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कुल्लू का काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट ताक रहा विकास की राह, करीब 115 साल पहले अंग्रेजों ने किया था निर्माण

कुल्लू-मनाली प्रदेश के मशहूर पर्यटन स्थलों (tourism place in himachal) में से एक है. हर साल यहां लाखों सैलानी घूमने (attrection for tourist manali) के लिए आते हैं. काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट (KAISDHAR THACH TRACKING ROUTE) प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज पर्यटन स्थल है. सड़कों से दूर होने के कारण अधिकतर पर्यटक यहां नहीं पहुंच पाते.

KAISDHAR THACH TREKKING ROUTE
फोटो.
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Published : Dec 9, 2021, 4:20 PM IST

कुल्लू: हिमाचल की खूबसूरत वादियों को निहारने के लिए देश और दुनिया से सैलानी (tourism place in himachal) पहुंचते हैं. कुल्लू-मनाली प्रदेश के मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक है. हर साल यहां लाखों सैलानी घूमने (attrection for tourist manali) के लिए आते हैं. इसके बावजूद भी कुल्लू में कई ऐसी जगहें हैं, जिसके बारे में बहुत कम पर्यटकों को जानकारी है.

काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट (KAISDHAR THACH TRACKING ROUTE) प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज पर्यटन स्थल है. यहां की वादियां गुलमर्ग और सोनमर्ग से कम नहीं हैं. इस ट्रैकिंग रूट को अंग्रेजों ने करीब 115 साल पहले ढूंडा था. इसके चलते ग्रामीण इस रूट को हैरिटेज ट्रैकिंग (trekking routs in himachal) रूट घोषित करने की मांग भी कर रहे हैं.

मूलभूत सुविधाओं के अभाव में काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट में पर्यटक कम ही पहुंच पाते हैं. सबसे अधिक समस्या सड़कों की है. सड़कों से दूर होने के कारण अधिकतर पर्यटक यहां नहीं पहुंच पाते. काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट के अलावा इस घाटी में डायनासर, डिब्बी डवार, हाथीपुर, कड़ौण, मठासौर और बड़ासौर जैसे पर्यटन स्थल भी हैं.

यहां लगघाटी के कड़ौण स्थित डाक बंगला और थाच में कई हट हैं, जिन्हें आज पर्यटन के तौर पर विकसित करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही कड़ौण स्थित डाक बंगला और थाच में कई हट हैं, जिन्हें विकसित करने की जरूरत है. इसके अलावा घाटी में अन्य पर्यटन स्थल डायनासर, डिब्बी डवार, हाथीपुर, कड़ौण, मठासौर, बड़ासौर आज भी विकास की राह देख रहे हैं.

पर्यटन समिति के उपाध्यक्ष का कहना है कि अधिकतर पर्यटन स्थलों (tourist destination himachal) में ठहरने की सुविधा भी नहीं है. इन जगहों पर ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण पर्यटकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार अनछुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने की ओर ध्यान दे, तो इससे सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेगें. इसके साथ ही कुल्लू मनाली के पर्यटन को भी चार चांद लगेंगे.

काईसधार थाच कैसे पहुंचे- कुल्लू से काईसधार की दूरी करीब 15 किलोमीटर है. कुल्लू से गाड़ी के माध्यम से बढ़ाई गांव होते हुए बागन तक पहुंचा जा सकता है. इसके बाद पैदल रास्ते के माध्यम से काईसधार तक पहुंच सकते है. काईसधार से पैदल ट्रैकिंग रूट होते हुए करीब 20 किलोमीटर दूर थाच तक पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं.

वहीं, इस ट्रैकिंग रूट के बीच में कई ऐसे मनोरम स्थल हैं, जहां पर्यटक प्रकृति की वादियों का आनंद ले सकते हैं. कुल्लू में एक ओर जहां पर्यटन नगरी मनाली, मणिकर्ण, सोलंगनाला समेत कई पर्यटन स्थलों में सैलानियों का खूब तांता लगा रहता है.

काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट जैसे कई पर्यटन स्थल आज भी विकास की राह ताक रहे हैं. इन जगहों को पर्यटकों के लिए विकसित करने पर पर्यटन व्यवसाय को भी लाभ मिलेगा. साथ ही बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिल सकेंगे.

ये भी पढ़ें: Commercial Paragliding in una: ऊना में कमर्शियल पैराग्लाइडिंग को हरी झंडी, जल्द उड़ान भरेंगे पैराग्लाइडर्स

कुल्लू: हिमाचल की खूबसूरत वादियों को निहारने के लिए देश और दुनिया से सैलानी (tourism place in himachal) पहुंचते हैं. कुल्लू-मनाली प्रदेश के मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक है. हर साल यहां लाखों सैलानी घूमने (attrection for tourist manali) के लिए आते हैं. इसके बावजूद भी कुल्लू में कई ऐसी जगहें हैं, जिसके बारे में बहुत कम पर्यटकों को जानकारी है.

काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट (KAISDHAR THACH TRACKING ROUTE) प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज पर्यटन स्थल है. यहां की वादियां गुलमर्ग और सोनमर्ग से कम नहीं हैं. इस ट्रैकिंग रूट को अंग्रेजों ने करीब 115 साल पहले ढूंडा था. इसके चलते ग्रामीण इस रूट को हैरिटेज ट्रैकिंग (trekking routs in himachal) रूट घोषित करने की मांग भी कर रहे हैं.

मूलभूत सुविधाओं के अभाव में काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट में पर्यटक कम ही पहुंच पाते हैं. सबसे अधिक समस्या सड़कों की है. सड़कों से दूर होने के कारण अधिकतर पर्यटक यहां नहीं पहुंच पाते. काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट के अलावा इस घाटी में डायनासर, डिब्बी डवार, हाथीपुर, कड़ौण, मठासौर और बड़ासौर जैसे पर्यटन स्थल भी हैं.

यहां लगघाटी के कड़ौण स्थित डाक बंगला और थाच में कई हट हैं, जिन्हें आज पर्यटन के तौर पर विकसित करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही कड़ौण स्थित डाक बंगला और थाच में कई हट हैं, जिन्हें विकसित करने की जरूरत है. इसके अलावा घाटी में अन्य पर्यटन स्थल डायनासर, डिब्बी डवार, हाथीपुर, कड़ौण, मठासौर, बड़ासौर आज भी विकास की राह देख रहे हैं.

पर्यटन समिति के उपाध्यक्ष का कहना है कि अधिकतर पर्यटन स्थलों (tourist destination himachal) में ठहरने की सुविधा भी नहीं है. इन जगहों पर ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण पर्यटकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार अनछुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने की ओर ध्यान दे, तो इससे सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेगें. इसके साथ ही कुल्लू मनाली के पर्यटन को भी चार चांद लगेंगे.

काईसधार थाच कैसे पहुंचे- कुल्लू से काईसधार की दूरी करीब 15 किलोमीटर है. कुल्लू से गाड़ी के माध्यम से बढ़ाई गांव होते हुए बागन तक पहुंचा जा सकता है. इसके बाद पैदल रास्ते के माध्यम से काईसधार तक पहुंच सकते है. काईसधार से पैदल ट्रैकिंग रूट होते हुए करीब 20 किलोमीटर दूर थाच तक पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं.

वहीं, इस ट्रैकिंग रूट के बीच में कई ऐसे मनोरम स्थल हैं, जहां पर्यटक प्रकृति की वादियों का आनंद ले सकते हैं. कुल्लू में एक ओर जहां पर्यटन नगरी मनाली, मणिकर्ण, सोलंगनाला समेत कई पर्यटन स्थलों में सैलानियों का खूब तांता लगा रहता है.

काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट जैसे कई पर्यटन स्थल आज भी विकास की राह ताक रहे हैं. इन जगहों को पर्यटकों के लिए विकसित करने पर पर्यटन व्यवसाय को भी लाभ मिलेगा. साथ ही बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिल सकेंगे.

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