मंडी: प्रदेश सरकार द्वारा रेत बजरी की सरकारी खरीद पर एम फॉर्म अनिवार्य करना क्रशर मालिकों को रास नहीं आ रहा है. जिस कारण टिप्पर, ट्रैक्टर व ठेकेदारों को बिना एम फॉर्म के रेत बजरी लेने पर दबाव डाला जा रहा (HIMACHAL CRUSHER OWNER ON GOVERNMENT) है. वहीं, अगर कोई एम फॉर्म की मांग करता है तो मटेरियल देने से इंकार कर रहे (HIMACHAL CRUSHER OWNER MEETING) हैं.
क्रशर मालिकों के तानाशाही रवैये से टिप्पर व ट्रैक्टर मालिकों का काम ठप हो गया (Mandi Tipper Association On Government) है. उन्होंने आरोप लगाया है कि क्रशर मालिकों पर खनन महकमा कोई लगाम नहीं लगा रहा है. जिससे साफ है कि खनन महकमे की क्रशर मालिकों के साथ सांठगांठ है और दोनों मिल कर सरकार के मिलने वाले राजस्व पर डाका डाल रहे हैं.
जिला मंडी टिप्पर एसोसिएशन (Mandi Tipper Association) के संयोजक महेश कुमार शर्मा ने बताया क्रशर मालिकों के तानाशाही रवैये के खिलाफ रविवार को धनोटू में बैठक का आयोजन किया जाएगा. जिसमें क्रशर मालिकों द्वारा एम फॉर्म देने को लेकर हो रहे नुकसान पर रणनीति बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार से पिछले दिनों बस व टैक्सियों के टोकन व गुड्स टैक्स माफ कर दिए, लेकिन इसमें टिप्पर, ट्रैक्टर और ट्रक मालिकों को कोई राहत नहीं दी. जबकि यह वर्ग भी कोरोना काल में बेहद प्रभावित हुआ है. काम न होने के कारण बैंकों की किस्त भी जमा नहीं करवा पा रहे हैं.
संयोजक ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार ने बस व टैक्सियों का टैक्स तो माफ कर दिए है, लेकिन 1 जनवरी 2022 से व्यावसायिक वाहनों के टोकन टैक्स में दो गुना बढ़ोतरी कर दी गई है. जो दर्शाता है कि सरकार बसों व टैक्सियों की दी गई राहत की वसूली व्यावसायिक वाहन मालिकों से करने की मंशा रखती है. सरकार की इस दोहरी नीति को लेकर भी बैठक में रणनीति बनाई जाएगी.
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