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भगवान के घर भी लॉकडाउन का असर, खाली रह गया बाबा दियोटसिद्ध का खजाना!

देश में चल रहे लॉकडाउन ने कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है. इसका असर हमीरपुर के बाबा बालक नाथ दियोटसिद्ध मंदिर पर भी देखने को मिल रहा है. इस महामारी के कारण मंदिर को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है. मंदिर ट्रस्ट की सालाना आमदनी 30 करोड़ के करीब है. लेकिन इस बार अप्रैल तक ये कमाई 5 करोड़ पर सिमट गई है.

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Published : May 23, 2020, 7:54 PM IST

the temples of baba balaknath have lost crores of rupees in revenue due to lockdown
बाबा दियोटसिद्ध का खजाना

हमीरपुर: वैश्विक महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन में एक तरफ जहां उद्योग-धंधे प्रभावित हुए हैं तो वहीं धार्मिक संस्थानों का राजस्व भी कम हुआ है. सभी धार्मिक संस्थान बंद हैं. मंदिर में आय का मुख्य साधन चढ़ावा होता है लेकिन लॉकडाउन की वजह से श्रद्धालु भी मंदिरों में नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में उनके राजस्व भी काफी कमी आई है.

बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध को उत्तरी भारत का सबसे बड़ा सिद्ध पीठ माना जाता है. बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध ट्रस्ट की सालाना आमदनी 30 करोड़ के लगभग है, लेकिन इस साल अप्रैल महीने तक सिर्फ पांच करोड़ की ही आमदनी हुई है.

मंदिर के चढ़ावे में आई गिरावट

बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध के अधिकारी ओपी लखन पाल का कहना है कि पिछले साल मेलों के दौरान नौ करोड़ से अधिक चढ़ावा चढ़ा था, लेकिन इस बार यह चढ़ावा 1 महीने में महज 2 करोड़ रुपए है. पिछले साल कुल 30 करोड़ के लगभग चढ़ावा मंदिर में चढ़ा था.

वीडियो रिपोर्ट.

एक महीने में चढ़ चुका है नौ करोड़ का चढ़ावा

अप्रैल के आंकड़ों की बात की जाए तो पिछले साल अप्रैल तक 11 करोड़ के लगभग चढ़ावा चढ़ा चुका था, लेकिन इस बार चढ़ावे में भारी गिरावट आई है और सिर्फ पांच करोड़ चढ़ावा अप्रैल महीने तक मंदिरों में चढ़ा है. चैत्र मास मेलों की बात की जाए तो पिछली बार मंदिर में 9 करोड़ से अधिक का चढ़ावा 1 महीने में श्रद्धालुओं ने चढ़ाया था.

कोरोना की वजह से 17 मार्च से बंद है मंदिर

सरकार के आदेश के बाद 17 मार्च को वैश्विक महामारी के चलते मंदिर को बंद कर दिया गया था. जिस वजह से पहली मार्च से 30 अप्रैल तक महज 2 करोड़ रुपए का चढ़ावा ही इस अवधि में मंदिर के खजाने में जमा हुआ है. यह मेले मार्च से अप्रैल महीने तक एक महीना आधिकारिक रूप से चलते हैं जबकि अनौपचारिक रूप से जून महीने तक श्रद्धालु मंदिर में भारी संख्या में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

40 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं बाबा के दरबार

मेलों के दौरान 10 से 15 लाख श्रद्धालु बाबा बालक नाथ के दरबार में शीश नवाते हैं. इनमें देश के बाहरी राज्यों के साथ ही विदेशों से भी लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मंदिर अधिकारी की मानें तो साल भर में 40 लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर में आते हैं.

मंदिर ट्रस्ट ने दिया पांच करोड़ का दान

बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट दियोटसिद्ध के तहत 2 कॉलेज और एक स्कूल चलता है. इन तीनों शैक्षणिक संस्थानों का आर्थिक पोषण ट्रस्ट ही करता है, जबकि ट्रस्ट के जितने भी कर्मचारी हैं उन्हें भी वेतन बाबा जी के खजाने से ही दिया जाता है. वहीं कोरोना महामारी के दौर में दियोटसिद्ध ट्रस्ट ने कोविड-19 रिस्पॉन्स फंड में पांच करोड़ की मदद सरकार को दी है.

हमीरपुर: वैश्विक महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन में एक तरफ जहां उद्योग-धंधे प्रभावित हुए हैं तो वहीं धार्मिक संस्थानों का राजस्व भी कम हुआ है. सभी धार्मिक संस्थान बंद हैं. मंदिर में आय का मुख्य साधन चढ़ावा होता है लेकिन लॉकडाउन की वजह से श्रद्धालु भी मंदिरों में नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में उनके राजस्व भी काफी कमी आई है.

बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध को उत्तरी भारत का सबसे बड़ा सिद्ध पीठ माना जाता है. बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध ट्रस्ट की सालाना आमदनी 30 करोड़ के लगभग है, लेकिन इस साल अप्रैल महीने तक सिर्फ पांच करोड़ की ही आमदनी हुई है.

मंदिर के चढ़ावे में आई गिरावट

बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध के अधिकारी ओपी लखन पाल का कहना है कि पिछले साल मेलों के दौरान नौ करोड़ से अधिक चढ़ावा चढ़ा था, लेकिन इस बार यह चढ़ावा 1 महीने में महज 2 करोड़ रुपए है. पिछले साल कुल 30 करोड़ के लगभग चढ़ावा मंदिर में चढ़ा था.

वीडियो रिपोर्ट.

एक महीने में चढ़ चुका है नौ करोड़ का चढ़ावा

अप्रैल के आंकड़ों की बात की जाए तो पिछले साल अप्रैल तक 11 करोड़ के लगभग चढ़ावा चढ़ा चुका था, लेकिन इस बार चढ़ावे में भारी गिरावट आई है और सिर्फ पांच करोड़ चढ़ावा अप्रैल महीने तक मंदिरों में चढ़ा है. चैत्र मास मेलों की बात की जाए तो पिछली बार मंदिर में 9 करोड़ से अधिक का चढ़ावा 1 महीने में श्रद्धालुओं ने चढ़ाया था.

कोरोना की वजह से 17 मार्च से बंद है मंदिर

सरकार के आदेश के बाद 17 मार्च को वैश्विक महामारी के चलते मंदिर को बंद कर दिया गया था. जिस वजह से पहली मार्च से 30 अप्रैल तक महज 2 करोड़ रुपए का चढ़ावा ही इस अवधि में मंदिर के खजाने में जमा हुआ है. यह मेले मार्च से अप्रैल महीने तक एक महीना आधिकारिक रूप से चलते हैं जबकि अनौपचारिक रूप से जून महीने तक श्रद्धालु मंदिर में भारी संख्या में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

40 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं बाबा के दरबार

मेलों के दौरान 10 से 15 लाख श्रद्धालु बाबा बालक नाथ के दरबार में शीश नवाते हैं. इनमें देश के बाहरी राज्यों के साथ ही विदेशों से भी लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मंदिर अधिकारी की मानें तो साल भर में 40 लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर में आते हैं.

मंदिर ट्रस्ट ने दिया पांच करोड़ का दान

बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट दियोटसिद्ध के तहत 2 कॉलेज और एक स्कूल चलता है. इन तीनों शैक्षणिक संस्थानों का आर्थिक पोषण ट्रस्ट ही करता है, जबकि ट्रस्ट के जितने भी कर्मचारी हैं उन्हें भी वेतन बाबा जी के खजाने से ही दिया जाता है. वहीं कोरोना महामारी के दौर में दियोटसिद्ध ट्रस्ट ने कोविड-19 रिस्पॉन्स फंड में पांच करोड़ की मदद सरकार को दी है.

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