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हमीरपुर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने किया सुधार का दावा, मरीजों को अभी भी झेलनी पड़ रही परेशानी

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Published : Jul 29, 2019, 1:42 PM IST

Updated : Jul 29, 2019, 2:42 PM IST

मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर के पर्ची काउंटर पर मिलने वाले टोकन पर अभी भी क्षेत्रीय अस्पताल का ही नाम चल रहा है. कॉलेज की कई ओपीडी के बाहर लगी टोकन डिस्प्ले भी खराब ही हैं.

HAMIRPUR MEDICAL COLLEGE

हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर के पर्ची काउंटर पर मिलने वाले टोकन पर अभी भी क्षेत्रीय अस्पताल का ही नाम चल रहा है. कॉलेज की कई ओपीडी के बाहर लगी टोकन डिस्प्ले भी खराब ही हैं. साथ ही जिन ओपीडी के बाहर टोकन डिस्प्ले लगी हैं, वहां भी इनका उचित प्रयोग नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि मेडिकल कॉलेज को चले एक साल से ज्यादा समय हो गया है लेकिन अस्पताल के पर्ची काउंटर पर मिलने वाले टोकन पर अभी भी क्षेत्रीय अस्पताल ही अंकित है. कॉलेज प्रबंधन का दावा है कि इस गलती में जल्द ही सुधार किया जाएगा.

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कॉलेज में कई अव्यवस्थाओं के चलते लोग धक्कामुक्की कर ओपीडी में घुसते हैं जिससे मरीजों और लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है. अस्पताल के जेरिए ट्रिक वार्ड की दशा भी नहीं सुधर पाई है. बारिश की स्थिति में वार्ड में पानी भर जाता है.

मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ. अनिल वर्मा ने कहा कि टोकन मशीनें अपडेट नहीं करवाई गई हैं, इसलिए रीजनल अस्पताल लिखा आ रहा है. उन्होंने कहा कि संबंधित कंपनी को इन्हें अपडेट करने के लिए कहा गया है. अस्पताल में कर्मचारियों की कमी के कारण दिक्कतें पेश आ रही है जिनके समाधान के लिए प्रबंधन प्रयासरत है.

हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर के पर्ची काउंटर पर मिलने वाले टोकन पर अभी भी क्षेत्रीय अस्पताल का ही नाम चल रहा है. कॉलेज की कई ओपीडी के बाहर लगी टोकन डिस्प्ले भी खराब ही हैं. साथ ही जिन ओपीडी के बाहर टोकन डिस्प्ले लगी हैं, वहां भी इनका उचित प्रयोग नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि मेडिकल कॉलेज को चले एक साल से ज्यादा समय हो गया है लेकिन अस्पताल के पर्ची काउंटर पर मिलने वाले टोकन पर अभी भी क्षेत्रीय अस्पताल ही अंकित है. कॉलेज प्रबंधन का दावा है कि इस गलती में जल्द ही सुधार किया जाएगा.

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कॉलेज में कई अव्यवस्थाओं के चलते लोग धक्कामुक्की कर ओपीडी में घुसते हैं जिससे मरीजों और लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है. अस्पताल के जेरिए ट्रिक वार्ड की दशा भी नहीं सुधर पाई है. बारिश की स्थिति में वार्ड में पानी भर जाता है.

मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ. अनिल वर्मा ने कहा कि टोकन मशीनें अपडेट नहीं करवाई गई हैं, इसलिए रीजनल अस्पताल लिखा आ रहा है. उन्होंने कहा कि संबंधित कंपनी को इन्हें अपडेट करने के लिए कहा गया है. अस्पताल में कर्मचारियों की कमी के कारण दिक्कतें पेश आ रही है जिनके समाधान के लिए प्रबंधन प्रयासरत है.

Intro:टोकन सिस्टम में अभी भी मेडिकल कॉलेज का नाम चल रहा रीजनल हॉस्पिटल, प्रबंधन का तर्क करेंगे सुधार
हमीरपुर.
मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर के पर्ची काउंटर पर मिलने बाले टोकन पर अभी भी क्षेत्रीय अस्पताल का ही नाम चल रहा है बता दें कि डेढ़ मेडिकल कॉलेज को चले एक साल से ज्यादा समय हो गया है. लेकिन अस्पताल के पर्ची काउंटर पर मिलने वाले टोकन पर अभी भी क्षेत्रीय अस्पताल ही अंकित है। मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद इसे अपडेट नहीं किया गया है। इससे अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। कॉलेज प्रबंधन का दावा है कि इस गलती में जल्द ही सुधार किया जाएगा.

कॉलेज में कई अव्यवस्थाओं के बावजूद उनमें सुधार नहीं हो रहा है। कॉलेज की कई ओपीडी के बाहर लगी टोकन डिस्प्ले भी खराब ही हैं। जबकि, जिन ओपीडी के बाहर टोकन डिस्प्ले लगी हैं, वहां भी इनका उचित प्रयोग नहीं हो पा रहा है। अव्यवस्थाओं के चलते लोग मनमानी करते हैं और धक्कामुक्की कर ओपीडी में घुसते हैं। इससे अन्य मरीजों और लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। अस्पताल के जेरिएट्रिक वार्ड की दशा भी नहीं सुधर पाई है। जबकि, बारिश की स्थिति में वार्ड में पानी भर जाता है। सीलन और दीवारों व छत से उखड़ने वाला प्लस्तर मरीजों के लिए और परेशानी का कारण बन रहा है।




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जब इस बारे में मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ. अनिल वर्मा से बात की गई तो उन्होंने माना कि टोकन मशीनें अपडेट नहीं करवाई गई हैं, इसलिए रीजनल अस्पताल लिखा आ रहा है। उन्होंने कहा कि संबंधित कंपनी को इन्हें अपडेट करने के लिए कहा गया है। अस्पताल में कर्मचारियों की कमी के कारण दिक्कतें पेश आ रही है। जिनके समाधान के लिए प्रबंधन प्रयासरत है।


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Last Updated : Jul 29, 2019, 2:42 PM IST
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