कांगड़ा: 44वें शतरंज ओलंपियाड खेल प्रतियोगिता की मशाल जम्मू से होते हुए बुधवार को धर्मशाला पहुंच गई है. जिसे चेस के ग्रैंड मास्टर दीप सेन गुप्ता और चेस एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव भारत सिंह चौहान लेकर धर्मशाला पहुंचे. इस दौरान देश के खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने इंडोर स्टेडियम धर्मशाला में इस ज्वलन्त मशाल को रिसीव किया (Chess Olympiad Torch relay reach Dharamshala) है, इस दौरान प्रदेश के खेल मंत्री राकेश पठानिया और खेल विभाग धर्मशाला के अधिकारी भी मौजूद रहे.
वहीं, इस दौरान रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. धर्मशाला के बाद अब ये टॉर्च शिमला जाएगी, जहां से होते हुए चंडीगढ़ समेत कई शहरों में इसका भ्रमण होगा. काबिलेगौर है कि यूक्रेन पर हमले के कारण रूस से (44th Chess Olympiad) मेजबानी छिन जाने के बाद 44वें शतरंज ओलंपियाड का आयोजन इस साल चेन्नई में हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार को इंदिरा गांधी स्टेडियम से इस खेल की मशाल की शुरूआत की थी और उस वक्त उन्होंने मशाल पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद को सौंपी थी.
यह मशाल देश के 75 शहरों से होते हुए महाबलीपुरम पहुंचेगी, जहां 28 जुलाई से 44वें चेस ओलंपियाड का आयोजन हो रहा है. खास और अहम बात ये है कि साल 2013 में विश्व चैंपियनशिप के आयोजन के बाद यह दूसरा बड़ा वैश्विक शतरंज टूर्नामेंट है जो भारत में आयोजित हो रहा है.
वहीं, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मशाल रिले भारत से शुरु होना गर्व की बात है. 1956 में भारत ने पहली बार चेस ओलंपियाड में भाग लिया था और आज यह भारत में हो रहा है, जिसमें 188 देश शिरकत करेंगे. उन्होंने मशाल रिले को दोस्ती, शांति, और ओलंपिक मूवमेंट का प्रतीक बताया. वहीं, खेल मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि भारत देश चेस खेल की जनक है और ये बेहद ही गौरवपूर्ण बात है कि अबकी बार इस खेल की मेजबानी भारत करेगा.
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