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अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव: मनाली से कुल्लू के लिए रवाना हुईं 'राजघराने की दादी' माता हिडिंबा

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Published : Oct 14, 2021, 11:59 AM IST

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में दशहरा उत्सव बड़े ही अलग और धार्मिक अंदाज में मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने वाला कुल्लू का दशहरा विश्व मानचित्र पर अपना अस्तित्व बनाए हुए है. सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव 15 से 21 अक्तूबर, 2021 तक मनाया जा रहा है. उत्सव में भाग लेने के लिए मां हिडिम्बा मनाली से कुल्लू के लिए रवाना हो गयी हैं. बता दें कि, माता हिडिम्बा का दशहरा उत्सव में सबसे अहम स्थान है और उनके पहुंचने के बाद ही दशहरा उत्सव का आगाज होता है.

माता हिडिम्बा
अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव

कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भाग लेने के लिए मां हिडिम्बा मनाली से कुल्लू के लिए रवाना हो गईं हैं. दशहरा में घाटी के सभी देवी-देवता भाग लेते हैं और इस महाकुम्भ में सबकी अहम भूमिका है. लेकिन पर्यटन नगरी मनाली की आराध्य देवी माता हिडिम्बा का दशहरा उत्सव में सबसे अहम स्थान है और उनके पहुंचने के बाद ही दशहरा उत्सव का आगाज होता है. माता हिडिम्बा राजघराने की दादी हैं और देव महाकुम्भ के लिए देवी हिडिम्बा अपने कारकूनों और हरियानों के साथ दशहरे में भाग लेने के लिए अपने स्थान मनाली से निकल पड़ी हैं .

माता हिडिम्बा की दशहरा महोत्सव में अहम भूमिका रहती है. माता को राजघराने की दादी कहा जाता है. कुल्लू दशहरा माता हिडिम्बा के आगमन से शुरू होता है. पहले दिन माता हिडिम्बा का रथ कुल्लू के राजमहल में प्रवेश करता है और यहां पूजा-अर्चना के बाद रघुनाथ भगवान को भी ढालपुर में लाया जाता है. माता अगले सात दिन तक अपने अस्थायी शिविर में ही रहेंगी और लंका दहन के बाद ही देवालय लौटेंगी.

हालांकि, इस बार भी कुल्लू दशहरा पर कोरोना वायरस का असर साफ देखा जा रहा है. सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव 15 से 21 अक्टूबर 2021 तक मनाया जा रहा है. कोविड-19 के दृष्टिगत आम लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस बार भी दशहरा उत्सव को केवल पारम्परिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाएगा. ढालपुर मैदान में केवल देव समागम की परंपराओं का निर्वहन होगा. इस बार भी व्यावसायिक व सांस्कृतिक गतिविधियां नहीं होंगी.

ये भी पढ़ें : नवमी के दिन ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की आराधना, जानें पूजा विधि

कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भाग लेने के लिए मां हिडिम्बा मनाली से कुल्लू के लिए रवाना हो गईं हैं. दशहरा में घाटी के सभी देवी-देवता भाग लेते हैं और इस महाकुम्भ में सबकी अहम भूमिका है. लेकिन पर्यटन नगरी मनाली की आराध्य देवी माता हिडिम्बा का दशहरा उत्सव में सबसे अहम स्थान है और उनके पहुंचने के बाद ही दशहरा उत्सव का आगाज होता है. माता हिडिम्बा राजघराने की दादी हैं और देव महाकुम्भ के लिए देवी हिडिम्बा अपने कारकूनों और हरियानों के साथ दशहरे में भाग लेने के लिए अपने स्थान मनाली से निकल पड़ी हैं .

माता हिडिम्बा की दशहरा महोत्सव में अहम भूमिका रहती है. माता को राजघराने की दादी कहा जाता है. कुल्लू दशहरा माता हिडिम्बा के आगमन से शुरू होता है. पहले दिन माता हिडिम्बा का रथ कुल्लू के राजमहल में प्रवेश करता है और यहां पूजा-अर्चना के बाद रघुनाथ भगवान को भी ढालपुर में लाया जाता है. माता अगले सात दिन तक अपने अस्थायी शिविर में ही रहेंगी और लंका दहन के बाद ही देवालय लौटेंगी.

हालांकि, इस बार भी कुल्लू दशहरा पर कोरोना वायरस का असर साफ देखा जा रहा है. सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव 15 से 21 अक्टूबर 2021 तक मनाया जा रहा है. कोविड-19 के दृष्टिगत आम लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस बार भी दशहरा उत्सव को केवल पारम्परिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाएगा. ढालपुर मैदान में केवल देव समागम की परंपराओं का निर्वहन होगा. इस बार भी व्यावसायिक व सांस्कृतिक गतिविधियां नहीं होंगी.

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