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जलोड़ी दर्रे पर बर्फ से ढकी वादियां, ट्रैकिंग करने पहुंच रहे पर्यटक

कुल्लू में मौसम के खुलने के बाद अब बर्फ देखने की चाहत के चलते सैलानियों का आना लगातार जारी है जिससे तीर्थन घाटी के पर्यटन को भी काफी मदद मिल रही है. इन खूबसूरत स्थलों में ग्रामीण व साहसिक पर्यटन, शीतकालीन खेलों, स्कीइंग, हाईकिंग, ट्रेककिंग, पर्वतारोहण व अन्य साहसिक खेलों की आपार सम्भावनाएं हैं

Tourists reaching trekking in tirthan hilly
Tourists reaching trekking in tirthan hilly
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Published : Feb 6, 2020, 11:39 AM IST

कुल्लूः उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी में हुई बर्फबारी के बाद अब पर्यटकों ने भी घाटी का रुख करना शुरू कर दिया है. हिमपात के बाद पर्यटक जहां बर्फीली वादियों का मजा ले रहे हैं तो वहीं, कुछ पर्यटक समूह बनाकर भी तीर्थन से जलोड़ी दर्रे पर ट्रैकिंग का आनंद ले रहे हैं.

जिला कुल्लू में मौसम के खुलने के बाद अब बर्फ देखने की चाहत के चलते सैलानियों का आना लगातार जारी है, जिससे तीर्थन घाटी के पर्यटन को भी काफी मदद मिल रही है. उपमंडल बंजार के जलोड़ी दर्रा, जिभी, शोजागढ़, रघुपूरगढ़, खनाग, टकरासी और सरेउलसर झील जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से लवरेज खूबसूरत स्थल सालों पहले ही साहसिक पर्यटन के नक्शे पर आ चुके हैं.

वीडियो.

गौरतलब है कि ये स्थल अंग्रेजी शासन के समय से ही देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं. यहां के प्राकृतिक सौंदर्य अंग्रेजों को भी खूब भाते थे जो अक्सर यहां पर आते-जाते रहते थे. यहां पर अंग्रेजों ने उस समय शोजागढ़ में अपने ठहरने के लिए एक गेस्ट हाउस का निर्माण किया था. जहां पर ठहराव के बाद वह आगे शिमला का सफर तय करते थे.

स्थानीय लोगों का कहना है कि इन खुबसूरत स्थलों में ग्रामीण व साहसिक पर्यटन, शीतकालीन खेलों, स्कीइंग, हाईकिंग, ट्रेककिंग, पर्वतारोहण व अन्य साहसिक खेलों की आपार सम्भावनाएं हैं. सरकार को इन स्थलों में मूलभूत सुविधाएं जुटा कर पर्यटन के लिए विकसित करने की जरुरत है.

हालांकि सोझा जैसे स्थल पर टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स बनाने के प्रयास की योजना अब तक सिरे नहीं चढ़ सकी है. जलोड़ी दर्रा जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में जहां गर्मियों के मौसम में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती हैं. यह स्थल अभी तक बिजली, पानी, पार्किंग और सार्वजनिक शौचालय जैसी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.

ये भी पढ़ें- क्या नीलाम हो जाएगा ऊना का रेलवे स्टेशन ?

कुल्लूः उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी में हुई बर्फबारी के बाद अब पर्यटकों ने भी घाटी का रुख करना शुरू कर दिया है. हिमपात के बाद पर्यटक जहां बर्फीली वादियों का मजा ले रहे हैं तो वहीं, कुछ पर्यटक समूह बनाकर भी तीर्थन से जलोड़ी दर्रे पर ट्रैकिंग का आनंद ले रहे हैं.

जिला कुल्लू में मौसम के खुलने के बाद अब बर्फ देखने की चाहत के चलते सैलानियों का आना लगातार जारी है, जिससे तीर्थन घाटी के पर्यटन को भी काफी मदद मिल रही है. उपमंडल बंजार के जलोड़ी दर्रा, जिभी, शोजागढ़, रघुपूरगढ़, खनाग, टकरासी और सरेउलसर झील जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से लवरेज खूबसूरत स्थल सालों पहले ही साहसिक पर्यटन के नक्शे पर आ चुके हैं.

वीडियो.

गौरतलब है कि ये स्थल अंग्रेजी शासन के समय से ही देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं. यहां के प्राकृतिक सौंदर्य अंग्रेजों को भी खूब भाते थे जो अक्सर यहां पर आते-जाते रहते थे. यहां पर अंग्रेजों ने उस समय शोजागढ़ में अपने ठहरने के लिए एक गेस्ट हाउस का निर्माण किया था. जहां पर ठहराव के बाद वह आगे शिमला का सफर तय करते थे.

स्थानीय लोगों का कहना है कि इन खुबसूरत स्थलों में ग्रामीण व साहसिक पर्यटन, शीतकालीन खेलों, स्कीइंग, हाईकिंग, ट्रेककिंग, पर्वतारोहण व अन्य साहसिक खेलों की आपार सम्भावनाएं हैं. सरकार को इन स्थलों में मूलभूत सुविधाएं जुटा कर पर्यटन के लिए विकसित करने की जरुरत है.

हालांकि सोझा जैसे स्थल पर टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स बनाने के प्रयास की योजना अब तक सिरे नहीं चढ़ सकी है. जलोड़ी दर्रा जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में जहां गर्मियों के मौसम में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती हैं. यह स्थल अभी तक बिजली, पानी, पार्किंग और सार्वजनिक शौचालय जैसी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.

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Intro:जलोड़ी दर्रा की बर्फ से ढकी खामोश वादियाँ पर्यटकों को कर रही आकर्षित
बर्फबारी के बीच तीर्थंन मे ट्रैकिंग करने पहुंच रहे पर्यटकBody:





जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी में हुई बर्फबारी के बाद अब पर्यटकों ने भी घाटी का रुख करना शुरू कर दिया है। बर्फबारी के बाद पर्यटक जहां बर्फीली वादियों का मजा ले रहे हैं तो वहीं कुछ पर्यटक समूह बनाकर भी तीर्थन से जलोड़ी दर्रा ट्रैकिंग का मजा ले रहे हैं। जिला कुल्लू में मौसम के खुलने के बाद अब बर्फ देखने की चाहत के चलते सैलानियों का आना लगातार जारी है जिससे तीर्थन घाटी के पर्यटन को भी काफी मदद मिल रही है। उपमंडल बंजार के जलोड़ी दर्रा, जिभी, शोजागढ़, रघुपूर गढ़, खनाग, टकरासी और सरेउलसर झील जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से लवरेज खूबसूरत स्थल वर्षों पहले ही साहसिक पर्यटन के नक्शे पर आ चुके हैं। यह स्थल अंग्रेजी शासन के समय से ही देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अंग्रेजों को भी खूब भाता था जो अक्सर यहां पर आते जाते रहते थे। यहां पर उन्होंने उस समय शोजागढ़ में अपने ठहरने के लिए एक गेस्ट हाउस का निर्माण किया था। जहां पर ठहराव के पश्चात वह आगे शिमला का सफर तय करते थे। Conclusion:

इन खुबसूरत स्थलों में ग्रामीण व साहसिक पर्यटन, शीतकालीन खेलों, स्कीइंग, हाईकिंग, ट्रेककिंग, पर्वतारोहण व अन्य साहसिक खेलों की आपार सम्भावनाएं है। सरकार को इन स्थलों में मूलभूत सुविधाएं जुटा कर पर्यटन के लिए विकसित करने की आवश्यकता है। हालाँकि पहले भी सोझा जैसे स्थल पर टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स बनाने के प्रयास कागजों में कई बार होते रहे। लेकिन धरातल स्तर पर अभी तक सरकार की कोई भी योजना सिरे नहीं चढ़ सकी है। जलोड़ी दर्रा जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में जहाँ गर्मियों के मौसम में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती हैं यह स्थल अभी तक बिजली, पानी, पार्किंग और सार्वजनिक सौचालय जैसी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

बाईट: आशुतोष त्रिपाठी।
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