शिमला: प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना के मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने कुल्लू समेत चार जिलों में नाइट कर्फ्यू लगा दिया है. जिसके चलते रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी भी प्रकार की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक रहेगी. वहीं, प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान भी 31 दिसंबर तक बंद रहेंगे.
सरकार के फैसले का विरोध
ऐसे में शिक्षण संस्थान चलाने वाले लोग भी खासे परेशान हैं. आखिर में किस तरह से शिक्षण संस्थानों के लिए लिए गए लाखों के कर्जे को चुकाएंगे और किस तरह से वे अपना परिवार पालेंगे. नाइट कर्फ्यू लगाने को लेकर जनता में खासा रोष है. क्षत्रिय महासभा ने सरकार के इस निर्णय पर अपना रोष जताया है.
नाइट कर्फ्यू का कोई औचित्य नहीं
क्षत्रिय महासभा के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष जितेंद्र राजपूत का कहना है कि जिन जिलों में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है, वहां पर वैसे ही ठंड काफी है. रात 8 बजे के बाद भी कोई अपने घरों से नहीं निकलता है. ऐसे में प्रदेश सरकार के द्वारा नाइट कर्फ्यू लगाने का निर्णय का कोई औचित्य नहीं बनता है. जितेंद्र राजपूत का कहना है कि सरकार ने कैबिनेट की बैठक में मास्क ना लगाने वालों पर जुर्माना बढ़ाया है लेकिन आम जनता की कमाई के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है. आम जनता आज कोरोना के कारण काफी त्रस्त हैं. ऐसे में उन पर जुर्माने की राशि बढ़ाना भी सही नहीं है.
शिक्षण संस्थानों के संचालकों को हो रहा नुकसान
जितेंद्र राजपूत का कहना है कि शिक्षण संस्थानों को बार-बार बंद कर प्रदेश सरकार संचालकों को नुकसान पहुंचा रही है. प्रदेश सरकार को एक बार ही ठोस निर्णय लेने चाहिए ताकि छोटे संस्थान संचालकों को भी अपना कारोबार करने का मौका मिल सके. शिक्षण संस्थानों के संचालक भी अब प्रदेश सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं.