जवालामुखी/कांगड़ा: ज्वालाजी शक्तिपीठ से दो किलोमीटर दूर टेढ़ा मंदिर नाम से रघुनाथेश्वर (राम सीता) का मंदिर स्थित है. 115 साल पहले 1905 में कांगड़ा में आए भयानक भूकंप के कारण ये मंदिर टेढ़ा हो गया था. जिससे इसका नाम टेढ़ा मंदिर पड़ गया, लेकिन ये मंदिर सरकार व प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो रहा है.
बता दें कि रघुनाथेश्वर मंदिर में भगवान राम-सीता की मूर्तियों स्थापित की गई है. कहा जाता है कि इस मंदिर को पांडवों ने अपने बनवास के दौरान बनाया था और यहां आने वाले भक्त आज भी टेढ़े खड़े होकर राम-सीता की मूर्तियों के दर्शन करते हैं. ये मंदिर प्रदेश के कांगड़ा जिले में ज्वालामुखी के पास स्थित है. ज्वालामुखी के ज्वाला मां मंदिर की बगल से इसका रास्ता जाता है. पूरा रास्ता ऊबड़-खाबड़ पत्थरों और चढ़ाई भरा है. इसके अलावा मंदिर तक पहुंचने के लिए जंगल से होकर जाना पड़ता है.
राजा अकबर ने मां जवाला की शक्ति को आजमाने के लिए टेढ़ा मंदिर से पानी की नहर को लाया था. इस पानी को मंदिर में स्थित पावन ज्योतियों को बुझाने के लिए इस्तेमाल किया गया था, लेकिन राजा अकबर अपने घमंड के कारण इसमें कामयाब नहीं हो सका था.
ये मंदिर पिछले 115 सालों से टेढ़ा है. कहा जाता है कि वनवास काल के दौरान पांडवों ने इसका निर्माण कराया था. कांगड़ा गैजेट में इस मंदिर का उल्लेख किया गया है. भूकंप आने के बाद इस मंदिर की असली अष्टधातु की मूर्तियों को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया था. उसके बाद उन मूर्तियों को दोबारा नहीं देखा गया.
टेढ़ा मंदिर अधिकारी और एसडीएम अंकुश शर्मा ने बताया कि टेढ़ा मंदिर का मामला अभी मेरे ध्यान में लाया गया है. उन्होंने बताया कि वो जाकर स्थिति का जायजा लेंगे और रास्ते, शौचालयों व पीने के पानी का जल्द प्रबंध किया जाएगा. 15 साल पहले 1905 में कांगड़ा में आए भयानक भूकंप के कारण टेढ़ा मंदिर नाम से प्रसिद्ध मंदिर टेढ़ा हो गया था. जिससे इसका नाम टेढ़ा मंदिर पड़ गया, लेकिन ये मंदिर सरकार व प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो रहा है.