पालमपुरः हिमाचल के चार जिलों में अब चाय के उत्पादन से किसानों की आय कई गुणा बढ़ाने की तैयारी है. कांगड़ा और मंडी के अलावा 4 जिलों चंबा, बिलासपुर, हमीरपुर और ऊना के जिलों के खंडों में चाय उत्पादन के ट्रायल किए जा रहे हैं. इनके सफल रहने के बाद चाय का इन जिलों के खंडों में व्यावसायिक तौर पर शुरू किया जाएगा. कृषि की सभी फसलों में मात्र चाय ऐसी है जो 32 तुड़ान देती है.
पालमपुर में पौधे किए जा रहे तैयार
हालांकि चाय के पौधे से लगाने के बाद चौथे साले में शुरू हो जाता है लेकिन पूरा उत्पादन आठवें साल के बाद शुरू होता है. प्रदेश में चाय के उत्पादन के विस्तार के लिए इसके पौधों को तैयार किया जा रहा है. कृषि विभाग ने इसके लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. वर्तमान में दो जिलों कागड़ा और मंडी में चाय का उत्पादन हो रहा है. सबसे अधिक उत्पादन कागड़ा जिले में हो रहा है. अन्य जिलों में चाय उत्पादन शुरू के लिए पालमपुर में पौधे तैयार किए जा रहे हैं. और किसानों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं.
तकनीकी अधिकारी चाय कृषि विभाग पालमपुर डीएस कंवर ने कहा कि चाय कागड़ा और मंडी में 2,311 हेक्टेयर में लगभग 10 लाख किलोग्राम चाय का उत्पादन हो रहा है. प्रदेश के 4 जिलों चंबा, बिलासपुर, हमीरपुर और ऊना में 16 स्थानों में चाय की विभिन्न किस्मों का ट्रायल किया जा रहा है.
अधिकतर क्षेत्रों में ट्रायल सफल
इनमें से अधिकतर क्षेत्रों में ट्रायल सफल रहा है. किसान फसल की बिजाई छह महीने में करते हैं और तुड़ान भी इसी प्रकार होता है. चाय एक ऐसी फसल है जिसे एक बार लगाया जाता है और हर साल 32 तुड़ान देती है. यह किसानों की आय को कई गुणा बढ़ा सकती है. कांगड़ा चाय विदेशों मे भी निर्यात किया जाता है और हिमाचल प्रदेश में जहां पहले 5 प्रतिशत चाय की खपत होती थीं वहीं, अब 25 प्रतिशत चाय की खपत हो रही है.
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