हमीरपुर: राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पद्मश्री करतार सिंह सौंखले (Padma Shri Kartar Singh Sonkhle) को लोग जानने और पहचानने लगे हैं. उनकी कला की कदर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जा रही है. अमेरिका में एक महिला ने उनके द्वारा तैयार की गई कलाकृतियों को खरीदने की इच्छा जाहिर की है. महिला अमेरिका में ही इन अनूठी कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाना चाह रही है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद वीरवार को वह अपने घर पर पहुंचने पर करतार सिंह सौंखले ने यह खुलासा किया है. साथ ही उन्होंने इस सम्मान को हिमाचल की जनता को समर्पित किया है. करतार सिंह सौंखले कहा कि अमेरिका की एक महिला के तरफ से इन कलाकृतियों को खरीदने की इच्छा व्यक्त की गई है, लेकिन उनके पास व्यावसायिक स्तर पर इतनी कलाकृतियां तैयार नहीं हैं, यदि भविष्य में व्यावसायिक स्तर पर इस काम को आगे बढ़ाया जा सका तो वह इस पर जरूर विचार करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि अब भावी पीढ़ी को भी बैंबू आर्ट की अनूठी कलाकारी की बारीकियां सिखाएंगे.
यदि बैंबू आर्ट भावी पीढ़ी तक पहुंच पाता है तो यह किसी क्रांति से कम नहीं होगा. इससे हिमाचल में पर्यटन को पंख लगेंगे तो वहीं दूसरी ओर युवाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा. आपको बता दें कि करतार सिंह सौंखले न केवल बांस की कारीगरी करते हैं, बल्कि उन्हें कांच की बोतलों के अंदर बांस की कलाकृतियां उकेरने में भी महारत हासिल है.
करतार सिंह के बड़े भाई सेवानिवृत्त सीएमओ वतन सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि छोटे भाई को पद्म श्री सम्मान मिला है. उन्होंने कहा कि बचपन से ही छोटे भाई को आर्ट एवं कलाकृतियां बनाने का शौक था. वहीं, करतार सिंह की पत्नी सुनीता ने कहा कि यह परिवार के लिए एक ऐतिहासिक पल था. यह पूरे परिवार के लिए गर्व की बात है. उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि आने वाले दिनों में भी वह खूब तरक्की करें. परिवार के कई बार रोकने के बावजूद भी बाहर रात को भी कलाकृतियां बनाने में जुटे रहते थे. इसका यह नतीजा है कि आज इन्हें यह सम्मान मिला है.
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कांच की बोतल में बनाई कलाकृतियां: 1959 में हमीरपुर जिले की नारा पंचायत के रटेहड़ा गांव में जन्मे करतार सिंह सौंखले बचपन से ही बांस की कारीगरी में रुचि रखते थे. साल 2000 में उन्होंने कांच की बोतलों के अंदर बांस की कलाकृतियां बनानी शुरू की. उनकी इस बेजोड़ कारीगरी को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. उन्होंने कांच की बोतलों अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम की कलाकृतियां बनाई हैं.
इसके अलावा एफिल टावर के साथ कई ऐतिहासिक धरोहरों और इमारतों की कलाकृतियां भी उन्होंने अपनी कारीगरी के माध्यम से कांच की बोतलों में बनाई हैं. वह एनआईटी हमीरपुर में चीफ फार्मासिस्ट के पद से मार्च 2019 में सेवानिवृत्त हुए हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गलोड़ स्कूल से पूरी हुई और इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन डिग्री कॉलेज बिलासपुर (degree college bilaspur) से पूरी की थी. इसके बाद फैमिली एंड वेलफेयर विभाग (Department of Family and Welfare) के अंतर्गत उन्होंने डी फार्मा की पढ़ाई भी पूरी की.
हालांकि, बांस की कारीगरी के हुनर को उन्होंने अपने अंदर जिंदा रखा और नौकरी के दौरान ही वह कलाकृतियां बनाने में जुटे रहे. उन्हें अपने इन कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है. एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड (Asia Book of Records) ने उन्हें ग्रैंड मास्टर, इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड (Indian book of records) ने उन्हें एक्सीलेंसी अवॉर्ड से सम्मानित किया है.
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