कुल्लू: जिला की उझी घाटी व निचले इलाकों में दोपहर बाद आए तेज तूफान ने एक बार फिर से बागवानों की नींद उड़ा दी है. कुल्लू जिला मुख्यालय ढालपुर में भी तेज तूफान ने अपना कहर दिखाया. यह तूफान करीब 20 मिनट तक चलता रहा.
इस दौरान शहर में कई पेड़ों की टहनियां भी टूट गई. तेज हवा के चलते कई दुकानों के बोर्ड भी उड़ गए. गनीमत रही कि इस कारण किसी को जानी नुकसान नहीं हुआ. वहीं, बागवानों को भी इससे खासा नुकसान हुआ है. तेज हवा और अंधड़ के चलते फलदार पेड़ों की टहनियां भी क्षतिग्रस्त हुई है. उनमें तैयार पलम, खुमानी व नाशपती के फसल भी नीचे आ गिरी.
कुल्लू के निचले इलाकों में इन दिनों अधिकतर फल पेड़ों पर तैयार हो गए हैं और कुछ ही दिनों में उन्हें बाजारों में भी बेचने की आस बागबान लगाए हुए थे, लेकिन तेज तूफान और अंधड़ ने बागवानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. घाटी के बागवान रमेश कुमार, हरी सिंह का कहना है कि अचानक से आए इस तूफान के चलते उनकी फसल को काफी नुकसान पहुंचा है.
अधिकतर पेड़ों की टहनियां ही टूट चुकी है और फल भी टूटकर जमीन पर गिरे हैं जिसके चलते उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है. उनका कहना है कि कोरोना के चलते उन्हें पहले ही काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं, अब प्रकृति की मार भी उनके लिए खतरनाक साबित हो रही है.
तूफान के कारण जिला कुल्लू की गड़सा, मणिकर्ण व बंजार घाटी में भी बागवानों को खासा नुकसान हुआ है. इन इलाकों में सेब की फसल पर भी काफी बुरा असर पड़ा है और तूफान के कारण सेब की फसल भी प्रभावित हुई है.
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