लेकर भी भविष्यवाणी की जाती है.
इसी परंपरा के चलते मंडी जनपद के पुरानी मंडी के महाकाली मंदिर (Mahakali Temple Mandi) में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की डगवांस को आधा दर्जन देवी के गुरों ने अग्रि परीक्षा देकर बुरी शक्तियों से लोहा लिया. वहीं, मंडी शहर के स्कूल बाजार स्थित माता चामुंडा काली मंदिर (Mata Chamunda Kali Temple) में भी इसी प्रकार से देवी-देवताओं के गुरों ने अंगारों पर चलकर अग्नि परीक्षा दी.
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महाकाली मंदिर पुरानी मंडी की कमेटी (Committee of Mahakali Mandir Old Mandi) के कोषाध्यक्ष रामचंद्र चौहान ने कहा कि यह देवी-देवताओं और इतिहास से जुड़ी पौराणिक परंपराएं हैं जिनका निर्वहन आज भी उसी प्रकार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मान्यताओं के अनुसार अगर देवता विजयी रहते हैं तो क्षेत्र में सुख शांति बनी रहती है और यदि डायनों की जीत होती है तो इलाके में फसल अच्छी होती है. बता दें कि देवी-देवताओं और डायनों के छिड़े महासंग्राम का अंतिम परिणाम पत्थर चौक यानी आज (शुक्रवार, 10 सितंबर) रात को देवधार में अधिष्ठाता देव सत बाला कामेश्वर के दरबार में सुनाया जाएगा.
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