कुल्लू: सैंज घाटी के शांघड़ में दो दिवसीय सायर उत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें सुचैहण क्षेत्र के अधिष्ठाता देव श्रीनाग पूरे लाव लश्कर के साथ शांघड़ पहुंचे. शांघड़ के देवता शंगचुल के साथ श्रीनाग का भव्य मिलन हुआ.
दोनों देवों के मिलन के बाद हारियानों की ओर से सांझा नाटी का आयोजन किया गया. पारंपरिक लोकगीत और ढोल-नगाड़ों की थाप पर देवलुओं के कदम खूब थिरके और हजारों लोगों ने इस समारोह का लुत्फ उठाया. इस दौरान देवताओं ने कारकूनों को शराब से दूरी और देव नियमों के पालन के सख्त आदेश दिए हैं.
![sayar festival celebarted in sainj velly](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hp-kul-shanghd-mela-img-7204051_20092019083233_2009f_1568948553_60.jpg)
शंगचुल महादेव के गूरु मोहन लाल शर्मा ने बताया कि दोनों देवताओं के कारकूनों ने देव नियमों को सर्वोपरी मानते हुए आदिकाल से चली आ रही रीतियों को सामाजिक सौहार्द की मूल बुनियाद बताया है.
कारकून बेलीराम राणा ने बताया कि देव मिलन की ये परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. हर साल होने वाले सायर मेले को लेकर पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल है. वहीं, श्रीनाग देवता के कारदार मेहर चंद ने बताया कि देवताओं के मिलन से दोनों क्षेत्र के लोगों के आपसी रिश्ते मजबूत हुए हैं. उन्होंने बताया कि उत्सव में मनोरंजन के अलावा देव परंपराओं का भी निर्वहन किया जा रहा है.