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सायर उत्सव में लाव लश्कर के साथ पहुंचे श्रीनाग देव, ढोल-नगाड़ों की थाप पर थिरके देवता - कुल्रलू में मनाया गया सायर उत्सव

सैंज घाटी के शांघड़ में दो दिवसीय सायर उत्सव का आयोजन किया गया. सायर उत्सव में सुचैहण क्षेत्र के अधिष्ठाता देव श्रीनाग पूरे लाव लश्कर के साथ शांघड़ पहुंचे. शंगचुल के साथ श्रीनाग का भव्य मिलन हुआ और दोनों देवताओं ने सांझा नाटी डाली.

sayar festival celebarted in sainj velly
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Published : Sep 20, 2019, 12:55 PM IST

कुल्लू: सैंज घाटी के शांघड़ में दो दिवसीय सायर उत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें सुचैहण क्षेत्र के अधिष्ठाता देव श्रीनाग पूरे लाव लश्कर के साथ शांघड़ पहुंचे. शांघड़ के देवता शंगचुल के साथ श्रीनाग का भव्य मिलन हुआ.

दोनों देवों के मिलन के बाद हारियानों की ओर से सांझा नाटी का आयोजन किया गया. पारंपरिक लोकगीत और ढोल-नगाड़ों की थाप पर देवलुओं के कदम खूब थिरके और हजारों लोगों ने इस समारोह का लुत्फ उठाया. इस दौरान देवताओं ने कारकूनों को शराब से दूरी और देव नियमों के पालन के सख्त आदेश दिए हैं.

sayar festival celebarted in sainj velly
श्रीनाग देवता

शंगचुल महादेव के गूरु मोहन लाल शर्मा ने बताया कि दोनों देवताओं के कारकूनों ने देव नियमों को सर्वोपरी मानते हुए आदिकाल से चली आ रही रीतियों को सामाजिक सौहार्द की मूल बुनियाद बताया है.

कारकून बेलीराम राणा ने बताया कि देव मिलन की ये परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. हर साल होने वाले सायर मेले को लेकर पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल है. वहीं, श्रीनाग देवता के कारदार मेहर चंद ने बताया कि देवताओं के मिलन से दोनों क्षेत्र के लोगों के आपसी रिश्ते मजबूत हुए हैं. उन्होंने बताया कि उत्सव में मनोरंजन के अलावा देव परंपराओं का भी निर्वहन किया जा रहा है.

कुल्लू: सैंज घाटी के शांघड़ में दो दिवसीय सायर उत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें सुचैहण क्षेत्र के अधिष्ठाता देव श्रीनाग पूरे लाव लश्कर के साथ शांघड़ पहुंचे. शांघड़ के देवता शंगचुल के साथ श्रीनाग का भव्य मिलन हुआ.

दोनों देवों के मिलन के बाद हारियानों की ओर से सांझा नाटी का आयोजन किया गया. पारंपरिक लोकगीत और ढोल-नगाड़ों की थाप पर देवलुओं के कदम खूब थिरके और हजारों लोगों ने इस समारोह का लुत्फ उठाया. इस दौरान देवताओं ने कारकूनों को शराब से दूरी और देव नियमों के पालन के सख्त आदेश दिए हैं.

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श्रीनाग देवता

शंगचुल महादेव के गूरु मोहन लाल शर्मा ने बताया कि दोनों देवताओं के कारकूनों ने देव नियमों को सर्वोपरी मानते हुए आदिकाल से चली आ रही रीतियों को सामाजिक सौहार्द की मूल बुनियाद बताया है.

कारकून बेलीराम राणा ने बताया कि देव मिलन की ये परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. हर साल होने वाले सायर मेले को लेकर पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल है. वहीं, श्रीनाग देवता के कारदार मेहर चंद ने बताया कि देवताओं के मिलन से दोनों क्षेत्र के लोगों के आपसी रिश्ते मजबूत हुए हैं. उन्होंने बताया कि उत्सव में मनोरंजन के अलावा देव परंपराओं का भी निर्वहन किया जा रहा है.

Intro:शांघड़ मेले में हुआ देवता शंगचुल व नाग का मिलनBody:
सैंज घाटी के शांघड़ में इन दिनों माहौल देवमय बन गया है। यहां दो दिवसीय सायर उत्सव चल रहा है। सुचैहण क्षेत्र के अधिष्ठाता देव श्रीनाग पूरे लाव लश्कर के साथ शांघड़ पहुंचे हैं। शांघड़ के देवता शंगचुल के साथ श्रीनाग का भव्य मिलन हुआ। दोनों देवों के मिलन के बाद हारियानों की ओर से सांझा नाटी का आयोजन किया गया। पारंपरिक लोकगीत और ढोल-नगाड़ों की थाप पर देवलुओं के कदम खूब थिरके। हजारों लोगों ने इस समारोह का लुत्फ उठाया। इस दौरान देवताओं ने कारकूनों को शराब से दूरी और देव नियमों के पालन के सख्त आदेश दिए हैं। शंगचुल महादेव के गूर मोहन लाल शर्मा ने बताया कि दोनों देवताओं के कारकूनों ने देव नियमों को सर्वोपरि मानते हुए आदिकाल से चली आ रही रीतियों को सामाजिक सौहार्द की मूल बुनियाद बताया। कारकून बेलीराम राणा ने बताया कि देव मिलन की यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। हर वर्ष होने वाले सायर मेले को लेकर पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। Conclusion:श्रीनाग के कारदार मेहर चंद ने बताया कि देवताओं के मिलन से दोनों क्षेत्र के लोगों के आपसी रिश्ते मजबूत हुए हैं। उत्सव में मनोरंजन के अलावा देव परंपराओं का भी निर्वहन किया जा रहा है।
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