मंडी: जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाइका) के सहयोग से चलाई जा रही फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना ने किसानों-बागवानों के लिए एक नई उम्मीद पैदा की है. कोरोना काल में जहां कई लोगों को रोजी-रोटी के संकट का सामना करना पड़ा है. वहीं, जाइका परियोजना ने इस आपदा में मंडी जिले के कई किसानों को आत्मनिर्भरता की राह दिखाई है.
जिले के सदर विकास खंड की शेगली पंचायत के किसानों के लिए भी यह परियोजना किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई है. जिले के सदर विकास खंड के तहत आने वाली शेगली पंचायत में जाइका परियोजना से किसानों को उनकी मेहनत के बदले कई गुणा मुनाफा देना शुरू कर दिया है. यहां पर जाइका परियोजना के तहत 27 लाख की लागत से छोनाल से खारसी सिंचाई योजना का निर्माण किया गया. इससे क्षेत्र के 16.32 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा का लाभ मिल रहा है. वहीं, किसानों की सुविधा के लिए 1 लाख 66 हजार की लागत से पॉलीहाउस का निर्माण भी किया गया है.
क्षेत्र के किसानों ने बताया कि वे पहले परंपरागत फसलों को ही खेती करते थे, क्योंकि सिंचाई के लिए उन्हें बारिश पर निर्भर रहना पड़ता था. लेकिन अब सिंचाई सुविधा मिलने से नकदी फसलों की पैदावार कर रहे हैं. खासकर ऑफ सीजन सब्जियों का कारोबार करके किसान काफी ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. व्यापारी खुद किसानों के घर आकर सब्जियों को खरीदारी कर रहे हैं.
किसानों ने बताया कि जाइका परियोजना से उन्हें न सिर्फ सिंचाई सुविधा का लाभ मिला है बल्कि खेतीबाड़ी के लिए सभी प्रकार के जरूरी उपकरण, बीज और प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. जाइका परियोजना के जिला प्रबंधक नवनीत कुमार सूद ने बताया कि क्षेत्र में परियोजना के माध्यम से अभी तक 1 करोड़ 31 लाख की राशि को खर्च किया जा चुका है. पहले यहां के किसान सालाना 83,706 रुपए कमा रहे थे. लेकिन अब उनकी सालाना आय 4,16,726 रुपये पहुंच गई है. योजना की वजह से जिले के किसानों की आय में चार गुणा से अधिक की बढ़ोतरी देखने को मिली है.
निश्चित रूप से भारत सरकार की यह परियोजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. कोरोना संकट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भरता के मंत्र को आत्मसात करते हुए ये किसान-बागवान अब जाइका परियोजना की मदद से अपनी थोड़ी सी जमीन पर नकदी फसलें उगाकर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं.
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