मंडी/सुंदरनगर: विश्वभर के साथ भारत में फैले कोरोना वायरस के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 46 हजार से अधिक हो चुकी है और आगामी 17 मई तक देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया है.
वहीं, प्रदेश सरकार इस दौरान बाहरी राज्यों में फंसे लोगों की लगातार घर वापसी करवा रही है. बाहरी राज्यों से हिमाचल प्रदेश में लौट रहे लोगों की बॉर्डर पर थर्मल स्कैनिंग कर उन्हें 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन किया जा रहा है.
बॉर्डर पर सिर्फ थर्मल स्कैनिंग को लेकर प्रदेश की जनता में एक डर का माहौल था. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने कोविड-19 अस्पताल नेरचौक के एमएस डॉ. देवेंद्र शर्मा से इस बारे में बातचीत की.
डॉ. देवेंद्र शर्मा ने कहा कि थर्मल स्कैनर कोरोना वायरस को लेकर शरीर का तापमान मापने का एक डिवाइस है और यह जांच का एक तरीका है. उन्होंने कहा कि खांसी, जुकाम, नाक का बहना और बुखार और सांस का फूलना कोरोना के लक्ष्ण हैं. इनकी भी जांच की जाती है. थर्मल स्कैनिंग एक लक्षण को परखने का तरीका है.
थर्मल स्कैनिंग के माध्यम से सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए बुखार की जांच की जाती है. थर्मल स्कैनिंग कोरोना का कोई ईलाज नहीं है. डॉ. देवेंद्र शर्मा ने कहा कि बाहरी क्षेत्रों से आए हुए लोगों के टेस्ट करना जरूरी नहीं है.
लोग एक नीति के तहत राज्य में आए हैं और उन्हें 14 दिनों के लिए होम क्वांटराइन किया गया है. उन्होंने कहा कि अगर बाहरी इलाकों से आने वाले लोग कोरोना पाजिटिव के संपर्क में आए होगें तो 14 दिन तक होम क्वांटराईन करने से लक्ष्ण आने पर उनका कोरोना टेस्ट किया जाएगा.
डॉ. देवेंद्र शर्मा ने कहा कि इस समय सीमा में अगर कोरोना का कोई लक्ष्ण नहीं आता है तो उसका टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है.
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