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हमीरपुर: एक लाचार मां की डीसी से फरियाद, बेटे के इलाज तक ना काटें BPL लिस्ट से नाम

हमीरपुर जिले के भुराण गांव की महिला ने पंचायत प्रधान और सचिव पर बीपीएल सूची से नाम काटने का आरोप लगाया है. महिला ने डीसी देव श्वेता बनिक से इस मामले की शिकायत की है. महिला का कहना है कि उसके 6 साल के बेटे का इलाज आईजीएमसी में चल रहा है, ऐसे में अगर बीपीएल सूची से उसका नाम काट दिया जाएगा तो बेटे का इलाज कराना मुश्किल हो जाएगा.

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फोटो.
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Published : Oct 12, 2021, 3:10 PM IST

हमीरपुर: ग्राम पंचायत धलोट के भुराण गांव की महिला ने पंचायत प्रधान और सचिव पर बीपीएल सूची से जबरन गलत तरीके से उसके परिवार का नाम काटे जाने के आरोप लगाए हैं. इस सिलसिले में महिला ने मंगलवार को डीसी हमीरपुर देव श्वेता बनिक को शिकायत सौंपते हुए उनसे गुहार लगाई कि बीपीएल सूची से उसका नाम ना काटा जाए.

महिला का कहना है कि उसका 6 साल का बेटा है, जिसका इलाज आईजीएमसी शिमला में कराया जा रहा है. कुछ दिन पहले ही पंचायत में ग्राम सभा हुई थी, लेकिन उसमें उनका नाम नहीं काटा गया था. ग्राम सभा में मौजूद लोगों, वार्ड पंच, प्रधान और उप प्रधान ने नाम काटने से इनकार किया था, लेकिन उसी शाम करीब पांच बजे के बाद पंचायत सचिव और प्रधान ने बीपीएल सूची से उनका नाम काट दिया. महिला का कहना है कि हर महीने इलाज के लिए जब वह अस्पताल में जाते हैं तो बीपीएल का कार्ड उनके काम आता है. अगर यह बीपीएल का कार्ड नहीं होगा तो हर महीने उन्हें बच्चे के इलाज के लिए 10 से 15 हजार खर्च करना पड़ेगा.

वीडियो.

महिला बंदना देवी का कहना है कि लोगों को उन्हें सस्ते राशन के कोई भूख नहीं है. 6 साल के बेटे का इलाज चल रहा है, जिसके लिए बीपीएल कार्ड की उनको सख्त जरूरत है. इस कार्ड के सहारे ही बेटे का उपचार चल रहा है, यदि बीपीएल सूची से उनका नाम काट दिया जाता है तो वह बच्चे का उपचार भी नहीं करवा पाएंगे.

उन्होंने कहा कि ग्रामसभा में किसी ने भी उनका नाम बीपीएल सूची से काटने के लिए स्वीकृति नहीं दी थी, लेकिन बाद में मनमर्जी से ही प्रधान और सचिव ने उनका नाम काट दिया. वह डीसी हमीरपुर के पास शिकायत लेकर पहुंचे हैं ताकि उनका नाम बीपीएल सूची में एक बार फिर जोड़ा जाए. महिला का कहना है कि 10 साल तक उनके बच्चे का उपचार चलेगा तब तक उनका नाम बीपीएल सूची से ना काटा जाए ताकि वह अपने बच्चे का उपचार करवा सकें.

गौरतलब है कि बीपीएल सूची से नाम काटे जाने की शिकायतें लगातार जिला प्रशासन के पास पहुंच रही हैं. पिछले दिनों कई पंचायतों में बीपीएल चयन को लेकर विवाद सामने आए थे. शिकायतें मिलने के बाद संबंधित खंड विकास अधिकारियों को जिला प्रशासन की तरफ से जांच के आदेश दिए गए हैं.

ये भी पढ़ें: एनीमिया के खिलाफ लड़ाई में हिमाचल अग्रणी राज्यों में शामिल, सोलन और चंबा जिला में सुधार

हमीरपुर: ग्राम पंचायत धलोट के भुराण गांव की महिला ने पंचायत प्रधान और सचिव पर बीपीएल सूची से जबरन गलत तरीके से उसके परिवार का नाम काटे जाने के आरोप लगाए हैं. इस सिलसिले में महिला ने मंगलवार को डीसी हमीरपुर देव श्वेता बनिक को शिकायत सौंपते हुए उनसे गुहार लगाई कि बीपीएल सूची से उसका नाम ना काटा जाए.

महिला का कहना है कि उसका 6 साल का बेटा है, जिसका इलाज आईजीएमसी शिमला में कराया जा रहा है. कुछ दिन पहले ही पंचायत में ग्राम सभा हुई थी, लेकिन उसमें उनका नाम नहीं काटा गया था. ग्राम सभा में मौजूद लोगों, वार्ड पंच, प्रधान और उप प्रधान ने नाम काटने से इनकार किया था, लेकिन उसी शाम करीब पांच बजे के बाद पंचायत सचिव और प्रधान ने बीपीएल सूची से उनका नाम काट दिया. महिला का कहना है कि हर महीने इलाज के लिए जब वह अस्पताल में जाते हैं तो बीपीएल का कार्ड उनके काम आता है. अगर यह बीपीएल का कार्ड नहीं होगा तो हर महीने उन्हें बच्चे के इलाज के लिए 10 से 15 हजार खर्च करना पड़ेगा.

वीडियो.

महिला बंदना देवी का कहना है कि लोगों को उन्हें सस्ते राशन के कोई भूख नहीं है. 6 साल के बेटे का इलाज चल रहा है, जिसके लिए बीपीएल कार्ड की उनको सख्त जरूरत है. इस कार्ड के सहारे ही बेटे का उपचार चल रहा है, यदि बीपीएल सूची से उनका नाम काट दिया जाता है तो वह बच्चे का उपचार भी नहीं करवा पाएंगे.

उन्होंने कहा कि ग्रामसभा में किसी ने भी उनका नाम बीपीएल सूची से काटने के लिए स्वीकृति नहीं दी थी, लेकिन बाद में मनमर्जी से ही प्रधान और सचिव ने उनका नाम काट दिया. वह डीसी हमीरपुर के पास शिकायत लेकर पहुंचे हैं ताकि उनका नाम बीपीएल सूची में एक बार फिर जोड़ा जाए. महिला का कहना है कि 10 साल तक उनके बच्चे का उपचार चलेगा तब तक उनका नाम बीपीएल सूची से ना काटा जाए ताकि वह अपने बच्चे का उपचार करवा सकें.

गौरतलब है कि बीपीएल सूची से नाम काटे जाने की शिकायतें लगातार जिला प्रशासन के पास पहुंच रही हैं. पिछले दिनों कई पंचायतों में बीपीएल चयन को लेकर विवाद सामने आए थे. शिकायतें मिलने के बाद संबंधित खंड विकास अधिकारियों को जिला प्रशासन की तरफ से जांच के आदेश दिए गए हैं.

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