धर्मशाला: आज भले ही कोविड महामारी से लोग पीड़ित हो रहे हो और स्वास्थ्य विभाग इसी बीमारी की रोकथाम के लिये तमाम लोगों को जागरूक करने में जुटा हुआ हैं. मगर इसके अलावा भी ऐसे कई रोग हैं जो बेहद घातक और जानलेवा हैं. उन्हीं में से एक है स्नेक बाइट (Snake bite in Dharmshala). स्नेक बाइट के कारण आज भी कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं.
सीएमओ कांगड़ा डॉक्टर गुरदर्शन गुप्ता (CMO Dr Gurdarshan Gupta) का कहना है कि सिविल और पीएचसी को छोड़कर, बाकी तमाम अस्पतालों में एंटीस्नेक वेनोम (Antisnake Venom in hospitals) मौजूद है. अगर स्नेक बाइट का मामला सामने आता हे तो उनकी जान बचाई जा सकती है. खास तौर पर मानसून में तो ये मामले और भी ज्यादा बढ़ जाते हैं. फिर भी लोग ऐसी घातक घटनाओं के बाद जागरूक न होने के बजाए आधे से ज्यादा का वक्त सीधे हॉस्पिटल न जाकर विपरीत दिशा में ज्यादा गोल-गोल चक्कर काटते हैं. ('मतलब झाड़फूंक) नतीजतन, उन्हें अपनी जान गंवाने के अलावा जान बचाने के बहुत कम मौके मिलते हैं.
स्नेक बाइट को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग (District Health Department Kangra) का मानना है कि अगर ऐसी घटनाएं घटित होने के तुरंत बाद ही लोग अगर क्षेत्रीय अस्पतालों में वक्त रहते पहुंच जाएं तो जिंदगियों को बचाना आसान हो जाता है, लेकिन आज के दौर में भी लोगों का मानना है कि झाड़ फूंक से सांप के काटने वाले मरीज को ठीक किया जा सकता हैं. बीते साल का आंकड़ा बताता है कि महज एक साल में कांगड़ा में 454 स्नेक बाइट (454 snake bite cases in Kangra) के मामले सामने आये थे. जिसमें से महज एक व्यक्ति की ही जान हॉस्पिटल में गई है. बाकी सभी का बचाव हो गया. मगर ये तो वो आंकड़े हैं जो रिपोर्ट किए गए. इसके अलावा सैकड़ों ऐसे मामले हैं जो हॉस्पिटल तक पहुंचे ही नहीं उनका बाहर ही बाहर निपटारा हो गया.
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