कांगड़ा: जिला मुख्यालय धर्मशाला में शनिवार को जिला कांगड़ा के उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल द्वारा पौंग बांध विस्थापितों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए वेब पोर्टल का विधिवत शुभारंभ (Web portal launched by dc kangra) किया गया. बता दें कि इससे पहले पौंग बांध विस्थापितों को अपनी समस्या के समाधान के लिए नूरपुर स्थित राजा के तालाब में जाकर अपनी शिकायत दर्ज करवानी पड़ती थी. उसके बाद शिकायतकर्ता की फाइल बनती थी और फिर धर्मशाला भेजी जाती थी और अगर फाइल में कोई कमी पाई जाती थी तो उसे वापिस भेज दिया जाता था, जिससे समय की काफी बर्बादी होती थी. लेकिन इस वेब पोर्टल के शुरू होने से पौंग बांध विस्थापित अब अपनी शिकायत ऑनलाइन माध्यम से दर्ज करवा सकेंगे और उन्हें दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.
इस बारे में जानकारी देते हुए उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल के बताया कि पौंग बांध विस्थापितों (Pong Dam displaced people) को विवाह, मकान की मुरम्मत, शिक्षा एवं चिकित्सा के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए पोंग बांध विस्थापित पोर्टल साइट, पौंग डैम विस्थापित एमआईएस का विधिवत (Pong Dam visthapit web site) प्रारंभ किया गया है. इस अवसर पर उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल के द्वारा वेब पोर्टल पर पौंग बांध विस्थापित आवेदनकर्ता पवन कुमार निवासी गांव व डाकखाना इमोली, तहसील ज्वाली को मकान की मुरम्मत हेतू राशी मुबलिक 12,500/- व कुलदीप कुमार निवासी गांव कंडी, डाकखाना भूगनाडा, तहसील नूरपुर को उनकी बेटी पूनम चौधरी की शादी हेतू राशी मुबलिक 30000/- तथा रक्षा देवी विधवा रमेश चंद निवासी गांव सुषाल, डाकखाना भरमाड, तहसील ज्वाली को उनकी बेटी अनुवाला की शादी हेतू राशी मुबलिक 30000/- की आर्थिक सहायता की ऑनलाइन स्वीकृती प्रदान की गई.
पोर्टल साइट के शुरू होने से विस्थापितों के आवेदन पत्रों को उपायुक्त (राहत एवं पुनर्वास), राजा का तालाब, तहसील फतेहपुर, जिला कांगड़ा के द्वारा वेब पोर्टल पर पंजीकृत करके, ऑनलाइन उपायुक्त कार्यालय कांगड़ा को प्रेषित कर दिया जाएगा. आवेदन पत्रों को उपायुक्त कांगड़ा के द्वारा ऑनलाइन स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी. इस पोर्टल का निर्माण एनआईसी के द्वारा अक्षय मेहता तकनीकी निदेशक (वैज्ञानिक-ई) एवं अति. जिला सूचना विज्ञान अधिकारी कांगड़ा की देखरेख में किया गया है. उक्त पोर्टल के शुरू होने से लाभार्थियों के प्रार्थना पत्रों का समय पर निपटारा सुनिश्चित हो पाएगा. साथ ही उनको दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा और कागजी काम कम होगा एवं मामलों के निपटारण में पारदर्शिता आएगी.
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