धर्मशालाः निर्वासित तिब्बत सरकार ने गुरुवार को धर्मगुरु दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की 31वीं वर्षागांठ मनाई. तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा विश्वभर में शांति के रूप में तिब्बती धर्मगुरु के नाम से जाने जाते हैं. दलाई लामा को 10 दिसंबर 1989 को शांति का नोबेल पुरस्कार मिला था.
दलाई लामा का नाम तेनजिन ग्यात्सो है और उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत हुआ. पिता का नाम चोक्योंग त्सेरिंग और माता का नाम डिकी त्सेरिंग था. दलाई लामा एक मंगोलियाई पदवी है, जिसका मतलब होता है ज्ञान का महासागर और दलाई लामा के वंशज करुणा, अवलोकेतेश्वर के बुद्ध के गुणों के साक्षात रूप माने जाते हैं.
दलाई लामा को 85 से ज्यादा मिले चुके पुरस्कार
ऐसा विश्वास है कि दलाई लामा अवलोकितेश्वर या चेनेरेजिंग का रूप हैं. जो कि करुणा के बोधिसत्त्व और तिब्बत के संरक्षक संत हैं. दलाई लामा अभी तक शांति और प्रसन्नता के प्रचार-प्रसार के लिए पूरी दुनिया के 65 से भी ज्यादा देशों की एक से अधिक बार यात्रा कर चुके हैं. वर्ष 1959 से लेकर अभी तक दलाई लामा को 85 से भी ज्यादा पुरस्कार मिल चुके हैं.
दो साल की उम्र में बन गए थे दलाई लामा
दलाई लामा तिब्बतियों के धर्मप्रमुख ही नहीं, विश्व शांति के दूत भी हैं. आधी सदी से ज्यादा समय से वह निर्वासन में हैं. बेशक वह चीन की आंखों में खटकते हैं, लेकिन उनका व्यक्तित्व ऐसा हैं कि सामने पड़ जाएं तो मन में असीम श्रद्धा व सम्मान की भावना उमड़ने लगती है. तेनजिन ग्यात्सो को जिस समय दलाई लामा के तौर पर मान्यता मिली थी उस वक्त वे मात्र दो वर्ष के थे. कुंबुम मठ में अभिषेक के बाद उन्हें माता-पिता का ज्यादा साथ नहीं मिल पाया.
मां बाप से दूर रहना काफी कठिन
कारण सीधा था ल्हासा से दस किमी दूर उतर-पूर्वी दिशा में पैदा हुआ दो वर्षीय बालक लहामो चेढ़प दलाई लामा बन चुका था. उसकी शिक्षा-दीक्षा उसी अनुरूप होनी थी. दलाई लामा ने स्वयं एक किताब में लिखा है कि एक छोटे बच्चे के लिए मां-बाप से इस तरह अलग रहना सचमुच बहुत कठिन होता है.