हमीरपुर: रक्षा मंत्रालय की अग्निपथ भर्ती योजना पर देशभर में बहस छिड़ गई है. सत्तासीन दल भाजपा और विपक्षी दलों के नेताओं के इस योजना को लेकर अलग-अलग विचार हैं. देश के कोने-कोने में इस योजना को लेकर लोगों के (Agneepath Bharti Yojana 2022) अलग-अलग विचार हैं. कहीं पर इस योजना को सराहा जा रहा है तो कहीं पर युवा सड़कों पर उतर कर इसका विरोध भी कर रहे हैं. बिहार में युवाओं ने रेलवे प्लेटफार्म पर उतर कर इस योजना का विरोध जताया है.
आखिर क्या है ये योजना: सबसे पहले आपको इस योजना के बारे में बताते हैं. अग्निपथ योजना के तहत, पुरुष और महिला (सेवा की जरूरत होने पर शामिल की जाएंगी) दोनों को अग्निवीर बनने का मौका दिया जाएगा. 17.5 साल से लेकर 21 साल तक (agneepath scheme qualification) के युवा इस सेवा में शामिल होने के लिए योग्य माने जाएंगे. वर्तमान में सेना के जो मेडिकल और फिजिकल स्टैंडर्ड हैं वही मान्य होंगे. 10वीं और 12वीं पास कर चुके युवा (सैन्य बलों की नियम और शर्तों के अनुसार) अग्निवीर बन सकते हैं. अग्निपथ योजना के तहत हर साल करीब 45 हजार युवाओं को सेना में भर्ती किया जाएगा.
इस योजना के तहत 4 साल के लिए डिफेंस फोर्स में सेवा (Agneepath Bharti Yojana 2022) देनी होगी. इस दौरान ही इन्हें 6 महीने की बेसिक ट्रेनिंग भी दी जाएगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया है कि अग्निपथ योजना से निकले जवानों को बहुत सारे राज्यों, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग, मंत्रालयों में नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी. अग्निपथ योजना के लिए देश के ITI और अन्य शिक्षण संस्थानों से युवाओं को भर्ती किया जाएगा.
ऐसे किया जाएगा वेतन का भुगतान: भारत सरकार द्वारा (agneepath scheme salary) जिस अग्निपथ योजना की शुरुआत की गई है उसमें बहाली के प्रथम वर्ष में 21 हजार रुपये वेतन के रूप में भारत सरकार के द्वारा प्रत्येक महीने भुगतान किया जाएगा. दूसरे वर्ष वेतन में वृद्धि कर 23 हजार 100 रुपये प्रत्येक महीने दिया जाएगा और तीसरे महीने 25 हजार 580 एवं चौथे वर्ष में 28 हजार रुपये वेतन के रूप में भुगतान करने के साथ ही उन युवाओं को रिटायर्ड कर दिया जाएगा.
पूर्व सैनिकों की इस योजना को लेकर राय: वीर भूमि के नाम से जाने (Feedback of Ex Servicemen on Agneepath Bharti Yojana) और पहचाने जाने वाले हमीरपुर जिले में हर तीसरा या चौथा परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सेना से जुड़ा है. ऐसे में ईटीवी भारत ने जिले के सेना में दशकों तक सेवाएं देने वाले पूर्व सैनिकों से उनकी इस योजना को लेकर राय जानी. विभिन्न पदों पर सेवाएं देने वाले इन सेना के पूर्व अधिकारियों और सैनिकों का स्पष्ट कहना था कि 4 साल में ना तो फौजी तैयार होंगे और ना ही यह योजना युवाओं के करियर के हिसाब से सही है. राजस्थान की तपती गर्मी और लेह की कंपा देने वाली ठंड का सामना करने वाले फौजी इस योजना से कैसे तैयार होंगे. इसको लेकर पूर्व सैनिकों ने चिंता जाहिर की है. पूर्व सैनिकों का स्पष्ट कहना है कि सेना को रोजगार से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है.
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