हमीरपुर: सरकार की ओर से निजीतंत्र की पॉलिसी लागू करने के बाद जहां पंजाब, हरियाणा के साथ देश के तमाम राज्यों के किसानों पर गहरा संकट छाया हुआ है. वहीं, हिमाचल के बागवान भी अब इस संकट की आशंका से चिंतित हैं. यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष व सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने कही.
उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र पर निजीतंत्र को हावी-प्रभावी कर रही बीजेपी सरकार के राज में हिमाचल के बागवानों से 40 रुपए किलो खरीदा गया सेब प्राइवेट कंपनियां 250 रुपए किलो में बेच रही हैं. सरकार की नीति के कारण बागवानों को सेब की लागत मूल्य के भी लाले पड़े हुए हैं, जबकि हिमाचल के बागवानों से खरीदे गए सेब को प्राइवेट कंपनियों ने 500 फीसदी से भी ज्यादा लाभ कमा कर बेचा है.
राणा ने कहा कि ऊपरी हिमाचल के कई बागवानों ने उन्हें बताया कि सरकार के संरक्षण में प्राइवेट कंपनियों का बागवानों पर कसता शिकंजा भविष्य में विदेशी सेब से भी घातक साबित होगा. बागवानों ने बताया कि हिमाचल के किसानों और बागवानों को सरकार की मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए किसानों के आंदोलन का भरपूर समर्थन व सहयोग करना चाहिए, क्योंकि अभी तो सेब खरीदने वाली कंपनियों ने बागवानों का शोषण करना शुरू किया है.
प्राइवेट कंपनियां ने 500 फीसदी वसूला मुनाफा
कंपनियां जैसे ही मार्केट में अपने रेट खोलती हैं, वैसे ही मंडियों में सेब के दाम गिर जाते हैं, जैसा कि इस सेब सीजन में भी हुआ है. वहीं, राणा ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण बागवानों को सेब की लागत तक नहीं मिल पा रही है, जबकि प्राइवेट कंपनियां 500 फीसदी से ज्यादा तक का मुनाफा वसूल रही हैं.
हिमाचल में प्राइवेट कंपनियों का जाल बिछवाना शुरू
मुनाफाखोरी को बढ़ावा देने में लगी सरकार प्रजातंत्र के साथ किसानों के हितों को भी निगल रही है. सेब हिमाचल की आर्थिकी का एकमात्र आधार हैं और प्रदेश के किसानों की आमदनी का एक बढ़ा जरिया है, लेकिन जिस तरह केंद्र सरकार के इशारे पर प्रदेश सरकार ने हिमाचल में प्राइवेट कंपनियों का जाल बिछवाना शुरू किया है, उससे निश्चित है कि हिमाचल के बागवानों की आमदनी पर सरकार व कंपनियों की बुरी नजर पड़ चुकी है और अब हिमाचल के बागवानों और किसानों पर भी संकट आने वाला है.