किन्नौर: हिमाचल के जिला किन्नौर से संबंध रखने वाले मास्टर श्याम सरन नेगी किसी पहचान के मोहताज नहीं है. देश के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरन को हर कोई जानता (first voter shyam saran negi) है. उनकी उम्र 105 वर्ष है और आज तक उन्होंने लोकतंत्र के हर उत्सव में भाग लिया है. अपनी उम्र की सेंचुरी पूरी कर चुके श्याम सरन नेगी की याददाश्त आज भी कम नहीं हुई है. उन्होंने मीडिया से रूबरू होते हुए देश के प्रधानमंत्री और उनके द्वारा चलाई गई योजनाओं व नीतियों की सराहना की (shyam saran negi appreciate pm modi works) है.
नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री नहीं देखा: देश के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी ने कहा कि देश ने आजादी के बाद बहुत तरक्की की है, लेकिन नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री आज तक नहीं (shyam saran negi on PM modi) देखा. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में पहली बार आम व्यक्ति तक सरकार की हर योजना घर-घर पहुंची है. उन्होंने कहा आज हर वर्ग के परिवार को सरकार की योजना का लाभ मिल रहा है और प्रधानमंत्री के द्वारा सभी वर्ग के लोगों के लिए कोई न कोई योजना और नीति बनाई गई है.
हर वर्ग हो रहा लाभान्वित: उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में विकास हुआ है. आज गरीब परिवार से संबंध रखने वाले हर बच्चे को शिक्षा, महिलाओं को सुरक्षा, आम जनता की समस्याओं का हल और भी बहुत सी सुविधा प्रधानमंत्री के द्वारा देश के लोगों को दी जा रही है. उन्होंने कहा जिस तरह का कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हुआ है वैसा कार्य किसी सरकार में नहीं हुआ है.
श्याम सरन नेगी ने मोदी की सराहना की: श्याम सरन नेगी ने कहा कि आज देश के अंदर मोदी सरकार के खिलाफ कुछ लोग महंगाई को लेकर लगातार बिना वजह के विरोध कर रहे हैं, लेकिन देश के हर क्षेत्र में खासकर किसानी व बागवानी क्षेत्र में लोगों ने तरक्की की है और रोजगार के नए अवसर लोगों को मिले हैं. देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है, खेल के क्षेत्र में भारत ने पूरे विश्वभर में परचम लहराया है. उन्होंने कहा कि देश में महंगाई नहीं बल्कि कमाई भी समस्या बनी हुई है. कुछ लोग जो मेहनत कर कमाना नहीं चाहते और जिन्हें मुफ्त की आदत पड़ी हो ऐसे लोग ही सरकार का विरोध करते हैं.
आजाद भारत के पहले वोटर बने थे श्याम सरन नेगी: बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भारत में फरवरी 1952 में पहला आम चुनाव हुआ था. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि भारत के जनजातीय इलाके भी आम चुनाव में हिस्सा लें. चूंकि जनजातीय इलाकों में बर्फबारी के कारण आवागमन अवरुद्ध हो जाता है, लिहाजा इन इलाकों में भारत के अन्य हिस्सों से पहले ही मतदान का फैसला लिया गया था और 25 अक्टूबर 1951 को जनजातीय क्षेत्र में चुनाव आयोजित किए (first voter of india) गए.
पहला जनजातीय इलाका किन्नौर: देशभर के जनजातीय इलाकों में सबसे पहले हिमाचल के किन्नौर इलाके को ही चुना गया. उस समय किन्नौर में स्कूल टीचर श्याम सरन नेगी को पोलिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी निभानी थी. सुविधाओं और संसाधनों की कमी के साथ ही किन्नौर का इलाका भी दुर्गम था. मतपेटी तो थी नहीं, ऐसे में श्याम सरन नेगी ने टीन के कनस्तर को मतपेटी का रूप दिया. अब मतदान की बारी थी. स्थितियां ऐसी थीं कि कोई भी मतदान के लिए मौजूद नहीं था, तो श्याम सरन नेगी ने ही सबसे पहले मतदान किया. यह 25 अक्टूबर 1951 की बात थी. खुद वोट डालने के बाद श्याम शरन नेगी ने महीने भर पूरे कबायली इलाके में घूम-घूम कर लोगों को मतदान का महत्व समझाया और उनसे मतदान करवाया.
श्याम सरन नेगी की मिली पूरे देश में सराहना: श्याम सरन के इस प्रयास को देशभर में सराहना मिली थी. भारत में लोकतंत्र की मजबूती और मतदान को लेकर श्याम सरन के योगदान पर उन्हें कई बार सम्मानित किया गया. उन पर भारत के चुनाव आयोग ने बेहद भावुक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है, जिसे अब तक यू-ट्यूब पर लाखों लोग देख चुके हैं. हर चुनाव में वोट डालने के लिए पहुंचने वाले नेगी लोकतंत्र में भारतीय आस्था के प्रतीक बन चुके हैं. उन्हें मतदान केंद्र तक लाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी खास वाहन का इंतजाम करते हैं. साथ ही रेड कारपेट भी बिछाया जाता है.
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