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राजपरिवार की दादी देवी हिडिंबा पहुंचीं रघुनाथपुर, ढालपुर मैदान में हुआ देवी-देवताओं का भव्य समागम - Raghunath Temple

कुल्लू जिला मुख्यालय में स्थित ढालपुर मैदान में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ शुरू हो जाएगा. दशहरा उत्सव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली देवी हिडिंबा भी अपने हारियानों के साथ रघुनाथपुर पहुंची. जहां पर राजपरिवार के सदस्यों ने देवी का भव्य स्वागत किया. वहीं, ढालपुर मैदान में देवी-देवताओं का मिलन हुआ.

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फोटो.
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Published : Oct 15, 2021, 3:49 PM IST

कुल्लू: कुल्लू राजवंश की दादी मां व घाटी की आराध्य देवी माता हिडिंबा के कुल्लू पहुंचते ही विश्व के सबसे बड़े देव महाकुंभ और सबसे अद्भुत, अलौकिक और अनूठे कुल्लू दहशरे का आगाज हो गया है. इसमें 200 से अधिक देवी-देवता शिरकत कर रहे हैं. साथ ही, ढालपुर मैदान में देवी-देवताओं का भव्य मिलन देखने को मिल रहा है. शुक्रवार को रघुनाथपुर से भगवान रघुनाथ के सेवक माता हिडिंबा को लेने रामशिला हनुमान मंदिर पहुंचे, जहां से कुल्लवी वाद्य यंत्रों की थाप के साथ माता हिडिंबा रघुनाथपुर पहुंची.

हनुमान मंदिर में देवविधि अनुसार पूजा-अर्चना करने के बाद सेवक सहित माता सुल्तानपुर पहुंची. राज परिवार ने माता हिडिंबा का रघुनाथपुर पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया. राज परिवार ने माता का आशीर्वाद लेने से पहले पारंपरिक पूजा की तथा उसके बाद माता हिडिंबा का आशीर्वाद लिया. दादी मां कही जाने वाली माता हडिंबा व भगवान रघुनाथ के भव्य मिलन की हजारों आंखें गवाह बनीं. इससे पूर्व माता के रथ को सजाया गया.

वीडियो.

माता के रघुनाथपुर पहुंचते ही सारा माहौल भक्तिमय हो उठा. देव वाद्य यंत्रों के बीच व पूजा-अर्चना के बाद माता हडिंबा के गुर ने दशहरे के दौरान सब कुछ ठीक रहने की बात कही. माता हिडिंबा सहित घाटी के दर्जनों देवी-देवताओं ने रघुनाथपुर में दस्तक दी और रघुनाथ जी की शोभा यात्रा में भाग लेने के लिए प्रस्थान किया.

भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भाग लेने के लिए घाटी के देवी देवता कुल्लू पहुंच गए हैं. हालांकि अब की बार प्रशासन की ओर से नजराना नहीं दिया जा रहा है, लेकिन प्राचीन परंपराओं को निभाने के लिए देवी-देवता अपने अपने हारियानों के साथ ढालपुर पहुंच गए हैं. वही भगवान रघुनाथ के दर्शनों को भी देवी देवता पहुंच रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में अबकी बार व्यापारिक व सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित नहीं की जा रही है. लेकिन उसके बाद भी दशहरा उत्सव के आयोजन पर स्थानीय लोगों में भी खासा उत्साह है. हालांकि जिला प्रशासन ने कोरोना के कई नियम भी दशहरा मैदान में लागू किए हैं. वहीं, देवी-देवताओं के आगमन पर स्थानीय लोग भी जगह-जगह उनका भव्य स्वागत कर रहे हैं.

कुल्लू जिला में छह स्थानों पर दशहरा उत्सव मनाया जाता है. इसमें अट्ठारह करडू की सौह ढालपुर में मनाया जाना वाला दशहरा सबसे अहम है. इसके अतिरिक्त धार्मिक नगरी मणिकर्ण, हरिपुर, धरोहर गांव नग्गर तथा वशिष्ठ में भी दशहरा उत्सव मनाया जाता है. मणिकर्ण, नग्गर तथा हरिपुर में कुल्लू की तरह रथयात्रा निकाली जाती है. मणिकर्ण में छह से सात देवी-देवता भाग लेते हैं. वहीं हरिपुर दशहरा में चार से पांच देवी-देवता भाग लेते हैं. कुल्लू में दशहरा उत्सव को सात दिन तक मनाया जाता है. मणिकर्ण में भी सात तथा हरिपुर में पांच दिन, नग्गर के ठावा व वशिष्ठ में एक-एक दिन का दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा है.

ये भी पढ़ें: Kullu Dussehra: भगवान रघुनाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा से होगा दशहरा पर्व का आगाज

कुल्लू: कुल्लू राजवंश की दादी मां व घाटी की आराध्य देवी माता हिडिंबा के कुल्लू पहुंचते ही विश्व के सबसे बड़े देव महाकुंभ और सबसे अद्भुत, अलौकिक और अनूठे कुल्लू दहशरे का आगाज हो गया है. इसमें 200 से अधिक देवी-देवता शिरकत कर रहे हैं. साथ ही, ढालपुर मैदान में देवी-देवताओं का भव्य मिलन देखने को मिल रहा है. शुक्रवार को रघुनाथपुर से भगवान रघुनाथ के सेवक माता हिडिंबा को लेने रामशिला हनुमान मंदिर पहुंचे, जहां से कुल्लवी वाद्य यंत्रों की थाप के साथ माता हिडिंबा रघुनाथपुर पहुंची.

हनुमान मंदिर में देवविधि अनुसार पूजा-अर्चना करने के बाद सेवक सहित माता सुल्तानपुर पहुंची. राज परिवार ने माता हिडिंबा का रघुनाथपुर पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया. राज परिवार ने माता का आशीर्वाद लेने से पहले पारंपरिक पूजा की तथा उसके बाद माता हिडिंबा का आशीर्वाद लिया. दादी मां कही जाने वाली माता हडिंबा व भगवान रघुनाथ के भव्य मिलन की हजारों आंखें गवाह बनीं. इससे पूर्व माता के रथ को सजाया गया.

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माता के रघुनाथपुर पहुंचते ही सारा माहौल भक्तिमय हो उठा. देव वाद्य यंत्रों के बीच व पूजा-अर्चना के बाद माता हडिंबा के गुर ने दशहरे के दौरान सब कुछ ठीक रहने की बात कही. माता हिडिंबा सहित घाटी के दर्जनों देवी-देवताओं ने रघुनाथपुर में दस्तक दी और रघुनाथ जी की शोभा यात्रा में भाग लेने के लिए प्रस्थान किया.

भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भाग लेने के लिए घाटी के देवी देवता कुल्लू पहुंच गए हैं. हालांकि अब की बार प्रशासन की ओर से नजराना नहीं दिया जा रहा है, लेकिन प्राचीन परंपराओं को निभाने के लिए देवी-देवता अपने अपने हारियानों के साथ ढालपुर पहुंच गए हैं. वही भगवान रघुनाथ के दर्शनों को भी देवी देवता पहुंच रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में अबकी बार व्यापारिक व सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित नहीं की जा रही है. लेकिन उसके बाद भी दशहरा उत्सव के आयोजन पर स्थानीय लोगों में भी खासा उत्साह है. हालांकि जिला प्रशासन ने कोरोना के कई नियम भी दशहरा मैदान में लागू किए हैं. वहीं, देवी-देवताओं के आगमन पर स्थानीय लोग भी जगह-जगह उनका भव्य स्वागत कर रहे हैं.

कुल्लू जिला में छह स्थानों पर दशहरा उत्सव मनाया जाता है. इसमें अट्ठारह करडू की सौह ढालपुर में मनाया जाना वाला दशहरा सबसे अहम है. इसके अतिरिक्त धार्मिक नगरी मणिकर्ण, हरिपुर, धरोहर गांव नग्गर तथा वशिष्ठ में भी दशहरा उत्सव मनाया जाता है. मणिकर्ण, नग्गर तथा हरिपुर में कुल्लू की तरह रथयात्रा निकाली जाती है. मणिकर्ण में छह से सात देवी-देवता भाग लेते हैं. वहीं हरिपुर दशहरा में चार से पांच देवी-देवता भाग लेते हैं. कुल्लू में दशहरा उत्सव को सात दिन तक मनाया जाता है. मणिकर्ण में भी सात तथा हरिपुर में पांच दिन, नग्गर के ठावा व वशिष्ठ में एक-एक दिन का दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा है.

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