कुल्लू: विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी मनाली का राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवाल (Manali winter carnival 2022) पर्यटन और लोक संस्कृति का एक अनूठा संगम है. कुल्लू-मनाली अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए देश-विदेश में मशहूर है और विश्व पर्यटन मानचित्र में इस खूबसूरत घाटी ने अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है. नैसर्गिक सौंदर्य से ओत-प्रोत मनाली की वादियां सहसा ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. नगरी के चारों ओर ऊंची-ऊंची पर्वत मालाएं जो वर्ष में (Natural Beauty of Kullu Manali) अधिकांश समय तक बर्फ रूपी सफेद चादर ओढे़ रहती हैं जिनके अनुपम रोमांच का लुत्फ उठाने के लिए हर कोई लालायित रहता है.
हिमाच्छादित गगनचुंबी चोटियां, देवदार के हरे-भरे जंगल, कल-कल बहती ब्यास नदी और दूर-दूर तक फैली सुंदर घाटी अनायास ही देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेती हैं. मैदानों की तपती गर्मी से निजात पाने और ठंडी वादियों में कुछ सुकून भरे पल बिताने के लिए प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक मनाली का रुख करते हैं. यही नहीं, सर्दियों में भी चांदी सी चमकती बर्फ में अठखेलियां करने के लिए सैलानी मनाली के आस-पास बड़ी संख्या में उमड़ते हैं. क्रिसमस और नये साल की पूर्व संध्या पर एकाएक मनाली पर्यटकों से सराबोर हो जाती है. अटल टनल, रोहतांग के बनने से मनाली के पर्यटन में जबरदस्त उछाल आया है. सर्दियों में भी हर रोज हजारों सैलानी टनल के दीदार के लिये पहुंचते हैं. टनल के दोनों छोर पर बर्फ का मनोहारी दृष्य सैलानियों के लिये किसी जन्नत से कम नहीं है.
नए वर्ष के आगमन के साथ राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवल का (Manali winter carnival 2022) आयोजन देश-विदेश के पर्यटकों, स्थानीय व देश के विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है. इस महोत्सव के आयेाजन का उद्देश्य कुल्लू-मनाली में ऑफ सीजन के दौरान पर्यटकों को आकर्षित करना है. मनाली में इस महोत्सव के इतिहास की (History of Manali Winter Carnival) चर्चा करें तो, 1970 के दशक में मनाली की कुछ संस्थाओं और विंटर स्पोर्ट्स प्रेमियों ने विंटर कार्निवल की परिकल्पना करके इसके आयोजन की शुरुआत की थी. इसमें अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबंधित खेल संस्थान के तत्कालीन निदेशक हरनाम सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी.
उस समय इसका मुख्य उद्देश्य विंटर स्पोर्टस को बढ़ावा देना था. कालांतर में (History of Manali Winter Carnival) कई उतार-चढ़ाव के बावजूद किसी न किसी रूप में इसके आयोजन की परंपरा बनी रही, जिसके लिए मनालीवासी और इसके आयोजन से जुड़ी संस्थाएं तथा इनके पदाधिकारी बधाई के पात्र हैं. सीमित साधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने विंटर कार्निवल को जिंदा रखा. पिछले तीन दशकों के दौरान मनाली में पर्यटन उद्योग के अद्भुत विस्तार के साथ ही विंटर कार्निवल के स्वरूप में भी व्यापक विस्तार हुआ है. अब इसमें पर्यटन और लोक संस्कृति के पहलु भी जुड़ चुके हैं और अब यह एक बहुत बड़े सांस्कृतिक आयोजन के (Competition in Manali Winter Carnival) साथ-साथ रोमांच से परिपूर्ण साहसिक खेलों के रूप में भी जाना जाता है.
उत्सव को विस्तार देने के लिए वर्ष 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने विंटर कार्निवाल का सरकारीकरण किया और इसे राज्य स्तर का दर्जा दिया. इसके बाद विंटर कार्निवल निरंतर आगे बढ़ता गया और वर्ष 2011 में इसे राष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्रदान किया गया. कुल्लू जिले की समृद्ध लोक संस्कृति से संबंधित गतिविधियों को शामिल करके आयोजन समिति ने विंटर कार्निवल को व्यापक सांस्कृतिक स्वरूप प्रदान किया है. विंटर कार्निवल के शुभारंभ अवसर पर ढुंगरी के हिडिंबा मंदिर से निकलने वाली स्थानीय महिलाओं और देश के विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की झांकियों के माध्यम से मनाली के माल रोड पर मिनी भारत जैसा नजारा दिखता है.
इस उत्सव में 'विंटर क्वीन' और 'वॉयस आफ कार्निवल' जैसी स्पर्धाएं हिमाचली प्रतिभाओं को बहुत ही अच्छा मंच प्रदान करती हैं. इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाली युवतियों और प्रतिभाशाली गायकों को आगे बढ़ने के लिए एक बहुत ही अच्छा मंच विंटर कार्निवल के माध्यम से मिलता है. कुल्लू-मनाली को कुदरत ने जितनी खूबसूरती (Natural Beauty of Kullu Manali) बख्शी है, उतनी ही समृद्ध और अद्भुत है यहां की लोक संस्कृति. अब विंटर कार्निवल के माध्यम से कुल्लवी लोक संस्कृति का खूब प्रचार-प्रसार हो रहा है. कुल्लू घाटी की लोक संस्कृति और परंपराएं सचमुच पर्यटकों में कौतुहल पैदा कर देती है. विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की भागीदारी से विंटर कार्निवल में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलता है.
स्थापित परंपरा के (Folk Culture of Kullu) अनुसार विंटर कार्निवल का आगाज मनाली क्षेत्र की मुख्य अधिष्ठात्री देवी मां हिडिंबा के मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद कार्निवल परेड एवं सांस्कृतिक झांकियों के साथ होता है. इस वर्ष भी दो जनवरी को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर विंटर कार्निवल के शुभारंभ अवसर पर हिडिंबा मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद कार्निवल परेड यानि सांस्कृतिक झांकियों को माल रोड की ओर रवाना करेंगे. रंग-बिरंगी परिधानों में सजी स्थानीय महिलाएं और अन्य राज्यों के सांस्कृतिक दल माल रोड पर मिनी भारत की एक अनुपम छटा बिखेरेंगे. स्थानीय परिधानों में महिलाएं मेगा नाटी का प्रदर्शन करके समारोह को और भी खास बनाएंगी. स्थानीय महिलाओं और देश के अन्य राज्यों की सांस्कृतिक झांकियां सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र रहेंगी. इसके अलावा, रस्साकशी, बास्केटबाल, बैडमिंटन और अन्य खेलों को भी इस बार विंटर कार्निवल में शामिल किया गया है.
कार्निवाल की कड़ी में ही राष्ट्रीय स्तर की स्कीइंग प्रतियोगिताओं का (Competition in Manali Winter Carnival) आयोजन किया जाता है. इस बार विंटर कार्निवल में विंटर स्पोर्ट्स और अन्य गतिविधियों का समावेश करके भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर द्वारा इस उत्सव को नए मुकाम तक ले जाने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने विशेष रूप से विंटर स्पोर्ट्स प्रतियोगिता का आयोजन करवाकर एक सराहनीय पहल की है.
इस बार 2 से 6 जनवरी तक मनाया जाने वाला मनाली का राष्ट्र स्तरीय शरदोत्सव नए स्वरूप में नजर आएगा. इसमें सांस्कृतिक, पर्यटन और विंटर स्पोर्ट्स से संबंधित गतिविधियों के अलावा आम लोगों व पर्यटकों को स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण तथा मोटर वाहन अधिनियम के प्रति जागरुक करने पर भी विशेष बल दिया जाएगा. प्रत्येक दिन को एक थीम दिया जाएगा जो लोगों को नशे से दूर रहने, स्वच्छता बनाए रखने, बेटी बचाने तथा पर्यावरण सरंक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करेगा. इस बार कार्निवाल के दौरान पांच हजार पौधे लगाने की भी तैयारी वन विभाग ने की है.
बर्फ से लकदक वादियां और भरपूर सर्दी के (Natural Beauty of Kullu Manali) बीच विंटर कार्निवाल का आयोजन अपने आप में बेशक चुनौती पूर्ण दिखाई देता है, लेकिन वास्तव में ऐसा कतई नहीं है. कार्निवाल में आयोजित की जाने वाली (Manali winter carnival 2022) गतिविधियां स्थानीय लोगों तथा देसी व विदेशी सैलानियों को न केवल रोमांचित करती हैं, बल्कि हर कोई इनमें भाग लेकर इनका भरपूर आनंद उठाता है.
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