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युवक को कोरोना नेगेटिव आने पर भेजा गांव, फिर घर पहुंचने से पहले ही कहा रिपोर्ट पेंडिंग

मंडी में कोरोना संक्रमित युवक को पहले नेगेटिव बता कर अस्पताल प्रशासन ने घर भेज दिया और फिर घर पहुंचने से पहले ही युवक को रिपोर्ट का इंतजार करने के लिए कहा गया. इस लापरवाही के चलते युवक को छह घंटे घर से बाहर दूर खेत में रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ा.

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Published : Jun 21, 2020, 3:46 PM IST

corona positive report in mandi
corona positive report in mandi

सुंदरनगरः कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग लगातर प्रयास कर रहा है, लेकिन इसी बीच कई खामियां भी नजर आ रही हैं. प्रदेश में भी एक ऐसा ही खामी भरा मामला देखने को मिला है. जिला मंडी में स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है.

जानकारी के अनुसार सुंदरनगर की ग्राम पंचायत मलोह के चार कोरोना संक्रमित मरीजों का ईलाज कोविड केयर सेंटर ढांकसीधार और डेडिकेटेड कोविड अस्पताल नेरचौक में चल रहा था. इनमें से तीन मरीजों को कोरोना से जंग जीतने के बाद पिछले सप्ताह ही घर वापस भेज दिया गया था.

वहीं एक मरीज अभी भी ढांकसीधार में उपचाराधीन था, लेकिन इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही इस कदर सामने आई है कि मरीज को अपने घर पहुंचने के बाद खेतों में भूखे प्यासे बैठकर कर अपनी कोविड रिपोर्ट कन्फर्म होने तक करीब 6 घंटे इंतजार करना पड़ा.

वीडियो.

मामले में दो दिन पहले कोरोना वायरस के लिए उसके सैंपल लिए गए थे. रिपोर्ट आने पर उसे कहा गया कि आपकी रिपोर्ट नेगेटिव है. इसके बाद मरीज को मंडी स्थित ढांकसीधार कोविड केयर सेंटर से एंबुलेंस के माध्यम से उसके गांव मलोह पहुंचाया गया, लेकिन जैसे ही एंबुलेंस से मरीज उतर कर अपने घर के लिए पैदल रवाना हुआ.

इसी दौरान उसे ढांकसीधार से कॉल आया और उनकी रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी की सूचना है. इस पर उन्हें घर जाने से भी मना कर दिया गया और रिपोर्ट का इंतजार करने के निर्देश दिए गए. इससे मरीज घबरा गया और पूरा दिन युवक रिपोर्ट के इंतजार में घर के बाहर खेत में ही बैठा रहा. इस कारण मरीज के परिवार वाले भी परेशान होते रहे.

हैरानी की बात यह है कि मरीज को नेगेटिव रिपोर्ट का सर्टिफिकेट भी दे दिया गया था, लेकिन इसके बाद जब मरीज को इस तरह का कॉल आया तो वो परेशान हो गया और अपने घर के बाहर ही दूर खेतों में बैठा रहा.

जब स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि मरीज की रिपोर्ट अभी नहीं आई है. वहीं, जारी की गई रिपोर्ट में मरीज की उम्र 28 साल लिखी हुई थी और लेकिन युवक की उम्र 34 साल थी. इस कारण भ्रम पैदा हो गया.

वहीं, मामले को लेकर मलोह पंचायत के उप प्रधान कृष्ण चंद वर्मा ने कहा कि जब युवक घर से कुछ दूरी पर था तो उसे किसी अधिकारी का कॉल आया. उन्होंने कहा कि अधिकारी ने युवक को अभी उनकी कोरोना रिपोर्ट पेंडिंग के बारे में कहा और अभी घर नहीं जाने के निर्देश दिए.

कृष्ण चंद ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस तरह की लापरवाही पर हैरान थे. उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय स्तर की बीमारी है जिससे निपटने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी इस तरह की लापरवाही बरते तो इससे लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है.

कृष्ण चंद ने कहा कि उनके क्षेत्र के युवक की उम्र 34 वर्ष है लेकिन जो रिपोर्ट दी गई थी उसमें उम्र 28 वर्ष बताई गई है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और सरकार को मामले की गहनता से जांच करनी चाहिए जिससे इस तरह की लापरवाही और सामने ना आए.

ये भी पढ़ें- विधायक रामलाल ठाकुर का आरोप, बिलासपुर में BJP नेता के इशारों पर हो रहे तबादले

सुंदरनगरः कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग लगातर प्रयास कर रहा है, लेकिन इसी बीच कई खामियां भी नजर आ रही हैं. प्रदेश में भी एक ऐसा ही खामी भरा मामला देखने को मिला है. जिला मंडी में स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है.

जानकारी के अनुसार सुंदरनगर की ग्राम पंचायत मलोह के चार कोरोना संक्रमित मरीजों का ईलाज कोविड केयर सेंटर ढांकसीधार और डेडिकेटेड कोविड अस्पताल नेरचौक में चल रहा था. इनमें से तीन मरीजों को कोरोना से जंग जीतने के बाद पिछले सप्ताह ही घर वापस भेज दिया गया था.

वहीं एक मरीज अभी भी ढांकसीधार में उपचाराधीन था, लेकिन इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही इस कदर सामने आई है कि मरीज को अपने घर पहुंचने के बाद खेतों में भूखे प्यासे बैठकर कर अपनी कोविड रिपोर्ट कन्फर्म होने तक करीब 6 घंटे इंतजार करना पड़ा.

वीडियो.

मामले में दो दिन पहले कोरोना वायरस के लिए उसके सैंपल लिए गए थे. रिपोर्ट आने पर उसे कहा गया कि आपकी रिपोर्ट नेगेटिव है. इसके बाद मरीज को मंडी स्थित ढांकसीधार कोविड केयर सेंटर से एंबुलेंस के माध्यम से उसके गांव मलोह पहुंचाया गया, लेकिन जैसे ही एंबुलेंस से मरीज उतर कर अपने घर के लिए पैदल रवाना हुआ.

इसी दौरान उसे ढांकसीधार से कॉल आया और उनकी रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी की सूचना है. इस पर उन्हें घर जाने से भी मना कर दिया गया और रिपोर्ट का इंतजार करने के निर्देश दिए गए. इससे मरीज घबरा गया और पूरा दिन युवक रिपोर्ट के इंतजार में घर के बाहर खेत में ही बैठा रहा. इस कारण मरीज के परिवार वाले भी परेशान होते रहे.

हैरानी की बात यह है कि मरीज को नेगेटिव रिपोर्ट का सर्टिफिकेट भी दे दिया गया था, लेकिन इसके बाद जब मरीज को इस तरह का कॉल आया तो वो परेशान हो गया और अपने घर के बाहर ही दूर खेतों में बैठा रहा.

जब स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि मरीज की रिपोर्ट अभी नहीं आई है. वहीं, जारी की गई रिपोर्ट में मरीज की उम्र 28 साल लिखी हुई थी और लेकिन युवक की उम्र 34 साल थी. इस कारण भ्रम पैदा हो गया.

वहीं, मामले को लेकर मलोह पंचायत के उप प्रधान कृष्ण चंद वर्मा ने कहा कि जब युवक घर से कुछ दूरी पर था तो उसे किसी अधिकारी का कॉल आया. उन्होंने कहा कि अधिकारी ने युवक को अभी उनकी कोरोना रिपोर्ट पेंडिंग के बारे में कहा और अभी घर नहीं जाने के निर्देश दिए.

कृष्ण चंद ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस तरह की लापरवाही पर हैरान थे. उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय स्तर की बीमारी है जिससे निपटने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी इस तरह की लापरवाही बरते तो इससे लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है.

कृष्ण चंद ने कहा कि उनके क्षेत्र के युवक की उम्र 34 वर्ष है लेकिन जो रिपोर्ट दी गई थी उसमें उम्र 28 वर्ष बताई गई है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और सरकार को मामले की गहनता से जांच करनी चाहिए जिससे इस तरह की लापरवाही और सामने ना आए.

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