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जनजातीय क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो रहा टेलीमेडिसिन सेंटर, ऐसे मिल रही स्वास्थ्य सुविधाएं

अपोलो टेलीमेडिसिन सेंटर जनजातीय क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो रहा है. काजा अस्पताल में पहली बार गर्भवती महिला का सिजेरियन करवाया गया. बच्चा और मां छह दिनों तक निगरानी में रहे. अपोलो टेलीमेडिसिन के चिकित्सक बच्चे और मां की पल पल निगरानी करते रहे. काजा अस्पताल, मिशन अस्पताल की टीम और अपोलो टेलीमेडिसिन की टीम के प्रयास सफल हुए.

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Published : Sep 8, 2021, 4:50 PM IST

लाहौल-स्पिति: बर्फबारी से छह महीने तक ढके रहने वाले जनजातीय क्षेत्र स्पीति के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने में हिमाचल सरकार और अपोलो के सहयोग से चल रहा टेलीमेडिसिन सेंटर काफी मददगार साबित हो रहा है. अभी हाल ही में काजा में गर्भवती महिला के प्रसव करवाने में सेंटर ने काफी अहम भूमिका निभाई.

बीते दिनों क्यामो गांव की रहने वाली 27 वर्षीय तेंजिन लामो प्रसव पीड़ा से कहरा रही थी, उसके परिजन उसे काजा अस्पताल में ले आए. पीड़िता को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), काजा में भर्ती कराया गया था. इसी दौरान यहां पर मिशन अस्पताल मनाली की ओर से कैंप भी चल रहा था. स्थानीय चिकित्सकों, मिशन अस्पताल और अपोलो टेलीमेडिसिन सेंटर ने संयुक्त प्रयास से पीड़िता को सही उपचार मिल पाया. पीड़िता का सिजेरियन काजा में करवाया गया. बता दें कि पहली बार काजा में सिजेरियन हुआ है. असल में काजा में सामान्य प्रसव ही करवाया जाता है, लेकिन अगर पीड़िता को रेफर करते तो मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा था.

इसके बाद बच्चे को छह दिनों तक काजा में अपोलो टेलीमेडिसिन सेंटर ने निगरानी में रखा गया. डॉ अल्फा खाखर (एमडी, एमबीबीएस) अपोलो हॉस्पिटल्स ने बताया कि टेलीमेडिसिन पर पूरी तरह से जांच की और पोस्टपार्टम हेमरेज के रूप में स्थिति का निदान किया. बच्चे पर जटिलताएं भी दिखाई देने लगी थीं क्योंकि प्रसव समय से पहले था और बच्चे का वजन कम था इसके अलावा, जन्म के समय बच्चे का रंग नीला पड़ गया था.

बच्चे की स्थिति को स्थिर करने के लिए, कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) को सलाह दी गई और उसके बाद अन्य आपातकालीन नैदानिक प्रबंधन प्रक्रियाओं को सलाह दी गई. सीपीआर और आपातकालीन देखभाल के बाद बच्चे को नवजात देखभाल इकाई में स्थानांतरित कर दिया गया. बच्चे की स्थिति बिगड़ती गई तो अपोलो हॉस्पिटल ने वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ. लता विश्वनाथन (एमबीबीएस, डीसीएच, डीएनबी), (बालरोग) के साथ टेली-परामर्श का आयोजन किया गया.

टेलीमेडिसिन सेंटर काजा में तैनात स्टाफ नर्स तेंजिन डोल्कर ने कहा कि उक्त पीड़िता और बच्चा छह दिनों तक हमारी निगरानी में रहा. वहीं, बीएमओ तेंजिन नोरबू ने कहा कि 11 अगस्त को परिजन गर्भवती महिला को लेकर अस्पताल आए थे, लेकिन महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए मिशन अस्पताल के सहयोग से यहां पर सिजेरियन करना पड़ा. इसके बाद अपोलो टेलीमेडिसिन सेंटर की निगरानी में महिला और बच्चा रहे.

ये भी पढ़ें: न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत के आधार पर सुनिश्चित किया जाए लाभकारी मूल्य: भारतीय किसान संघ

लाहौल-स्पिति: बर्फबारी से छह महीने तक ढके रहने वाले जनजातीय क्षेत्र स्पीति के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने में हिमाचल सरकार और अपोलो के सहयोग से चल रहा टेलीमेडिसिन सेंटर काफी मददगार साबित हो रहा है. अभी हाल ही में काजा में गर्भवती महिला के प्रसव करवाने में सेंटर ने काफी अहम भूमिका निभाई.

बीते दिनों क्यामो गांव की रहने वाली 27 वर्षीय तेंजिन लामो प्रसव पीड़ा से कहरा रही थी, उसके परिजन उसे काजा अस्पताल में ले आए. पीड़िता को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), काजा में भर्ती कराया गया था. इसी दौरान यहां पर मिशन अस्पताल मनाली की ओर से कैंप भी चल रहा था. स्थानीय चिकित्सकों, मिशन अस्पताल और अपोलो टेलीमेडिसिन सेंटर ने संयुक्त प्रयास से पीड़िता को सही उपचार मिल पाया. पीड़िता का सिजेरियन काजा में करवाया गया. बता दें कि पहली बार काजा में सिजेरियन हुआ है. असल में काजा में सामान्य प्रसव ही करवाया जाता है, लेकिन अगर पीड़िता को रेफर करते तो मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा था.

इसके बाद बच्चे को छह दिनों तक काजा में अपोलो टेलीमेडिसिन सेंटर ने निगरानी में रखा गया. डॉ अल्फा खाखर (एमडी, एमबीबीएस) अपोलो हॉस्पिटल्स ने बताया कि टेलीमेडिसिन पर पूरी तरह से जांच की और पोस्टपार्टम हेमरेज के रूप में स्थिति का निदान किया. बच्चे पर जटिलताएं भी दिखाई देने लगी थीं क्योंकि प्रसव समय से पहले था और बच्चे का वजन कम था इसके अलावा, जन्म के समय बच्चे का रंग नीला पड़ गया था.

बच्चे की स्थिति को स्थिर करने के लिए, कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) को सलाह दी गई और उसके बाद अन्य आपातकालीन नैदानिक प्रबंधन प्रक्रियाओं को सलाह दी गई. सीपीआर और आपातकालीन देखभाल के बाद बच्चे को नवजात देखभाल इकाई में स्थानांतरित कर दिया गया. बच्चे की स्थिति बिगड़ती गई तो अपोलो हॉस्पिटल ने वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ. लता विश्वनाथन (एमबीबीएस, डीसीएच, डीएनबी), (बालरोग) के साथ टेली-परामर्श का आयोजन किया गया.

टेलीमेडिसिन सेंटर काजा में तैनात स्टाफ नर्स तेंजिन डोल्कर ने कहा कि उक्त पीड़िता और बच्चा छह दिनों तक हमारी निगरानी में रहा. वहीं, बीएमओ तेंजिन नोरबू ने कहा कि 11 अगस्त को परिजन गर्भवती महिला को लेकर अस्पताल आए थे, लेकिन महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए मिशन अस्पताल के सहयोग से यहां पर सिजेरियन करना पड़ा. इसके बाद अपोलो टेलीमेडिसिन सेंटर की निगरानी में महिला और बच्चा रहे.

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