हमीरपुर: 'पहाड़ी चित्रकला' प्रशिक्षण शिविर ठाकुर जगदेव चंद स्मृति शोध संस्थान नेरी में संपन्न हुआ. सात दिवसीय शिविर का आयोजन त्रिगर्त अभ्युदय परिषद् हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला व इतिहास शोध संस्थान नेरी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था. समापन समारोह में जिला भाषा अधिकारी निकू राम बतौर मुख्यातिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. विकास शर्मा संयुक्त सचिव शोध संस्थान नेरी ने की. सर्वप्रथम नवोदित प्रशिक्षुओं द्वारा बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया.
प्रशिक्षण शिविरों से पहाड़ी चित्रकला के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा
मुख्यातिथि निकू राम ने कहा कि पहाड़ों की प्राकृतिक सौन्दर्य और प्राचीन ग्रंथों के पात्र चित्रकारों की कल्पनाशीलता तथा कला सृजनता की विषय वस्तु रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहाड़ी चित्रकला के प्रशिक्षण शिविर में नवोदित कलाकारों द्वारा बनाए गए चित्र बहुत आकर्षक हैं. इस प्रकार के प्रशिक्षण शिविरों से पहाड़ी चित्रकला के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा.
पहाड़ी क्षेत्रों में पहाड़ी चित्रकला बहुत पुराने समय से विकसित
कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. विकास शर्मा ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में पहाड़ी चित्रकला बहुत पुराने समय से विकसित थी. यहां पर अनेक चित्रकारों ने राजाओं के संरक्षण में चित्रकला की परंपरा को जारी रखा. निवोदित प्रशिक्षु प्रशिक्षण लेने के उपरांत इस दिशा में निरंतर अभ्यास करें. मुख्य प्रशिक्षक सुरेश कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षुओं को पहाड़ी चित्रकला की विषय वस्तु, रेखांकन विधान, रंग योजना, तुलिकाओं का निर्माण व चयन तथा हस्तनिर्मित कागज की कला को सिखाया गया. उन्होंने बताया कि पहाड़ी चित्रकला की विषय वस्तु विस्तृत रही है.
कांगड़ा व गुलेर के चित्रकारों की पसंद गीत गोविंद के नायिका और नायक राधा कृष्ण, नायका भेद, बिहारी सतसई, नल दमयन्ती, भागवत पुराण, रामायण, महाभारत, शविह चित्रण और सामाजिक दृश्य इत्यादि रहे हैं. इस मौके पर डॉ. राकेश कुमार शर्मा, डॉ. विकास शर्मा, सहायक प्रशिक्षक सौरव कुमार व सचिन कुमार, डॉ. सुनील कुमार शर्मा, ऋषि भारद्वाज, रोहित व प्रशिक्षु अर्जिका शर्मा, स्वास्तिका शर्मा, प्राची शर्मा, विशाखा शर्मा व अक्षिता शर्मा साहित 30 लोग उपस्थित रहे.
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