लाहौल-स्पीतिः भारत-तिब्बत ग्रांफू-सुमदो सड़क को लेकर मचा वबाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. लाहौल-स्पीति की ठंडी वादियों में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है. एक तरफ जहां कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी कर डाली है.
वहीं, अब बीआरओ के अधिन काम करने वाले मजदूरों ने भूख हड़ताल करने का फैसला लिया है. गुरुवार को ग्रांफू-सुमदो सड़क लेवर कमेटी ने इस बारे में एडीसी काजा को एक ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने ग्रांफू-सुमदो सड़क को बीआरओ के पास ही रखे जाने की मांग की है.
कमेटी के सदस्यों ने केंद्र सरकार की ओर से ग्रांफू-सुमदो सड़क को बीआरओ से लेकर पीडब्ल्यूडी के हवाले करने के फैसले का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि उनकी मांग अगर नहीं मानी गई तो वे भूख हड़ताल करने को मजबूर होंगे. कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने बताया कि साल 2014 में ग्रांफू-सुमदो सड़क को नेशनल हाईवे का दर्जा दिया गया था और तभी से इस सड़क की देखरेख बीआरओ कर रहा था.
ऐसे में सरकार की ओर से इस सड़क की देख रेख पीडब्ल्यूडी को सौंपने का फैसला लिया गया. लिहाजा जहां एक तरफ स्पीति के स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं. वहीं, अब बीआरओ के अधिन काम करने वाले मजदूरों ने भी सरकार को आंदोलन की चेतावनी दे डाली है.
ग्रांफू-सुमदो सड़क लेवर कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम व उपाध्यक्ष नोरबू का कहना है कि छह जून को इस संबंध में काजा में एक विरोध प्रदर्शन मजदूर करेंगे, जिससे लेकर गुरुवार को एडीसी काजा को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि सड़क को बीआरओ से लेकर पीडब्ल्यूडी को सौंपना तर्क संगत नहीं है. सरकार के इस निर्णय से जहां सैंकड़ों मजदूरों को रोजी-रोटी का संकट पैदा हो जाएगा, वहीं आने वाले समय में स्पीति के पर्यटन करोबार पर भी इसका असर देखने को मिलेगा.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में स्पीति के ग्रांफू-सुमदो सड़क को बीआरओ से लेकर पीडब्ल्यूडी के हवाले करने की एक अधिसूचना जारी की है. जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध किया है. वहीं, लाहौल-स्पीति के पूर्व विधायक रवि ठाकुर का कहना है कि ग्रांफू-सुमदो सड़क को लेकर कांग्रेस ने भी राज्यपाल से इस सड़क की देख रेख की जिम्मेदारी बीआरओ को ही सौंपी जाने की मांग की है.
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