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मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की अव्यवस्थाओं के खिलाफ लोगों का सांकेतिक धरना, प्रबंधन को सौंपा मांग पत्र

हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में फैली अव्यवस्थाओं के खिलाफ बुधवार को सर्व कल्याणकारी संस्था ने मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के दफ्तर के बाहर सांकेतिक धरना दिया. संस्था के अध्यक्ष जगजीत ठाकुर ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में पिछले करीब 1 साल से बंद पड़ी है. अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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फोटो.
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Published : Sep 22, 2021, 5:07 PM IST

हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में अव्यवस्थाओं के खिलाफ राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संस्थाएं भी मुखर होने लगी हैं. सर्व कल्याणकारी संस्था हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र के अध्यक्ष जगजीत ठाकुर के नेतृत्व में हमीरपुर राजकीय मेडिकल कॉलेज की चरमराई व्यवस्था के विरुद्ध प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के दफ्तर के बाहर संस्था के कार्यकर्ताओं ने सांकेतिक धरना दिया. अस्पताल प्रशासन से मांग की कि अस्पताल की बंद पड़ी सीटी स्कैन मशीन को ठीक करवाया जाए या नई मशीन स्थापित की जाए.

गौरतलब है कि मशीन पिछले लगभग एक वर्ष से बंद पड़ी हुई है. उसकी सुध लेने वाला कोई ना है, जिससे जिले के लोगों को परेशानियां आ रही हैं और मजबूरन लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है. यही हाल अल्ट्रासाउंड मशीनों का है जो कि कई महीनों से बंद पड़ी हुई है. यह मशीनें क्यों ठीक नहीं करवाई जा रही है इस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं.

वीडियो.

आपको बता दें कि लंबे समय से मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों को रेफर किए जाने का सिलसिला लगातार जारी है. छोटी-मोटी बीमारियों अथवा ऑपरेशन के लिए मरीजों को टांडा मेडिकल कॉलेज अथवा आईजीएमसी या फिर पीजीआई चंडीगढ़ के लिए रेफर किया जाता है. जिसके चलते जिले के लोगों को उपचार के लिए हजारों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं, जबकि जिला में मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद उन्हें सुविधा नहीं मिल पा रही है.

जगजीत ठाकुर ने कहा कि अस्पताल में सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं है. लगता है या अस्पताल खुद ही बीमार पड़ा हुआ है. अव्यवस्था का आलम यह है कि यहां छोटी-छोटी बीमारी के लिए भी मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. यह अस्पताल महज रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है. जिले से दूर-दराज से लोग अपना इलाज करवाने आते हैं परंतु डॉक्टर अपने केबिन में उपलब्ध नहीं होते जिसके कारण लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

लोग मजबूर होकर प्राइवेट अस्पताल में अपना महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है. अस्पताल के कर्मचारी कई बार मरीजों व उनके साथ आए हुए लोगों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं. इन सबके बावजूद अस्पताल प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. कोई भी इस अस्पताल की सुध लेने वाला नहीं है. संस्था की तरफ से प्रधानाचार्य को एक मांग पत्र भी सौंपा गया तथा मांग की गई कि जिले की जनता की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए लोगों को उचित स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जाए.

ये भी पढ़ें: सुरेश भारद्वाज ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से की मुलाकात, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में अव्यवस्थाओं के खिलाफ राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संस्थाएं भी मुखर होने लगी हैं. सर्व कल्याणकारी संस्था हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र के अध्यक्ष जगजीत ठाकुर के नेतृत्व में हमीरपुर राजकीय मेडिकल कॉलेज की चरमराई व्यवस्था के विरुद्ध प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के दफ्तर के बाहर संस्था के कार्यकर्ताओं ने सांकेतिक धरना दिया. अस्पताल प्रशासन से मांग की कि अस्पताल की बंद पड़ी सीटी स्कैन मशीन को ठीक करवाया जाए या नई मशीन स्थापित की जाए.

गौरतलब है कि मशीन पिछले लगभग एक वर्ष से बंद पड़ी हुई है. उसकी सुध लेने वाला कोई ना है, जिससे जिले के लोगों को परेशानियां आ रही हैं और मजबूरन लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है. यही हाल अल्ट्रासाउंड मशीनों का है जो कि कई महीनों से बंद पड़ी हुई है. यह मशीनें क्यों ठीक नहीं करवाई जा रही है इस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं.

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आपको बता दें कि लंबे समय से मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों को रेफर किए जाने का सिलसिला लगातार जारी है. छोटी-मोटी बीमारियों अथवा ऑपरेशन के लिए मरीजों को टांडा मेडिकल कॉलेज अथवा आईजीएमसी या फिर पीजीआई चंडीगढ़ के लिए रेफर किया जाता है. जिसके चलते जिले के लोगों को उपचार के लिए हजारों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं, जबकि जिला में मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद उन्हें सुविधा नहीं मिल पा रही है.

जगजीत ठाकुर ने कहा कि अस्पताल में सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं है. लगता है या अस्पताल खुद ही बीमार पड़ा हुआ है. अव्यवस्था का आलम यह है कि यहां छोटी-छोटी बीमारी के लिए भी मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. यह अस्पताल महज रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है. जिले से दूर-दराज से लोग अपना इलाज करवाने आते हैं परंतु डॉक्टर अपने केबिन में उपलब्ध नहीं होते जिसके कारण लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

लोग मजबूर होकर प्राइवेट अस्पताल में अपना महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है. अस्पताल के कर्मचारी कई बार मरीजों व उनके साथ आए हुए लोगों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं. इन सबके बावजूद अस्पताल प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. कोई भी इस अस्पताल की सुध लेने वाला नहीं है. संस्था की तरफ से प्रधानाचार्य को एक मांग पत्र भी सौंपा गया तथा मांग की गई कि जिले की जनता की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए लोगों को उचित स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जाए.

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