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इंसानों के बाद अब पशुओं को मिलेगा यूनिक ID, रखा जाएगा पूरा ब्योरा - हिमाचल में पालतू पशुओं के बनेंगे यूनिक आईडी कार्ड

प्रदेश में शुरू हुए कार्यक्रम के तहत राज्य भर में अब तक 45 हजार पशुओं का यूनिक आईडी के लिए पंजीकरण किया जा चुका है. अकेले जिला कांगड़ा में ही 20 हजार पशुओं के यूनिक आईडी बनाने के लिए पंजीकरण किया गया है. यूनिक आईडी बनने से पशु चोरी या गुम होने पर ऑनलाइन ट्रेस किया जा सकेगा.

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इंसानों के बाद अब पशुओं को मिलेगा यूनिक आईडी
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Published : Feb 6, 2020, 12:59 PM IST

धर्मशाला: इंसानों के बाद अब पालतू पशुओं के भी यूनिक आईडी बन रहे हैं. जिनके माध्यम से पशुओं की पूरी डिटेल ऑनलाइन उपलब्ध रहेगी. प्रदेश में शुरू हुए कार्यक्रम के तहत राज्य भर में अब तक 45 हजार पशुओं का यूनिक आईडी के लिए पंजीकरण किया जा चुका है. अकेले जिला कांगड़ा में ही 20 हजार पशुओं के यूनिक आईडी बनाने के लिए पंजीकरण किया गया है. यूनिक आईडी बनने से पशु चोरी या गुम होने पर ऑनलाइन ट्रेस किया जा सकेगा.

गौरतलब है कि पहले यह पता लगाना मुश्किल था कि कौन सी पालतू गाय कितना दूध देती है और गाय किसके पास है. अब चलाए जा रहे प्रोग्राम के तहत हर पशु में 12 अंकों का यूनिक कोड (टैग) लगाया जा रहा है, जिसे पशु आधार भी कहा जा रहा है. इस टैग के माध्यम से पशु की सेल, परचेज और दूध प्रोडक्शन का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा. इस आईडी से गाय को बच्चा कब हुआ और उसे टीका कब लगाया गया, इसका भी रिकॉर्ड रखा जाएगा. यूनिक आईडी में 12 अंक का एक बार कोड डाला जाएगा. इस बार कोड में पशु की पूरी डिटेल फीड रहेगी. विभाग के अनुसार पूर्व में भी पशुओं को टैग लगाए जाते थे, लेकिन वो साधारण थे. नई प्रणाली के तहत यह टैग स्मार्ट तरीके का होगा. पशुओं के कान में लगाए प्लास्टिक कार्ड में एक बार कोड होगा.

डॉ. मुकेश महाजन, असिस्टेंट डायरेक्टर, पशुपालन विभाग जिला कांगड़ा ने बताया कि प्रदेश भर में अक्टूबर माह से यह प्रोग्राम शुरू हुआ है. इसके तहत हर पशु में 12 अंकों का यूनिक कोड (टैग) लगाया जा रहा है, जिसे पशु आधार भी कहा जा रहा है. प्रदेश भर में 45 हजार पशुओं का पंजीकरण किया गया है, जबकि जिला कांगड़ा में 20 हजार पशु प्रोग्राम के तहत पंजीकृत किए जा चुके हैं. पशुओं के पंजीकरण के माध्यम से पशुओं के मालिक की पहचान भी सुनिश्चित होगी.

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धर्मशाला: इंसानों के बाद अब पालतू पशुओं के भी यूनिक आईडी बन रहे हैं. जिनके माध्यम से पशुओं की पूरी डिटेल ऑनलाइन उपलब्ध रहेगी. प्रदेश में शुरू हुए कार्यक्रम के तहत राज्य भर में अब तक 45 हजार पशुओं का यूनिक आईडी के लिए पंजीकरण किया जा चुका है. अकेले जिला कांगड़ा में ही 20 हजार पशुओं के यूनिक आईडी बनाने के लिए पंजीकरण किया गया है. यूनिक आईडी बनने से पशु चोरी या गुम होने पर ऑनलाइन ट्रेस किया जा सकेगा.

गौरतलब है कि पहले यह पता लगाना मुश्किल था कि कौन सी पालतू गाय कितना दूध देती है और गाय किसके पास है. अब चलाए जा रहे प्रोग्राम के तहत हर पशु में 12 अंकों का यूनिक कोड (टैग) लगाया जा रहा है, जिसे पशु आधार भी कहा जा रहा है. इस टैग के माध्यम से पशु की सेल, परचेज और दूध प्रोडक्शन का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा. इस आईडी से गाय को बच्चा कब हुआ और उसे टीका कब लगाया गया, इसका भी रिकॉर्ड रखा जाएगा. यूनिक आईडी में 12 अंक का एक बार कोड डाला जाएगा. इस बार कोड में पशु की पूरी डिटेल फीड रहेगी. विभाग के अनुसार पूर्व में भी पशुओं को टैग लगाए जाते थे, लेकिन वो साधारण थे. नई प्रणाली के तहत यह टैग स्मार्ट तरीके का होगा. पशुओं के कान में लगाए प्लास्टिक कार्ड में एक बार कोड होगा.

डॉ. मुकेश महाजन, असिस्टेंट डायरेक्टर, पशुपालन विभाग जिला कांगड़ा ने बताया कि प्रदेश भर में अक्टूबर माह से यह प्रोग्राम शुरू हुआ है. इसके तहत हर पशु में 12 अंकों का यूनिक कोड (टैग) लगाया जा रहा है, जिसे पशु आधार भी कहा जा रहा है. प्रदेश भर में 45 हजार पशुओं का पंजीकरण किया गया है, जबकि जिला कांगड़ा में 20 हजार पशु प्रोग्राम के तहत पंजीकृत किए जा चुके हैं. पशुओं के पंजीकरण के माध्यम से पशुओं के मालिक की पहचान भी सुनिश्चित होगी.

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Intro: धर्मशाला- इंसानों के बाद अब पालतू पशुओं के भी यूनिक आईडी बन रहे हैं। जिनके माध्यम से पशुओं  की पूरी डिटेल ऑनलाइन उपलब्ध रहेगी। प्रदेश में शुरू हुए कार्यक्रम के तहत राज्य भर में अब तक 45 हजार पशुओं का यूनिक आईडी के लिए पंजीकरण किया जा चुका है, जबकि जिला कांगड़ा में यह आंकड़ा 20 हजार सबसे अधिक है। यूनिक आईडी बनने से पशु चोरी या गुम होने पर ऑनलाइन टे्रस किया जा सकेगा। गौरतलब है कि पहले यह पता लगाना मुश्किल था कि कौन सी पालतू गाय कितना दूध देती है और  गाय किसके पास है। अब चलाए जा रहे प्रोग्राम के तहत हर पशु में 12 अंकों का यूनिक कोड (टैग) लगाया जा रहा है, जिसे पशु आधार भी कहा जा रहा है। 





Body:उससे पूरे पशु की सेल, परचेज और दूध प्रोडक्शन का पूरा रिकार्ड कि उसे कब टीका लगा। यदि गाय को बच्चा हुआ तो उसे कब टैग लगा। यह सभी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से देख और मॉनिटर कर सकेंगे। यूनिक आईडी में 12 अंक का एक बार कोड डाला जाएगा। इस बार कोड में पशु की पूरी डिटेल फीड रहेगी। विभाग के अनुसार पूर्व में भी पशुओं को टैग लगाए जाते थे, लेकिन वो साधारण थे, नई प्रणाली के तहत यह टैग स्मार्ट तरीके का होगा। पशुओं के कान में लगाए प्लास्टिक कार्ड में एक बार कोड होगा।




Conclusion:वही डा. मुकेश महाजन, एसिस्टेंट डायरेक्टर, पशुपालन विभाग जिला कांगड़ा ने कहा कि प्रदेश भर में अक्तूबर माह में प्रोग्राम शुरू हुआ है, जिसके तहत हर  पशु में 12 अंकों का यूनिक कोड (टैग) लगाया जा रहा है, जिसे पशु आधार भी कहा जा रहा है। इससे पशु की सेल, परचेज और दूध प्रोडक्शन कब टीका लगा, यदि गाय को बच्चा हुआ तो उसे कब टैग लगा।, पूरी जानकारी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से देख और मॉनिटर कर सकेंगे। प्रदेश भर में 45 हजार पशुओं का पंजीकरण किया गया है, जबकि जिला कांगड़ा में 20 हजार पशु प्रोग्राम के तहत पंजीकृत किए जा चुके हैं। पशुओं के पंजीकरण के माध्यम से पशुओं के मालिक की पहचान भी सुनिश्चित होगी।

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