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तिब्बती बौद्ध मंदिर में हुआ शोटन उत्सव का आगाज, धर्मगुरु दलाईलामा ने कही ये बात

धर्मगुरु दलाईलामा अपनी जिंदगी के सौ वर्ष पूरा करने की भविष्यवाणी की है. 25 वें शोटन उत्सव में भाग लेते हुए (Shotan festival begins) उन्होंने कहा कि यह उत्सव तिब्बत की यादगार यादें लेकर आता है. उन्होंने कहा कि इस उत्सव को खासे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है.

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Published : Apr 8, 2022, 7:02 PM IST

Shotan festival begins
तिब्बती बौद्ध मंदिर में हुआ शोटन उत्सव का आगाज

कांगड़ा: तिब्बती बौद्ध मंदिर में शोटन उत्सव का आगाज हो (Shotan festival begins) गया है. 25वें शोटन उत्सव में भाग ले रहे आठ मंडलियों के प्रतिभागियों ने बौद्ध मंदिर पहुंचने पर तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा व उनके साथ आए विशेष श्रोताओं का स्वागत किया. बता दें कि यह उत्सव 13 अप्रैल तक मनाया जाएगा.

इस अवसर पर तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा (Tibetan spiritual leader Dalai Lama) ने कहा कि वह शोटन उत्सव के (Tibetan Buddhist temple Dharamshala) प्रारंभ पर खासे उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि यह उत्सव तिब्बत की यादगार यादें लेकर आता है. उन्होंने कहा कि इस उत्सव को खासे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. दलाईलामा ने तिब्बत की संस्कृति और जीवनशैली पर बोलते हुए कहा की निर्वासित तिब्बतियों को तिब्बत की संस्कृति की रक्षा और संरक्षण करना जारी रखना चाहिए.

दलाईलामा ने कहा कि हम हिंसा का सहारा नहीं ले सकते और चीनियों को तिब्बत की भूमि से बाहर नहीं निकाल सकते हालांकि, हम निश्चित रूप से मध्य मार्ग की नीति के माध्यम से शांतिपूर्वक सह अस्तित्व में रहना सीख सकते हैं, जबकि हमें अपनी पहचान को बनाए रखना है. दलाईलामा ने कहा कि आज चीनियों के बीच तिब्बती बौद्ध धर्म और उसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रति व्यापक रुचि है जो जांच के माध्यम से तर्क पर निर्भर करता है.

यहां तक ​​कि दुनिया भर के वैज्ञानिक भी विज्ञान और बौद्ध धर्म के सहसंबंधों की व्यवहार्यता के साथ प्रयोग कर रहे हैं. दलाईलामा ने कहा कि हम बौद्ध धर्म और तिब्बती लिपि का परिचय देने के लिए राजा सोंगत्सेन गम्पो के प्रति अपना व्यापक आभार व्यक्त करते हैं. इस मौके पर धर्मगुरु धर्मगुरु दलाईलामा अपनी जिंदगी के सौ वर्ष पूरा करने की भविष्यवाणी की है. धर्मगुरु दलाईलामा के संबोधन के उपरांत शोटन उत्सव में भाग ले रहे प्रतिभागियों ने दलाईलामा के जीवन कथाओं पर कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए.

कांगड़ा: तिब्बती बौद्ध मंदिर में शोटन उत्सव का आगाज हो (Shotan festival begins) गया है. 25वें शोटन उत्सव में भाग ले रहे आठ मंडलियों के प्रतिभागियों ने बौद्ध मंदिर पहुंचने पर तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा व उनके साथ आए विशेष श्रोताओं का स्वागत किया. बता दें कि यह उत्सव 13 अप्रैल तक मनाया जाएगा.

इस अवसर पर तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा (Tibetan spiritual leader Dalai Lama) ने कहा कि वह शोटन उत्सव के (Tibetan Buddhist temple Dharamshala) प्रारंभ पर खासे उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि यह उत्सव तिब्बत की यादगार यादें लेकर आता है. उन्होंने कहा कि इस उत्सव को खासे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. दलाईलामा ने तिब्बत की संस्कृति और जीवनशैली पर बोलते हुए कहा की निर्वासित तिब्बतियों को तिब्बत की संस्कृति की रक्षा और संरक्षण करना जारी रखना चाहिए.

दलाईलामा ने कहा कि हम हिंसा का सहारा नहीं ले सकते और चीनियों को तिब्बत की भूमि से बाहर नहीं निकाल सकते हालांकि, हम निश्चित रूप से मध्य मार्ग की नीति के माध्यम से शांतिपूर्वक सह अस्तित्व में रहना सीख सकते हैं, जबकि हमें अपनी पहचान को बनाए रखना है. दलाईलामा ने कहा कि आज चीनियों के बीच तिब्बती बौद्ध धर्म और उसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रति व्यापक रुचि है जो जांच के माध्यम से तर्क पर निर्भर करता है.

यहां तक ​​कि दुनिया भर के वैज्ञानिक भी विज्ञान और बौद्ध धर्म के सहसंबंधों की व्यवहार्यता के साथ प्रयोग कर रहे हैं. दलाईलामा ने कहा कि हम बौद्ध धर्म और तिब्बती लिपि का परिचय देने के लिए राजा सोंगत्सेन गम्पो के प्रति अपना व्यापक आभार व्यक्त करते हैं. इस मौके पर धर्मगुरु धर्मगुरु दलाईलामा अपनी जिंदगी के सौ वर्ष पूरा करने की भविष्यवाणी की है. धर्मगुरु दलाईलामा के संबोधन के उपरांत शोटन उत्सव में भाग ले रहे प्रतिभागियों ने दलाईलामा के जीवन कथाओं पर कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए.

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