कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह, जहां प्रदेश में विकास के मसीहा कहे जाते थे, तो वहीं, देव समाज में भी उनकी गहरी आस्था थी. जिसका जीता जागता उदाहरण कुल्लू जिला मुख्यालय ढालपुर में बना देव सदन है. इसके अलावा पहाड़ी संस्कृति को भी देश दुनिया में उभारने में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का विशेष योगदान रहा.
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में ही कुल्लू की नाटी गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो पाई थी. कुल्लू देवी-देवता कारदार संघ के संरक्षक ओम प्रकाश शर्मा का कहना है कि कुल्लू में देव समाज की समस्याओं के समाधान के लिए उन्होंने देव सदन के आधारशिला रखी थी और करीब डेढ़ साल बाद ही देव सदन का निर्माण कार्य अभी पूरा हो गया था. हालांकि, उस दौरान काफी बारिश हो रही थी, लेकिन भारी बारिश में भी वे मंडी से कुल्लू पहुंचे और उन्होंने देव सदन को देव समाज के लिए समर्पित भी किया.
ओम प्रकाश शर्मा का कहना है कि शांघड़ में भी देवता षंगचुल महादेव का मंदिर भयंकर अग्निकांड की भेंट चढ़ गया था और करोड़ों रुपए की धनराशि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इसके पुनर्निर्माण के लिए जारी करवाई थी. मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह खुद इस मंदिर की प्रतिष्ठा समारोह में सैंज घाटी के शांघड़ में पहुंचे थे और मुख्यमंत्री के दौरे के बाद से ही शांघड़ गांव भी देश दुनिया के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है.
इसके अलावा साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के दौरान भी कुल्लवी महिलाओं की महानाटी का आयोजन किया गया था. जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है. इससे साफ पता चलता है कि हिमाचल प्रदेश के देव समाज व लोक संस्कृति के संरक्षण में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह का कितना अहम योगदान रहा है.
गौर रहे कि हिमाचल में कुल्लू दशहरा महोत्सव के दौरान 26 अक्टूबर 2015 को प्राइड ऑफ कुल्लू के नाम पर बेटी बचाओ थीम पर एक साथ 9,892 महिलाओं की नाटी (लोकनृत्य) को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल कर लिया गया है. बड़ी बात यह है कि बेटी बचाओ थीम पर ही अक्टूबर 2014 में भी दशहरा महोत्सव के दौरान 8,540 महिलाओं ने एक साथ नाटी डाली थी, जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिल चुका है.