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मझींण चौक का नाम शहीद के नाम करने की मांग, सालों से गुहार लगा रहा परिवार - भारत पाक युद्ध

देश के लिए शहीद हुए पिता की कुर्बानी को सदियों तक समाज के बीच जीवित रखने के लिए एक 70 वर्षीय सेवानिवृत अध्यापक पिछले 10 साल से कोशिश कर रहे हैं. सुरेश कुमार राणा ने सरकार से मांग की है कि उनके घर के पास के मझींण चौक का नाम उनके शहीद पिता के नाम किया जाए.

Majhin Chowk as martyr maan singh rana
Majhin Chowk as martyr maan singh rana
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Published : Sep 18, 2020, 11:53 PM IST

ज्वालामुखी/कांगड़ाः देश के लिए शहीद हुए पिता की कुर्बानी को सदियों तक समाज के बीच जीवित रखने के लिए एक 70 वर्षीय सेवानिवृत अध्यापक पिछले 10 साल से प्रयत्नशील हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं कि कोई उनकी सुनेगा और उनके शहीद पिता को वो सम्मान मिलेगा जो आज दिन तक नहीं मिला. यहां बात हो रही है ज्वालामुखी उपमंडल के तहत भड़ोली गांव के शहीद मान सिंह राणा की.

शहीद मान सिंह राणा 1965 के भारत पाक युद्ध में शहीद हुए थे. 10 साल से उनका बेटा सुरेश कुमार राणा इस कोशिश में है कि उनके घर के पास के मझींण चौक का नाम उनके शहीद पिता के नाम किया जाए. साल 2012 में एनएच, पीडबल्यूडी की ओर से अनापत्ति प्रमाणपत्र दिए जाने के बाद भी सुरेश राणा का सपना साकार नहीं हुआ है.

वीडियो.

सुरेश राणा बताते हैं कि स्थानीय पंचायत ने इस बारे में प्रस्ताव पारित कर सरकार से अनुमति की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक इस बारे में सरकार की ओर से अनुमति ना मिल पाने के कारण उनका अरमान पूरा होता नहीं दिख रहा है. उन्होंने सथानीय विधायक से आग्रह किया है कि इस मामले को सरकार तक पहुंचाकर शहीद को सम्मान दिलवाने में सहयोग करें.

पीढ़ी दर पीढ़ी देश के लिए दी शहादत

सुरेश कुमार बताते हैं कि वो 32 साल तक शिक्षक के रूप में सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत हुए हैं. वो खुद सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते थे, लेकिन उनकी किस्मत में यह सब ना था. उनके दादा स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह राणा प्रथम विश्व युद्ध में मुल्तान मोर्चे पर शहीद हए थे, जबकि ताया हरनाम सिंह द्वितीय विश्व युद्ध में देश के लिए कुर्बान हुए थे. यूं कह लीजिए की सुरेश राणा का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी राष्ट्र के लिए शहीद होकर माटी का कर्ज चुका रहा है.

वहीं, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेश राउत ने कहा कि पीडब्लूडी द्वारा यदि अनुमति दी गई है तो इसमें एनएचएआई को कोई आपत्ति नहीं है. हम केवल बोर्ड लगाने की अनुमति दे सकते हैं. चौक का नामकरण का अधिकार हमारे पास नहीं है. जिस समय यह अनुमति मिली है तब यह एनएचएआई में नहीं था. जबकि अब एनएचएआई के अधिकार क्षेत्र में है. हम शहीदों का सम्मान करते हैं. हमसे जो भी सहायता बनेगी करेंगे, लेकिन नामांकरण की मंजूरी सरकार का काम है.

वहीं, विधायक ज्वालामुखी रमेश धवाला ने कहा कि यह मामला उनके ध्यान में नहीं है. शहीद के बेटे कि आवाज सरकार तक पहुंचायेंगे और चौक का नामकरण उनके पिता के नाम करवाने की मांग उठायेंगे.

ये भी पढ़ें- विधानसभा सत्र के समापन पर बोले सीएम जयराम, हमेशा याद किया जाएगा ये सत्र

ज्वालामुखी/कांगड़ाः देश के लिए शहीद हुए पिता की कुर्बानी को सदियों तक समाज के बीच जीवित रखने के लिए एक 70 वर्षीय सेवानिवृत अध्यापक पिछले 10 साल से प्रयत्नशील हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं कि कोई उनकी सुनेगा और उनके शहीद पिता को वो सम्मान मिलेगा जो आज दिन तक नहीं मिला. यहां बात हो रही है ज्वालामुखी उपमंडल के तहत भड़ोली गांव के शहीद मान सिंह राणा की.

शहीद मान सिंह राणा 1965 के भारत पाक युद्ध में शहीद हुए थे. 10 साल से उनका बेटा सुरेश कुमार राणा इस कोशिश में है कि उनके घर के पास के मझींण चौक का नाम उनके शहीद पिता के नाम किया जाए. साल 2012 में एनएच, पीडबल्यूडी की ओर से अनापत्ति प्रमाणपत्र दिए जाने के बाद भी सुरेश राणा का सपना साकार नहीं हुआ है.

वीडियो.

सुरेश राणा बताते हैं कि स्थानीय पंचायत ने इस बारे में प्रस्ताव पारित कर सरकार से अनुमति की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक इस बारे में सरकार की ओर से अनुमति ना मिल पाने के कारण उनका अरमान पूरा होता नहीं दिख रहा है. उन्होंने सथानीय विधायक से आग्रह किया है कि इस मामले को सरकार तक पहुंचाकर शहीद को सम्मान दिलवाने में सहयोग करें.

पीढ़ी दर पीढ़ी देश के लिए दी शहादत

सुरेश कुमार बताते हैं कि वो 32 साल तक शिक्षक के रूप में सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत हुए हैं. वो खुद सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते थे, लेकिन उनकी किस्मत में यह सब ना था. उनके दादा स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह राणा प्रथम विश्व युद्ध में मुल्तान मोर्चे पर शहीद हए थे, जबकि ताया हरनाम सिंह द्वितीय विश्व युद्ध में देश के लिए कुर्बान हुए थे. यूं कह लीजिए की सुरेश राणा का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी राष्ट्र के लिए शहीद होकर माटी का कर्ज चुका रहा है.

वहीं, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेश राउत ने कहा कि पीडब्लूडी द्वारा यदि अनुमति दी गई है तो इसमें एनएचएआई को कोई आपत्ति नहीं है. हम केवल बोर्ड लगाने की अनुमति दे सकते हैं. चौक का नामकरण का अधिकार हमारे पास नहीं है. जिस समय यह अनुमति मिली है तब यह एनएचएआई में नहीं था. जबकि अब एनएचएआई के अधिकार क्षेत्र में है. हम शहीदों का सम्मान करते हैं. हमसे जो भी सहायता बनेगी करेंगे, लेकिन नामांकरण की मंजूरी सरकार का काम है.

वहीं, विधायक ज्वालामुखी रमेश धवाला ने कहा कि यह मामला उनके ध्यान में नहीं है. शहीद के बेटे कि आवाज सरकार तक पहुंचायेंगे और चौक का नामकरण उनके पिता के नाम करवाने की मांग उठायेंगे.

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