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हिमालयन गद्दी यूनियन ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, वंचित 6 उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की मांग

हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश ने वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. यूनियन के सदस्यों का कहना है कि कई वर्षों से गद्दी समुदाय की 13 उपजातियों में से वंचित छह उपजातियों के साथ गद्दी शब्द न जुड़ने की मांग लंबित है. बावजूद इसके सरकार ने अभी तक मांग को पूरा नहीं किया गया है. ऐसे में यूनियन के सदस्यों के अंदर काफी रोष है.

Himalayan Gaddi Union Press Conference In Kangra
हिमालयन गद्दी यूनियन की प्रेसवार्ता
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Published : Aug 27, 2022, 12:28 PM IST

कांगड़ा: हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश ने वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. प्रदेश के अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने प्रेसवार्ता कर कहा कि समाज में सभी वर्गों को समान अधिकार मिलना (Himalayan Gaddi Union Press Conference In Kangra) चाहिए. उन्होंने कहा कि कई वर्षों से गद्दी समुदाय की 13 उपजातियों में से वंचित छह उपजातियों के साथ गद्दी शब्द न जुड़ने की मांग लंबित है. बावजूद इसके अब तक कई बार सरकार से मांग उठाने पर भी मांग को पूरा नहीं किया गया है.

सीएम जयराम ठाकुर से भी आधा दर्जन से अधिक बार मुलाकात कर चुके हैं. सीएम से मिलने पर उन्होंने इस मामले की पूर्ण जांच डीसी कांगड़ा से करवाई. उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में साफ-साफ शब्दों में लिखा गया है कि ये वंचित उपजातियां गद्दी (Himalayan Gaddi Union demand) है, और इनके साथ गद्दी शब्द जुड़ना उचित प्रतीत होता है. इसमें गौर करने वाली बात यह है कि वंचित उपजातियों में से 15 से 20 फीसदी लोगों के साथ गद्दी शब्द जुड़ा हुआ है. इसके चलते ही बार-बार जिला प्रशासन की ओर से जांच कर आगामी कार्रवाई के लिए प्रदेश सरकार से आगामी कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश देने की बात कही थी.

हिमालयन गद्दी यूनियन की प्रेसवार्ता.

इतना ही नहीं गद्दी कल्याण बोर्ड (Gaddi Welfare Board) सहित अन्य कई महत्वपूर्ण बैठकों व प्रधानों व जिला परिषद कांगड़ा की ओर से भी गद्दी शब्द वंचित उपजातियों के साथ जोड़ने का प्रस्ताव भेजा गया है. मोहिंद्र सिंह ने कहा कि कांगड़ा-चंबा के 11 विधानसभा क्षेत्रों में साढ़े तीन लाख के करीब जनसंख्या रहती (Gaddi community in Himachal) है, जोकि चुनावों में सरकार बनाने व गद्दी समुदाय के विधायक व सांसद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसे में सरकार न जाने क्यों इतनी देरी कर रही है, जिसका खामियाजा आगामी समय में भुगतना पड़ सकता है.

अभी प्रदेश व केंद्र में भी भाजपा की सरकार है, तो ऐसे में आखिर क्यों इस मामले में ढील बरती जा रही है. उन्होंने बताया कि 19 जून 2020 को पहला लेटर गद्दी शब्द जोड़ने के लिए लेटर भेजा गया था, जबकि दो वर्षों के बाद फिर से गद्दी शब्द जोड़े जाने के लिए जांच करने की बात कही जा रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि डीसी की ओर से की गई जांच को आखिर क्यों इग्नोर किया गया है.

उन्होंने कहा कि सारे साक्ष्य जुटाने के बाद भी अगर जल्द संज्ञान नहीं लिया जाता है, तो आगामी समय में रोष अधिक बढ़ सकता (Himalayan Gaddi Union Himachal Pradesh) है. उन्होंने कहा कि पहले भी एक जुलाई को महाक्रोश रैली निकाली गई, जिसके बाद विपक्ष के नेताओं इस मांग को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सीएम अब कांगड़ा आ रहे है, तो मां चामुंडा को साक्षी मानकर नोटिफिकेशन की जाए.


ये भी पढ़ें: उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की मांग: सड़कों पर उतरे लोग, पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ निकाली रोष रैली

कांगड़ा: हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश ने वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. प्रदेश के अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने प्रेसवार्ता कर कहा कि समाज में सभी वर्गों को समान अधिकार मिलना (Himalayan Gaddi Union Press Conference In Kangra) चाहिए. उन्होंने कहा कि कई वर्षों से गद्दी समुदाय की 13 उपजातियों में से वंचित छह उपजातियों के साथ गद्दी शब्द न जुड़ने की मांग लंबित है. बावजूद इसके अब तक कई बार सरकार से मांग उठाने पर भी मांग को पूरा नहीं किया गया है.

सीएम जयराम ठाकुर से भी आधा दर्जन से अधिक बार मुलाकात कर चुके हैं. सीएम से मिलने पर उन्होंने इस मामले की पूर्ण जांच डीसी कांगड़ा से करवाई. उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में साफ-साफ शब्दों में लिखा गया है कि ये वंचित उपजातियां गद्दी (Himalayan Gaddi Union demand) है, और इनके साथ गद्दी शब्द जुड़ना उचित प्रतीत होता है. इसमें गौर करने वाली बात यह है कि वंचित उपजातियों में से 15 से 20 फीसदी लोगों के साथ गद्दी शब्द जुड़ा हुआ है. इसके चलते ही बार-बार जिला प्रशासन की ओर से जांच कर आगामी कार्रवाई के लिए प्रदेश सरकार से आगामी कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश देने की बात कही थी.

हिमालयन गद्दी यूनियन की प्रेसवार्ता.

इतना ही नहीं गद्दी कल्याण बोर्ड (Gaddi Welfare Board) सहित अन्य कई महत्वपूर्ण बैठकों व प्रधानों व जिला परिषद कांगड़ा की ओर से भी गद्दी शब्द वंचित उपजातियों के साथ जोड़ने का प्रस्ताव भेजा गया है. मोहिंद्र सिंह ने कहा कि कांगड़ा-चंबा के 11 विधानसभा क्षेत्रों में साढ़े तीन लाख के करीब जनसंख्या रहती (Gaddi community in Himachal) है, जोकि चुनावों में सरकार बनाने व गद्दी समुदाय के विधायक व सांसद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसे में सरकार न जाने क्यों इतनी देरी कर रही है, जिसका खामियाजा आगामी समय में भुगतना पड़ सकता है.

अभी प्रदेश व केंद्र में भी भाजपा की सरकार है, तो ऐसे में आखिर क्यों इस मामले में ढील बरती जा रही है. उन्होंने बताया कि 19 जून 2020 को पहला लेटर गद्दी शब्द जोड़ने के लिए लेटर भेजा गया था, जबकि दो वर्षों के बाद फिर से गद्दी शब्द जोड़े जाने के लिए जांच करने की बात कही जा रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि डीसी की ओर से की गई जांच को आखिर क्यों इग्नोर किया गया है.

उन्होंने कहा कि सारे साक्ष्य जुटाने के बाद भी अगर जल्द संज्ञान नहीं लिया जाता है, तो आगामी समय में रोष अधिक बढ़ सकता (Himalayan Gaddi Union Himachal Pradesh) है. उन्होंने कहा कि पहले भी एक जुलाई को महाक्रोश रैली निकाली गई, जिसके बाद विपक्ष के नेताओं इस मांग को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सीएम अब कांगड़ा आ रहे है, तो मां चामुंडा को साक्षी मानकर नोटिफिकेशन की जाए.


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